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प्रोबायोटिक खाद्य क्या है?
आम तौर पर बैक्टीरिया, याने जीवाणु मनुष्यों के लिए हानिकारक माने जाते हैं और हम सामान्य रूप से, हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए एंटीबायोटिक और उनसे छुटकारा पाने के लिए एंटीसेप्टिक्स और साबुन का उपयोग करते हैं| लेकिन इनके साथ ही साथ अच्छे बैक्टीरिया होते हैं और वे हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक होते हैं क्योंकि वे बुरे बैक्सेटेरिया से लड़ते हैं, और हमें बीमारियों तथा अन्य समस्याओं से बचाते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया के कारण हो सकते हैं। प्रोबायोटिक्स हमारे आंत में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया होते हैं और वे पाचन में विशेष रूप से सहायक होते हैं, इस प्रकार आप को फिट और स्वस्थ रहने में मदद करते हैं; क्योंकि अधिकांश बीमारियाँ खाना ठीक तरह से हजम न होने से शुरू हो जाती हैं| जब भी आप एंटीबायोटिक लेते हैं, यह बुरे बैक्टीरिया के साथ कुछ अच्छे जीवाणुओं को भी मारता है और प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ इन अच्छे जीवाणुओं की जगह लेते हैं| इसके अलावा, प्रोबायोटिक्स शरीर को अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बनाकर सुचारू रूप से काम करने में मदद करते हैं।
प्रोबायोटिक दो ग्रीक शब्दों के संयोजन से लिया गया है जो प्रो (संवर्धन ) और बायोटिक (जीवन) हैं| इस बारेमें सही कहा गया है, क्योंकि प्रोबायोटिक्स का नियमित उपयोग स्वस्थ जीवन को उपोत्पाद के रूप में पाचन और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। प्रोबायोटिक बैक्टीरिया को दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है, जिनका नाम लैक्टोबैसिलस है जो सबसे आम प्रोबायोटिक है और दही और अन्य किण्वित खाद्य पदार्थों में पाया जाता है और दूसरा प्रकार कुछ डेयरी उत्पादों में पाया जाने वाला बिफीडोबैक्टीरियम है। लैक्टोबैसिलस डायरिया से बाधित लोग और लैक्टोज की एलर्जी होने वाले लोगों के लिए सहायक होता है, जबकि बिफीडोबैक्टीरियम कुछ पेट की समस्याओं जैसे कि इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम याने संवेदनशील आंत की बीमारी और आंत्र में सुजन (आईबीडी) जैसे बिमारियों को कम कर सकता है। प्रोबायोटिक्स भोजन को आसानी से हजम करने के लिए उत्तेजित करनेवाली तंत्रिकाओं जो आंत के माध्यम से भोजन की गति को उत्तेजित करने में मदद करता है। । कुछ शोध से पता चलता है कि प्रोबायोटिक्स लेना कुछ बीमारियाँ जैसे एलर्जी और सर्दी, मूत्र और योनि स्वास्थ्य, मौखिक स्वास्थ्य और त्वचा रोग जैसे एक्जिमा में सहायक है। दुनिया भर में प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों के अन्य लाभों के बारे में विभिन्न शोध चल रहे हैं और परिणाम काफी उत्साहजनक हैं।
प्रोबायोटिक्स खाद्य के फायदे
प्रोबायोटिक्स अभी भी आम जनता के मनमें बहुत लोकप्रिय अवधारणा नहीं है और अभी भी खाद्य और उनके पूरक उद्योग में अपने शिशु अवस्था में है हालाँकिइसका हमारा साथ हमारे पैदा होने से पहले ही शुरूहोता है, क्योंकि एक सामान्य प्रसव के दौरान, नवजात शिशु को उसकी माँ से लैक्टोबैसिलस, बैक्टेरॉइड्स, एस्चेरिचिया कोली और बिफोबोबैक्टीरियम जैसे बैक्टीरिया मिलते हैं। जबकि, सी-सेक्शन से पैदा हुए बच्चों को अपनी माँ से इन जीवाणुओं का हस्तांतरण प्राप्त करने के लिए पर्याप्त भाग्य नहीं मिलता| इस वजह से उन्हें एलर्जी का अधिक खतरा होता है, प्रतिरक्षा प्रणाली औसत के नीचे और आंत में निम्न स्तर का माइक्रोफ्लोरा, जिससे पाचन समस्याओं की उच्च संभावना होती है।
दो तरीके हैं, जिनमें प्रोबायोटिक्स हमें खराब बैक्टीरिया से बचाते हैं। पहला और सबसे अधिक साबित किया हुआ, हमारे हाजमें को एक स्वस्थ संतुलन प्रदान करता है, इस प्रकार पाचन प्रक्रिया को सुचारू करता है। नींद की कमी, खराब भोजन की आदतों, तनाव, चिंता, निरंतर कामकाजी दबाव, एंटीबायोटिक दवाओं का बेतहाशा अधिक उपयोग, धूम्रपान और शराब इन सब चीजों के द्वारा बनाई गई खराब जीवन शैली के लिए से होने वले दुष्परिणामों पर मात करने के लिए, प्रोबायोटिक्स एक वरदान के रूप में है। दूसरी बात, प्रोबायोटिक्स प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं जो रोगाणु और वायरस जैसे बाहरी शत्रुओं के खिलाफ हमारी रक्षा करते हैं। प्रोबायोटिक्स शरीर में एक प्राकृतिक संतुलन बनाते हैं, ताकि प्रतिरक्षा प्रणाली पूरी मेहनत से काम कर सके।
कमजोर पाचन, पेट से संबंधित बीमारियों, अक्सर बीमार पड़ने और अनियमित जीवन शैली से पीड़ित लोगों को अपने आहार में प्रोबायोटिक्स शामिल करना चाहिए क्योंकि एक इष्टतम पाचन होने और प्रतिरक्षा प्रणाली को फिर से मजबूत करने के लिए शुरुआत करने में कभी देर नहीं होती है। हाल ही के शोधों ने डायबिटीज (टाइप 1 और 2) की रोकथाम और मोटापे के उपचार में प्रोबायोटिक्स का लाभ दिखाया है। इतना ही नहीं, बल्कि यह मौखिक गुहा, प्रजनन पथ, त्वचा और फेफड़ों के स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाता है।
प्रोबायोटिक खाद्य के दुष्परिणाम
मार्गदर्शक तत्वों के अनुसार प्रोबायोटिक एक खाद्य है दवा नहीं इसलिए इसके उत्पादक यह दावे के साथ नहीं कह सकते और बांधे नहीं होते कि, यह सचमे किसी बीमारीपर इलाज है| इसलिए प्रोबायोटिक पूरक खाद्य लेने से से पहले इसके बारेमे और परिणामों के बारेमे जन लेना काह्हिये, खासकर अगर आप पूरक खाद्य ले रहे हो| गर्भवती महिलाऐं, बूढ़े व्यक्ति, गंभीर बीमारी से जैसे कैंसर बाधित लोग, छोटे बच्चे, और गंभीर सक्रमित बीमारी से पीड़ित लोग, इन्होने जादा खबरदारी लेना आवश्यक है और जो संक्रमित बिमारियों पर इलाज ले रहे हैं, जैसे डायलिसिस, केमोथेरपी, या हार्ट, किडनी, या लंग के बीमारी पर चिकित्सा ले रहे हो, तो डॉक्टर के परामर्श के बिना प्रोबायोटिक का इस्तेमाल न करें|
भारतीय प्रोबायोटिक्स खाद्य
प्रोबायोटिक पूरक खाद्य खरीदने जाओ तो बहुत महंगा पड़ता है और हर कोई नहीं खरीद सकता| मगर भारतीय आहार में ऐसे कई प्रोबायोटिक से भरपूर व्यंजन है जो हम रोजाना आहार में शामिल करके प्रोबायोटिक की आपूर्ति कर सकते हैं| चलिए, देखते हैं ऐसे कौनसे भारतीय खाद्य हैं जो प्रोबायोटिक प्रदान करते हैं|
दही
बहुत सारे लोगों को दही या कर्ड अच्छा लगता है और यह गर्मी के दिनों में खाने में एक अनिवार्य डिश होती है, और तो और कई ऐसे लोग हैं जो बारह महीने भी रोज के आहार में दही का समावेश करते हैं| आजकल लोग दही बाजार से लेना ही पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें घरमे ये सब करने की फुर्सत नहीं होती. मगर यह गलत है, क्योंकि बाजार के दही में रसायनों का इस्तेमाल होता है जो किण्वन की प्रक्रिया होने नहीं देता है| जबकि घरके दही में अच्छी तरह से देर तक किण्वन किया जाता है जिससे दही दूध के लेक्तोज का पूरा उपयोग करता है और उसके प्रोबायोटिक गुणों को बढाता है| घरमे मौजूद सामान के साथ दही बनाना एकदम आसान है| आपको बस्स आधा लीटर दूध लेना है|
इसे कम से माध्यम आंच पर गरम करो| अब पूरी तरह गर्म होने के बाद 10 मिनट तक उबालो| अब इसे ठंडा होने दो. जब इसका गुनगुना तापमान हो जाये तब इसमें दो टेबल स्पून दही मिलाकर अच्छी तरह से घोलो, ताकि दही पूरा दूध में घुल जाये| अब इस मिश्रण को मिटटी के बर्तन में डालो और इसको ढक्कन लगाओ| और 10 घंटे इसे बैठने दो| ( अच्छी प्रोबायोटिक क्क्वालिटी के लिए 24 घंटे रखो| ) इसे बिचमे हिलाना या चम्मच वगैरा डालना नहीं, नहीं तो ये अच्छी तरह से नहीं जमेगा|
डोसा और इडली
डोसा के बैटर के लिए आपको 1 कप उड़द डाल, 4 कप इडली राईस थोड़े मेथी दाने और 2 चम्मच सेंधा नमक लगेगा | दाल और चावल को अलग अलग बाउल में नल के पानी में अच्छे से धोकर पानी निकाल दें और 2, 3 कप पानी डालकर 6 घंटों के लिए भिगोकर रखें| भीगी हुई दाल में मेथी दाने भी डालें| 6 घंटे के बाद उड़द डाल को मिक्सर में डालें और 1.5 कप पानी डालकर पिस लें जबतक वह गाढ़ा बैटर न बनें| अब चावल को बड़े बर्तन में डालकर उसे भी अच्छी तरह से पिस लें| चाहिए तो थोडा थोडा पानी मिला सकते हैं| अब चावल की पेस्ट दाल की पेस्ट के साथ मिलाइए और थोडा सेंधा नमक डालें| हाथ से ये मिश्रण अच्छी तरह से घोले और इसपर ढक्कन डाले| इसे 12-14 घंटों के लिए रखें| अब किण्वन होने से बैटर फुज्जीदार दिखने लगेगा| इसे जंचने के लिए एक पानीभरे बाउल में थोडा बैटर डाले| अगर यह ऊपर तैरता है तो आपका बैटर तयार है| नहीं तो और थोड़ी देर रखें| इससे आप कुरकुरा डोसा और मुलायम इडली बना सकते हैं|
ढोकला
ढोकला एक गुजराती स्नैक्स है| यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ प्रोबायोटिक के स्वास्थ्य लाभ भी देता है| और यह खाने के लिए हल्का है| इसे बनाने के लिए आपको सामग्री लगेगी, 1 कप बेसन, 1 चम्मच निम्बू का रस, 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड तेल, 1 चम्मच सरसों के बीज, 1 चम्मच चीनी, 1.5 कप पानी 1 चम्मच बेकिंग सोडा और 15 करी पत्ते| सजावट के लिए नारियल कसा हुआ, 1 मुट्ठी धनिया के पत्ते और 4 कटी हुई हरी मिर्च| एक बड़े कटोरे में बेसन, नमक, बेकिंग सोडा और निम्बू का रस डालें| और अच्छी तरह से मिलाये| इसे 2 घंटों के लिए किण्वन प्रक्रिया के लिए रखें| सर्दी के दिनों में जरा जादा समय लगता है| एक स्टीमर में थोडा पानी उबालें और उसके उपरी स्तर को तेल से चिकना करें| बर्तन का बैटर इसमें डाले और 15 मिनट के लिए धीमी आंच पर पकाए|
जब बैटर फुज्जीदार बनकर ऊपर उठता है तो टूथपिक से जाँच करें| अगर टूथपिक सुखी ऊपर आती है तो आपका ढोकला तैयार है| तुकडे करने के पहले इसे ठंडा होने दे| अब इसके उपर तड़का डालना है| | एक कढाई में तेल डालकर माध्यम आंच पर गरम करें| जब तेल काफी गरम होता है तब उसमे सरसों के दाने, कटी हुई हरी मिर्च, करी पत्ते और धीरे से 1/2 कप पानी डाले नहीं तो तड़का उछलता है| इसमें अब चीनी, हरे धनिया पत्ते और 1 टेबल स्पून निम्बू का रस मिलाइए| आंच बंद करें और इस मिश्रण को ढोकले पर डालें| अब कसे हुए नारियल से सजावट करें और धनिया की हरी चटनी के साथ खाये|
आचार
बहुत से स्वास्थ्य के बारे में जागरुक लोग आचार खाने से डरते हैं क्योंकि उसमे तेल और नमक की मात्रा भरपूर होती हैं| लेकिन कम तेल डालकर कुछ दिन के लिए धुप में रखने से प्राकृतिक घरका बनाया आचार बनता है जिसमे पर्याप्त मात्र में प्रो बायोटिक मिलते हैं| इसके लिए आपको, फुल गोभी और गाजर प्रत्येक 500 ग्राम, 2 इंच लम्बे टुकड़ों में, मटर 200 ग्राम, सरसों का तेल 100 ग्राम, पिली सरसों 2 बड़े चम्मच, लाल मिर्च पाउडर और हल्दी पाउडर 1 टीस्पून, सिरका 1 टी स्पून, हिंग दो चुटकी, और 2 छोटा चम्मच नमक यह सामग्री लगेगी|
एक पैन में आधा लीटर पानी गरम करें, 1 टीस्पून नमक डालें, इस पानी में गोभी के टुकड़े डालें, ढककर 15 मिनट के लिए अलग रख दें। एक अन्य पैन में इतना पानी गरम करें जो सभी सब्जियों के लिए पर्याप्त है, इस पानी में सभी सब्जियाँ मिलाएँ (फूलगोभी सहित) और इसे 3 - 4 मिनट तक उबलने दें, फिर ढक्कन डालें| इसे 5 मिनट तक रखें। अब पानी को छान लें और सब्जियों को धूप में एक मोटे कपड़े पर 5 - 6 घंटे के लिए सूखने दें ताकि सारा पानी उड़ जाए। सभी सब्जियों को एक बड़े बर्तन में डालें और नमक, पीली सरसों, लाल मिर्च पाउडर, हींग पाउडर, सिरका और सरसों का तेल डालें। सभी सामग्रियों को ठीक से मिलाएं, एक ग्लास या प्लास्टिक के जार में भरें और 3 - 4 दिन ( हररोज 4 - 5 घंटे ) के लिए धूप में रखें, | 2 दिनों में एक बार हिलाकर रखें और 4 दिनों के बाद आपका अचार आपके मुहँ को पानी लाने के लिए तैयार है|
कांजी
कांजी एक स्वादिष्ट, पारंपरिक पंजाबी ड्रिंक है जिसे गाजर और बीटरूट को एक सप्ताह तक किण्वित करके तैयार किया जाता है| इस पेय में प्रो बैक्टीरिया का अच्छा विकास होता है। 5 बडे गाजर (छिलके वाली), 1 बड़ा चुकंदर, 1 बड़ा चम्मच ब्राउन राई, 6 कप साफ पानी और 1 बड़ा चम्मच बारीक समुद्री नमक लें। एक मोर्टार मूसल में सरसों के बीज की पाउडर बनायें, , गाजर और चुकंदर के लंबे टुकड़े काटें, और एक बड़े कांच के जार में सभी सामग्री भरें। एक ढक्कन या पतले कपड़े से जार को कवर करें और इसे लगभग एक सप्ताह तक धूप में रखें ; दिन में एक बार लकड़ी के चम्मचा से हिलाएं। एक हफ्ते के बाद, कांजी को एक तीखा स्वाद आएगा, जो इंगित करता है कि शरबत तैयार है। पानी को छान लें और सब्जियां आचार के लिए बचा लें क्योंकि बाद में इनका आनंद लिया जा सकता है| इस पानी को फ्रिज में ठंडा भी कर सकते हैं और ठंडी कांजी का आनंद लें सकते हैं।
चीज
घर पर चीज या पनीर बनाना काफी आसान है, क्योंकि आपके लिए आवश्यक सामग्री सिर्फ होल मिल्क 1 लीटर और 1.5 चम्मच नींबू का रस या सिरका है। एक भारी तले वाले पैन में मध्यम गर्मी पर दूध गर्म करें और इसे थोडा थोडा हिलाते हुए उबाल आने दें। ताकि यह बर्तन के तले से न चिपककर जल न जाये| । दूध उबालने पर आंच बंद कर दें और इसमें नींबू का रस धीरे-धीरे डालना शुरू कर दें। 1 - 2 मिनट के बाद, आप देखेंगे कि दूध गाढ़ा होने लगा है। मट्ठा अलग करना। इस मोड़ पर, नींबू का रस डालना बंद करें और दूध के दही होने के लिए पूरी तरह से 5 मिनट तक प्रतीक्षा करें। अब मिश्रण को एक मलमल के कपड़े में लेकर, नींबू के पानी के थोडा भी स्वाद हो तो उसे धोने के लिए ठंडे पानी से रिंज करें।
मलमल के सिरों को मिलाएं। कपड़े को निचोड़ कर शेष पानी भी निकाल लें, पनीर को समतल करें, इसे एक समान सतह पर रखें, उ कपडे पर एक भारी वस्तु रखें और इसे 2 घंटे के लिए वैसे ही रखें ताकि किण्वन पूरा हो जाए। 2 घंटे के बाद मलमल के कपड़े से सुखा पनीर बाहर निकालें और अब पनीर तैयार है। इसे टुकड़ों में काटकर इस्तेमाल करें| | उपर्युक्त प्रोबायोटिक्स इंडियन फूड के अलावा, कुछ और भी विकल्प हैं, जैसे कि, छांस, दही, डार्क चॉकलेट, किम्ची, सोया मिल्क और ग्रीन मटर। ये खाद्य पदार्थ अच्छे बैक्टीरिया से भी भरपूर होते हैं और आपके पेट के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ावा देते हैं।
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ज्यादा प्रोबायोटिक्स न लें
हम आशा करते हैं कि आपने पूरा अनुच्छेद पढ़ा होगा। जरूरत से ज्यादा प्रोबायोटिक्स न लें क्योंकि अधिक मात्रा में लेने पर इनसे नुकसान भी होता है। यदि आपके शरीर में पहले से ही कुछ समस्याएं हैं तो आपको प्रोबायोटिक्स भोजन का सेवन कम करना चाहिए।