खरीदें 10 सुन्दर कढ़ाई की हुई साड़ीयान जो देखने वाले के होश उड़ा देंगे (2019): और पड़ें भारत कि कढ़ाई की विविध विरासत के बारे में और खुद से साड़ी पर कड़ाई करने के टिप्स

खरीदें 10 सुन्दर कढ़ाई की हुई साड़ीयान जो देखने वाले के होश उड़ा देंगे (2019): और पड़ें भारत कि कढ़ाई की विविध विरासत के बारे में और खुद से साड़ी पर कड़ाई करने के टिप्स

हमें पता है कि आप भी अपने लिए एक बढ़िया सी साड़ी ढूंढती ढूंढती यहां तक पहुंची है। और हम आपको और कहीं नहीं जाने देंगे क्योंकि हमारे पास आपके लिए शानदार साड़ी एंब्रायडरी विकल्प है जिन्हें आप चून सकती है। साथ में हमने आपको कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में भी बताया है और खुद एंब्रायडरी कैसे करनी है वह भी बताया है। कृपया पूरा अनुच्छेद पढ़ें।

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10 कशीदाकारी साड़ी जो आपके पास होनी ही चाहिए।

कांथा ।

कांथा कढ़ाई बंगाल की प्राचीन कलाओं का एक अच्छा उदाहरण है। इसमें पुरानी साड़ियों और सफ़ेद सूती कपड़े को जोड़कर कई परते बनायी जाती है और उनके ऊपर बड़ा ही महीन काम करके सुंदर रंग बिरंगे धागो से फूल , पत्तिया और जानवरो को काढ़ा जाता है। आप चाहे पश्चिम बंगाल में रहते हों या ना रहते हों, एक कांथा साड़ी आपके साड़ी कलेक्शन का हिस्सा होनी ही चाहिए। कांथा साड़ी आपको कुछ ही समय में स्टाइलिश बना सकती है । हमारा पहला सुझाव है पिक ब्लैक बैंगलोर सिल्क साड़ी जिसके ऊपर मल्टीकोलोर कांथा सिलाई वर्क किया गया है। रूपकथा वेब डॉट कॉम इस सुंदर साड़ी में कांथा कढ़ाई पूरी साड़ी और पल्लू पर आती है और साथ ही आपको मैचिंग ब्लाउज का कपड़ा भी मिलता है । वेबसाइट आपको सिलाई के विकल्प भी देती है। आप साड़ी पर फॉल और पिको भी लगवा सकते हैं। अगर आप अलग से 970 रूपए देते है तो वो आपको ब्लाउज सील कर देते है । इस साड़ी पर कशीदाकारी कढ़ाई होने के कारण यह थोड़ी महंगी पड़ती है । यह 13100 रूपए में उपलब्ध है।

चिकनकारी।

नवाबो का शहर लखनऊ अपनी चिकनकारी कढ़ाई के चलते दुनिया भर में मशहूर है। महीन कपड़े पर सुई-धागे से टांकों द्वारा की गई हाथ की कारीगरी लखनवी कढ़ाई कहलाती है। अपनी अनोखेपन के वजह से आज भी इसकी लोकप्रियता बरकरार है । दुनिया के विभिन्न वस्त्रो में लखनवी कढ़ाई किये गए वस्त्र ऐसे है जैसे कई पत्थरो में एक हिरा। चिकन की कढ़ाई किये गए वस्त्रो को लगभग 40 डिग्री तापमान पर सुखाया जाता है। कटाई, सिलाई, रंगाई, कढ़ाई, धुलाई और सुखाने के बाद इन वस्त्रो को वर्कशॉप पहुंचाया जाता हैं, जहां इनकी आकर्षक पैकिंग करके इन्हें देश-विदेश के कई हिस्सों में भेजा जाता है। लखनऊ की चिकनकारी साड़ी लड़कियों से लेकर बुजर्ग महिलाओं द्वारा पसंद की जाती है ।

यह खूबसूरत लाइटिंग पेस्टल ग्रीन कॉटन सिल्क कोटा चिकनकारी मुकेश साड़ी एक परफेक्ट पार्टी वियर आइटम है।जामपोर रेशमी सूती कपड़े से बनी यह पारभासी साड़ी सुंदर के साथ ही काफी हल्की और आरामदायक है । यह गर्मियों में पहनने के लिए एकदम उचित परिधान है, जो आपको ट्रेंडी दिखाएगा और अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सीजन के सबसे गर्म दिन भी आपको पसीने से रहत दिलाएगा । साड़ी में फ्रंट प्लीट एरिया को छोड़कर सभी जगह कढ़ाई की गयी है। इसका माप 5.5 X 1.1 मीटर है और यह बिना ब्लाउज के आती है। इसे जामपोर.कॉम से रूपए में खरीदा जा सकता है ।

फुलकारी।

भारतीय संस्कृति में पंजाब का योगदान लजीज खाने और बेहतरीन गानों के आलावा फुलकारी कढ़ाई का भी है। पंजाबी सलवार सूट और फुलकारी कढ़ाई के बिना तो ट्रेडिशनल ऑउटफिट बेजान ही रह जाते। फुलकारी कढ़ाई की एक विशेषता जो इसे बाकि सभी कढ़ाई से अलग बनाती है वो ये कि इस कढ़ाई को कपड़ो के साथ शूज़, बेल्ट्स और बैग्स जैसी ऐक्सेसरीज़ पर भी.किया जाता है। पुराने ज़माने में तो माँ अपनी बेटी को बचपन से ही कढ़ाई बुनाई का काम घर पर ही सीखाने लग जाती थी। जिसे वो अपनी शादी में दहेज़ के रूप में लेकर जाती थी। फुलकारी को चमकीले रंगीन धागो से किया जाता है। तो हमारा अगला सुझाव है ब्लू-ग्रीन लिनेन-तुसार सिल्क बनारसी बॉर्डर फूलकारी साड़ी जिसके बॉर्डर पर हाथो से कढ़ाई की गई है । इसका माप 5.5 X 1.19 मीटर है और यह 0.7 मीटर के ब्लाउज के कपड़े के साथ आपको मिलती है। जापोर डॉट कॉम

हालाँकि, अगर आप कुछ किफायती चाहते हैं, तो आप फुलकारी हाथ की कढ़ाई वाली पल्म कलर की चंदेरी सिल्क साड़ी खऱीद सकते है । इटोक्री.कॉम इस साड़ी की लंबाई 6 मीटर और चौड़ाई 1.2 मीटर है। अतिरिक्त एक मीटर लम्बाई ब्लाउज के कपड़े के वजह से है। इस प्यारी साडी की कीमत है केवल 6990 रूपए।

काठियावाड़ी ।

पहले औरतो को कढ़ाई बुनाई का बहुत शौक होता था परन्तु आज ये मात्र एक हॉबी बनकर रह गयी है। यह एक अच्छा क्रिएटिव वर्क भी है। ये एक ऐसी कला है जिसकी मदद से आप एक बेहद आम से कपड़े पर आकर्षक डिज़ाइन बनाकर उसे खास बना सकते है। काठियावाड़ी कढ़ाई की एक स्टाइल है जिसका श्रेय गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप को जाता है। माना जाता है कि कढ़ाई की इस शैली का आविष्कार क्षेत्र के निवासियों द्वारा किया गया था - कैथी जनजाति के लोग। बोल्ड टांके, बनावट और चमकीले रंग बाकी कढ़ाई से काठियावाड़ी कढ़ाई को अलग करते हैं।डेलीब्यूय्स डॉट कॉम तो हमारा अगला सुझाव है पिली काठियावाड़ी साड़ी डेलीबाइज़.कॉम जिसके ऊपर मल्टीकोल थ्रेड वर्क और कशीदाकारी का बढ़िया काम किया गया है। इसे पहनने वाले भीड़ में अलग ही नजर आता है । इसकी कीमत 3,160 रूपए है।

आरी ।

" कपड़ो पर करिश्मा बुनने के कला है आरी कढ़ाई "। इसका जन्म पंजाब , कश्मीर और गुजरात में हुआ था। आरी का काम एक विशेष हुक जैसी सुई की मदद से कपड़े को एक फ्रेम पर खींचकर किया जाता है। आरी की कढ़ाई करने वाले कारीगर अपनी नौकरी में इतने कुशल होते हैं कि उनकी कढ़ाई और मशीन कढ़ाई में फर्क निकलना बहुत मुश्किल होता है । वाइब्रेंट और बोल्ड, ऐरी कढ़ाई वाली साड़ी किसी भी साड़ी प्रेमी की अलमारी में होनी ही चाहिए। इस खूबसूरत ब्लैक कोटा कॉटन ऐरी वर्क की कढ़ाई वाली साड़ी क्राफ्टली.काम पूरी साड़ी के ऊपर नीले और गुलाबी रंग के धागो से खूबसूरत डिज़ाइन बनाया गया है और यह एक मैचिंग ब्लाउज के कपड़े के साथ आती है। इस शानदार काली साड़ी को आप 1,450 रूपए में खरीद सकते है । वेबसाइट 100% बायर प्रोटेक्शन और रिफंड गारंटी प्रदान करती है।

मिरर वर्क।

कुछ लोग होते है जो अपने फैशन आइकॉन के स्टाइल को कॉपी करते है वही कुछ लोग अपने खुद के स्टाइल अपनाने में विश्वास रखते है। अगर आप भी अपना ट्रेंड सेट करने की सोच रहे है तो आप मदद ले सकते है मिरर वर्क की। इस वर्क की डिमांड मार्किट में खूब है। सबसे अच्छी बात है कि ये काम हर तरह के कपड़ो पर खिलता है। चाहे वेस्टर्न कपड़ा हो या ट्रेडिशनल ऑउटफिट। मिरर वर्क की शुरुआत राजस्थान और गुजरात में हुई थी पर आज ये लाखो लोगो की पसंद बन चूका है । आपने मिरर वर्क साड़ियों पहने कई बड़ी हस्तियों को भी देखा होगा। शादी पार्टी में जाने के लिए आप यह सुंदर पाउडर व्हाइट ब्लेंडेड कॉटन साड़ी पिंक मिरर वर्क रूपकथावेब डॉट कॉम। यह साड़ी बहुत ही ग्लैमरस है । इसकी लंबाई 5.5 मीटर है और यह ब्लाउज के कपड़े के साथ आती है। वेबसाइट आपको सिलाई के विकल्प भी देती है। आप 970 रूपए अलग से देकर फॉल , पिको यहाँ तक की अपने ब्लाउज को सिलवा सकते हैं।

कशीदाकारी और कश्मीरी कढ़ाई।

कश्मीर की हरियाली ,बर्फ के पहाड़ो और नदियों की पूरी दुनिया दीवानी है तभी तो उसको " धरती का स्वर्ग " कहा जाता है। यहाँ की मशहूर कश्मीरी कढ़ाई में बनाये जाने वाले फूल ,पत्तिया , पक्षी ,लताओं आम, कमल, और पेड़ में आप नेचर की झलक साफ़ देख सकते है। इस में सुई से बारीक़ काम और दो तरीको से कढ़ाई की जाती है। इसे बनाने में वैसे तो समय सिंगल स्टिच स्टाइल से भी ज्यादा लगता है पर जब यह बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाता है तो देखने वाले के मुँह खुले के खुले रह जाते है। भारत के फैशन डिज़ाइनर ' सभ्यसाची ' के कलेक्शन में भी कश्मीरी कढ़ाई को प्राथमिकता दी जाती है।

यह वर्क बहुत ही प्यारा होता है इसलिए कभी भी इसे किसी और वर्क के साथ न पहने क्योकि इससे सारी शो ख़राब हो जाती है। कश्मीरी शॉल, कुर्ते और साड़ियों ने लोगो के दिलो में अपनी खास जगह बनाई हुई है । यह एक रॉयल ब्लैक सोज़नी, आरी और टिल्ला हाथ की कशीदाकारी वाली कश्मीरी पियोर जॉरजट साड़ी है। कढ़ाई वाइन, गुलाबी, बेज, भूरे, हरे और नारंगी रंगों में है। यह बिना सिले ब्लाउज पीस के साथ आती है और यदि आप चाहे तो अलग से 1,150 रूपए देकर ब्लाउज सिलवा सकते हैं। आप 850 रूपए देकर पेटीकोट को मापने के लिए भी दे सकते हैं। यह थोड़ी महंगी साड़ी है परन्तु सच में आप इसे पहनकर हूर की परी से कम नहीं दिखेगी | ये टॉकिंग थ्रेड्स पर आपको 85,000 रूपए में पड़ेगी।

जरदोजी |

जरदोजी कढ़ाई का काम ऋग्वेद के समय से ही प्रचलित है। अकबर के समय इसका चलन तेज़ी से बढ़ा था परन्तु फिर औद्योगीकरण के आभाव के कारण ये कही भीड़ में खो गयी थी। वर्तमान में यह एक बार फिर भारत के लखनऊ , भोपाल और चेन्नई जैसे कई शहरों में उभरी है। जरदोसी की कढ़ाई वाले कपड़े की बात ही कुछ ओर होती है। यह आपको एलिगेंट और रॉयल लुक प्रदान करता है। तो हमारी अगली पिक भी जरदोजी स्टाइल है। जरदोजी साड़ी भारतीय हस्तकला के कई खूबसूरत पहलुओं में से एक है और यह रितु कुमार पर उपलब्ध है। बनारस के पारंपरिक बुने हुए कपड़ों से प्रेरित सुंदर जरदोजी कढ़ाई के साथ एक गुलाबी दुल्हन साड़ी वास्तव में बहुत ही खूबसूरत है। साड़ी चमकदार साटन कपड़े से बनाई गई है और पूरी साड़ी पर कढ़ाई की गयी है। यह ब्लाउज के बिना आती है। इसके डिजाइनर लेबल के कारण, इस पीस की कीमत 1,50,000 रूपए है। इस सदी को पहनकर आप सबकी वहावही लूटने को तैयार है। पर ध्यान रहे कि आप इस साड़ी को केवल पेशेवर लॉन्डरों द्वारा ही साफ कराए ।

गोटा |

गोटा पट्टी एक तरह की कढ़ाई है जिसका जन्म वैसे तो राजस्थान में हुआ पर कढ़ाई करने के लिए जिस गोटा पट्टी का इस्तेमाल किया जाता है वह लखनऊ से आती है। यानि आपको इस कढ़ाई में राजस्थान और लखनऊ दोनों राज्य की छाप देखने को मिलती है। बॉलीवुड में इसके बढ़ते चलन की देखा देखी आम लोगो में भी इसका क्रेज बढ़ता जा रहा है। सबसे अच्छी बात है कि ये कढ़ाई आपकी पर्सनालिटी को निखारने का काम करता है। कढ़ाई की इस शैली का उपयोग हल्के कपड़े जैसे जॉर्जेट और शिफॉन पर किया जाता है, जिससे ये साड़ी ग्लैमरस तो दिखती ही है पर हल्की भी रहती है । हाथ की कढ़ाई वाली गोटा पट्टी और जरदोजी के साथ ग्रीन जॉर्जेट की साड़ी उन युवाओं के लिए एकदम सही है, जिन्हें भारी साड़ी पसंद नहीं है। यह एक गेरू रंग के बिना सिले हुए ब्लाउज के साथ आता है। ब्लाउज में आस्तीन , पीछे और सामने की ओर कढ़ाई है,। लेबल कानुप्रिया से यह साड़ी का मूल्य 7400 है। अतिरिक्त 800 रूपए देकर आप ब्लाउज सिलवा सकते हैं और 200 रूपए देकर ब्लाउज में पैडिंग ऐड करवा सकते हैं।

कसूती |

कसूती कढ़ाई एक प्रकार की हाथ की कढ़ाई है जिसकी शुरुआत लगभग 17 वीं शताब्दी में कर्नाटक में हुई थी। वैसे तो इसे हर कपड़े पर किया जाता है पर सबसे सुंदर ये काली साड़ी पर दिखती है। इस में ज्यादातर चार तरह की कढ़ाई की जाती है। जिनके नाम इस प्रकार है- गवंती कढ़ाई ,मुर्गी कढ़ाई ,नेगी कढ़ाई और मेंथी कढ़ाई। इनका उपयोग पारंपरिक और धार्मिक तत्वों से प्रेरित कठिन पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है जैसे कि गोपुर, रथ, पालकी, लैंप और शंख ।

पैटर्न की बात करे तो कसूती कढ़ाई में मोर और हाथी जैसे जानवरों के कई तरह के पैटर्न होते है पर मुख्य रूप से कमल के फूल का पैटर्न ही बनाया जाता है। कसूती शब्द का शाब्दिक अर्थ है काई, जिसका मतलब होता है हाथ , और सुति का अर्थ है सूती, या सूती धागा। हालाँकि इसकी उत्पत्ति कर्नाटक में हुई, लेकिन इसे कांचीपुरम की साड़ियों में भी इस्तेमाल किया जाता है।

कसौटी की खासियत है कि यह कढ़ाई एक ही धागे से की जाती है और इस प्रक्रिया में कपड़े पर प्रत्येक धागे की गिनती शामिल है। कपड़े के दोनों किनारे एक जैसे दिखते हैं क्योंकि पैटर्न बिना गांठों के सिले जाते हैं । फैबइंडिया का यह नेचुरल कॉटन स्लब कासुती कढ़ाई साड़ी एक अत्यंत खूबसूरत पीस है। यह लाल धागे के काम के साथ एक सफेद साड़ी है जिसके साथ ब्लाउज भी आता है। यह सुंदर पीस फैबइंडिया आपको केवल 6500 रूपए में मिल सकता है।

भारत में साडी पर एम्ब्रायडरी : कुछ बाते जानने योग्य।

साड़ी एम्बॉइडरी क्या होती है ?

पूरा भारत अपनी कला संस्कृति के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। और उसमे सबसे ज्यादा मशहूर है कढ़ाई चाहे वो रुमाल पर हो या साडी पर। साड़ी एम्ब्रायडरी का आशय है साड़ी पर कढ़ाई करना । भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग कढ़ाई की जाती है। जैसे - आंध्र प्रदेश में बंजारा कढ़ाई , गुजरात में अहीर कढ़ाई , पंजाब में फुलकारी कढ़ाई , राजस्थान में डंका कढ़ाई , उत्तर प्रदेश में चिकनकारी कढ़ाई आदि। कढ़ाई करने के बाद वैसे तो हर कपड़ा बढ़िया लगने लगता है पर कढ़ाई वाली साड़ी की अपनी अलग ही बात होती है। कपड़े की बनावट कढ़ाई की ठीक प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभाती है और इसलिए, इस्तेमाल की गई कढ़ाई तकनीक के अनुसार ही साड़ी सामग्री का चयन किया जाता है। महिलाओं के बिच कढ़ाई वाली साड़ियाँ की खासी मांग देखने को मिलती है।

कढ़ाई के विभिन्न प्रकार।

कढ़ाई का मतलब है रंग बिरंगे धागो के द्वारा कपड़े पर कुछ ऐसा डिज़ाइन बनाना जो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा दे। कढ़ाई के ढेरो प्रकार आपको भारत में देखने को आसानी से मिल जाते है। इन सबमे जो सबसे मशहूर है वो है लखनवी यानि चिकनकारी कढ़ाई। इसके अंदर पतले से कपड़े पर टांके मारकर हाथ से कढ़ाई की जाती है। दूसरी मशहूर कढ़ाई है जरदारी, जिसमे असली सोने और चांदी के तारो से कढ़ाई की जाती है। तीसरे कढ़ाई है कश्मीरी या कशीदाकारी कढ़ाई जिसमे प्रकृति से जुड़े चित्र बनाये जाते है। चौथी कढ़ाई है सिंधी कढ़ाई जो आमतौर पर लेडीज सूट और कुशन कवर पर की जाती है। इसको हैरिंग बॉन स्टिच द्वारा हाथ से किया जाता है।भारत में अनेको कढ़ाई के होते हुए भी हर एक कढ़ाई की अपनी एक खासियत है जिनके दीवाने दुनिया भर के लोग है। कहते है न " चीज़ में अगर दम है तो उसके कद्रदान तो खूब मिल जाते है " |

कढ़ाई वाली साड़ी कहाँ से ख़रीदे ?

यह सच बात है कि एक स्त्री जितनी खूबसूरत साड़ी पहनकर लगती है शायद ही किसी और परिधान में लगे। वक्त के साथ साड़ियों के स्टाइल और डिज़ाइन में बहुत बदलाव आया है परन्तु आज भी महिलाओं के बिच इसका खुमार कम नहीं हुआ है। अगर आप सोचते है कि कढ़ाई वाली साड़ियों का क्रेज खत्म हो गया है तो आप गलत है। आज भी इन साड़ियों की धूम विश्वभर में है। ट्रेडिशनल वियर में एम्ब्रायडरी का अपना अलग महत्व है। कढ़ाई वाली साड़ियां क्लासिक्स हैं और आप इनको किसी भी अवसर पर पहन सकती है। आज आपके पास साड़ियों के बहुत विकल्प मौजूद है।

यदि आप भारत के निवासी हैं, तो हम आपको राज्य एम्पोरियम और बुटीक पर जाने का सुझाव देंगे क्योंकि उनके पास आमतौर पर कढ़ाई वाली साड़ियों का अच्छा कलेक्शन होता है। यदि आपके पास सही रंग, कपड़े और शैली की खोज करने का धैर्य है, और साथ ही आप हैग्लिंग में भी अच्छे हैं तो आप अच्छे सौदों के लिए पिस्सू बाजारों में भी जा सकते हैं, । हालांकि, यह टेक्नोलॉजी का युग है इसलिए सबसे आसान और सबसे सुविधाजनक विकल्प ऑनलाइन शॉपिंग होता है । अगर आप भारत से बाहर रहते हैं, तो कशीदाकारी साड़ियों को खरीदने का यह सबसे बढ़िया तरीका है । फैबइंडिया जैसे बुटीक के पास अपने ऑनलाइन स्टोर हैं जो दुनिया भर में डिलीवरी करते हैं। फ्लिपकार्ट , अजिओ , जबोंग और मिंत्रा जैसी वेबसाइटों पर अच्छा कलेक्शन हैं और साथ ही हर बजट के लिए कुछ न कुछ है।

तरीका मुफ्त कढ़ाई वाली साड़ी को प्राप्त करने का।

यदि आपकी सुंदर कढ़ाई वाली साड़ियों पहनने की इच्छा तो है पर पैसे खर्च करने की इच्छा बिलकुल नहीं है , तो एक जगह ऐसी भी है, जहाँ आप एक भी पैसा खर्च किये बगैर कई जरी वाली साड़ियों के मालिक बन सकते है । आप सोच रहे होंगे की हम मजाक कर रहे है। जी नहीं ऐसी जगह सच में मौजूद है और आपके बहुत नजदीक भी है और सबसे मजेदार बात है कि इस जगह से आप अच्छी तरह से वाकिफ है पर आपने कभी ध्यान नहीं दिया होगा। जैसे हमने आपको बताया कि कढ़ाई वाली साड़ी का फैशन नया नहीं है बल्कि ये वर्षो से चलता आ रहा है। तो जाहिर सी बात है इन साड़ियों को आपकी मम्मी और दादी ने भी जमकर पहना होगा।

तो अब आप समझ ही गए होंगे हमारा इशारा किस तरह है ? वो जगह है आपकी माँ और दादी की अलमारी। आजकल इन हाथ की कढ़ाई वाली साड़ियाँ की कीमत आसमान छू रही है पर पहले ये काफी आसानी से उपलब्ध होने के कारण सस्ती मिल जाती थीं। अगर आपको अपनी माँ और दादी की कोई ऐसी चीज़ मिलती है जो आपको पसंद है और वे आपको दे देती हैं, तो ध्यान दे कि आप उसकी अच्छी तरह से देखभाल करे । पुरानी साड़ियों का कपड़े रखे रखे बहुत कमजोर हो जाता है। इसका समाधान है कि आप उनके नीचे अच्छे मजबूत कपड़े का अस्तर लगवाले । साथ ही साड़ियों को धूप और नमी से दूर, कागज या कपड़ो की थैलियों में हिफाजत से रखे और थोड़े थोड़े अंतराल बाद हवा लगाने के लिए उन्हें बाहर भी निकालते रहे।। हो सके तो इत्र और मेकअप को साड़ियों से दूर ही रखे , ऐसा न हो कि साड़ियों पर लापरवाही में दाग ही लग जाये । यदि साड़िया गंदी हो रही है , तो आप उन्हें क्लीन या ड्राई क्लीन कराके उनकी खोयी हुई चमक को वापस ला सकते है।

साडी पर खुद कैसे कढ़ाई करे ?

हालांकि एमरॉइडरी वाली साडी पहनने के बाद गज़ब का लुक देती है पर ये जेब पर भी उतनी ही महंगी पड़ती है। अगर आपकी भी इस तरह की साड़ी पहनने की तमन्ना है पर पैसे की थोड़ी तंगी है तो बुटीक के बजाय साड़ी बाजार से खरीदना आपके लिए बेहतर होगा। आप घर पर भी कुछ सिंपल स्टेप्स को फॉलो करके अपने लिए सुंदर कढ़ाई वाली साड़ी तैयार कर सकती है।

  • स्टेप 1 अपनी पसंद का कोई भी कपड़ा 5 से 6 मीटर खरीदें। वह कपड़े आपकी साड़ी के लिए बेस मटेरियल का काम करेगा
  • फिर आपको जिस तरह के जरी के काम की ज़रूरत है उसे कराने के लिए एक अच्छी कढ़ाई सेवा अपने बजट के अनुसार खोजें। कई महिलाएं तो घर पर भी कढ़ाई सिलाई का काम करती हैं।
  • स्टेप 3 यदि आप सिलाई जानते है , तो आप कुछ डिज़ाइन और पैटर्न का चयन करके , कुछ यूट्यूब ट्यूटोरियल की मदद से और अपनी कढ़ाई स्वयं कर सकते हैं। इसके लिए ज़रूरत की सभी चीज़ें आपको कपड़े की दुकानों या शिल्प की आपूर्ति बेचने वाली दुकानों में मिल जाएँगी ।
  • स्टेप 4 आप अलग-अलग ऍप्लिकस बनाकर उन्हें अपनी साड़ी पर सिल सकते हैं। और हाँ ,अपनी साड़ी को खूबसूरत क्लीन फिनिश देने के लिए फॉल लगाना और पिको करवाना कतई न भूलें।
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From our editorial team

अंत

हमें पक्का पता है कि पूरा अनुच्छेद पढ़ने के बाद और सब कुछ जान लेने के बाद आपको अपने लिए एक बढ़िया सी साड़ी मिल गई होगी और आप इस वक्त बहुत खुश होगी। हम आपको बताना चाहेंगे, कि हमारी यह वेबसाइट आपके लिए रोज ऐसे ही ज्ञान पूर्वक अनुच्छेद लाती रहती है। कृपया हमारे साथ बने रहे।