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शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाये रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

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एक ऑडिटोरियम में स्टेज पर म्यूजिकल शो चल रहा है, इस शो में कई लोग शामिल हैं और ये सभी लोग अलग अलग तरह के वाद्य यन्त्र बजा रहे हैं, अब इस म्यूजिकल शो की मधुरता इस बात पर निर्भर करती है की इसमें शामिल सभी लोग अपने अपने यन्त्र को सही तरह से बजाएं, अगर ऐसा नहीं होता तो ये एक बेसुरा संगीत बन जाता है जो किसी को पसंद नहीं आता| आप सोचेंगे की ये हम क्या बके जा रहे हैं| असल में ये एक मिसाल है जिसकी मदद से विषय को समझने में आसानी होगी| विषय है शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जो ठीक इसी प्रकार काम करती है, जिसमे शरीर के अलग अलग तत्व अगर मिल कर सही तरीके से काम ना करें तो ये प्रणाली भी बेसुरी हो जाती है यानि की कमज़ोर पड़ जाती है| आज के इस लेख में हम आपको शरीर की इस प्रतिरक्षा प्रणाली के बारे में जानकारी देने का प्रयास करने जा रहे हैं, मुमकिन है की आपके काम आये|

प्रतिरोधक क्षमता/ प्रतिरक्षा प्रणाली क्या है?

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प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की वो अंदरूनी शक्ति है जो शरीर को बाहरी वातावरण के हानिकारक तत्वों से एक कवच की भांति सुरक्षा प्रदान करती है| ये हानिकारक तत्व किसी भी प्रकार के हो सकते हैं जिनमे ज़्यादातर तो जल-वायू में उपस्थित कीटाणु, जीवाणु आदि के बारे में ही कहा जाता है लेकिन वास्तव में सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि यहाँ तक भी बात सच है की बदलते मौसम में तापमान में बदलाव के कारण भी कभी कभी बीमारियाँ लग सकती हैं| अगर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुचारू रूप से काम नहीं कर रही हो तो कई तरह से ये एक परेशानी की बात हो सकती है|

प्रतिरक्षा प्रणाली कोई एक तत्व नहीं है बल्कि एक पूरी प्रणाली(सिस्टम) है जो शरीर में मौजूद कई तरह के तत्वों से मिलकर बनती है जिनमे शामिल हैं व्हाइट ब्लड सेल, एंटी बॉडीज, लिम्फेटिक सिस्टम, प्लीहा (स्प्लीन), बोन मेरो आदि, इसलिए इसे किसी एक तत्व के साथ जोड़कर परिभाषित नहीं किया जा सकता या ये नहीं कहा जा सकता की अमुख तत्व की उपलब्धता प्रतिरोधक क्षमता को सुनिश्चित कर सकती है| इसके लिए ज़रूरी है की इस लेख में दी गई पूरी जानकारी पर गौर किया जाये|

    स्वस्थ शरीर के साथ मज़बूत प्रतिरोधक क्षमता की आवश्यकता
  • स्वस्थ शरीर और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता एक दुसरे के संपूरक हैं, इनका आपस का ताल मेल वैसा ही है जैसे आग की दो खूबियाँ जो हैं जलाना और प्रकाश देना| अगर आग है तो उसमे ये दोनों खूबियाँ होगी ही, ठीक उसी प्रकार स्वस्थ शरीर में प्रतिरोधक क्षमता भी होगी ही और प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत है तो शरीर स्वस्थ होगा ही| हाँ इसका मतलब ये बिलकुल नहीं की स्वस्थ शरीर में कुछ हो ही नहीं सकता, लेकिन इस बात की सम्भावना काफी कम रहती है|
  • रोग प्रतिरक्षा को बढ़ा पाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है
  • पढने या सुनने में लग सकता है की अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बना के रखना काफी मुश्किल काम होता होगा, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है बल्कि ये तो सिर्फ थोडा ध्यान देने की बात है और आमतौर पर की जाने वाली प्रक्रियाओं से ही सुनिश्चित करी जा सकती है| जैसा हम पहले बता चुके हैं की ये कोई एक तत्व नहीं बल्कि तत्वों से मिलकर बनी हुई पूरी प्रणाली है इसलिए नियमितता के साथ अगर सभी बातों को अपना कर रखा जाये तो ये काम ज़रा भी मुश्किल नहीं है|

शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने के 10 कारगर उपाय

तो आइये देखते हैं की अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने और उसे मज़बूत बनाये रखने के लिए किन बातों पर ध्यान देना और उन्हें अपनाना ज़रूरी है:

संतुलित आहार लेना अनिवार्य है

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संतुलित आहार शरीर के बेहतर स्वास्थ्य का आधार है और साथ में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बनाये रखने के लिए सबसे आवश्यक है| भोजन से ही शरीर की सभी कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है और इसी ऊर्जा के इस्तेमाल से ही शरीर के विभिन्न अंग और कोशिकाएं काम कर पाती हैं| संतुलित आहार से तात्पर्य है की भोजन में सभी प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन, मिनरल आदि उचित मात्रा में समाहित हों जिससे शरीर को संतुलित ऊर्जा मिल सके| अतः इन सभी तत्वों के जो भी स्त्रोत होते हैं जैसे अन्न, सब्जियां, फल, दूध आदि ये सब आपके रोज़ के भोजन में शामिल होने ही चाहिए|

यहाँ एक बात ये भी जानना ज़रूरी है की भोजन की मात्रा भी संतुलित होनी चाहिए, यानी की कभी भी ये नहीं समझना चाहिए की अगर पोषक तत्वों से भरपूर भोजन है तो अधिक मात्रा में करने से ज्यादा लाभ मिलेगा और शरीर ज्यादा स्वस्थ बनेगा, बल्कि ऐसा करने से उल्टा हाजमा खराब हो सकता है तो भोजन की मात्रा भी आपके शरीर की आवश्यकता के मुताबिक होनी चाहिये, उससे अधिक नहीं| इस बात के समर्थन में एक पुरानी कहावत याद आती है की अगर आपको 3 रोटियों की भूख हो तो आप 2 रोटी ही खाएं| इस कहावत के पीछे शरीर के विज्ञान का हाथ है जिसके अनुसार पेट अगर भरपूर मात्रा में भोजन से भर जाता है तो उसे खाने को हजम करने के लिए ज्यादा मशक्कत करनी पड़ती है और अगर पेट में कुछ जगह खाली छोड़ दी जाये तो ये काम काफी आसानी से हो जाता है|

इस वजह से कई बार हाजमे की तकलीफ वाले मरीजों को पीस मील लेने की सलाह दी जाती है जिसमे ये कहा जाता है की एक बार में पूरा भोजन करने के बजाय थोडा थोडा भोजन कई बार में करें, ऐसा करने से भोजन को हजम करना भी आसान हो जाता है और शरीर को सभी ज़रूरी पोषक तत्व भी मिल जाते हैं| इन सब बातों के साथ एक और बात ज़रूरी है की भोजन सही समय पे किया जाये, जैसे सुबह के समय नाश्ता करने का होता है तो अपनी दिनचर्या शुरू करने से पहले आपको नाश्ता ज़रूर करना चाहिए क्यूंकि तभी उस भोजन के ज़रिये आपको अपनी दिनचर्या के लिए समुचित ऊर्जा मिल सकेगी, लेकिन अगर किसी वजह से नाश्ता ना कर सके या काफी देर से किया तो सुबह के वक्त पेट खाली रहने के कारण शरीर में अन्य विकार जैसे एसिडिटी या गैस की समस्या बढ़ने लगेगी| इसलिए ये तीनों बातें यानी की पोषक तत्वों से भरपूर भोजन, भोजन की सही मात्रा और भोजन का सही समय मिलकर इसे संतुलित आहार बनाते हैं| इन तीनों में से कोई भी एक तत्व अगर कम हो तो वो एक संतुलित आहार नहीं कहा जा सकता|

भोजन में रोग प्रतिरक्षा को बढाने वाली सामग्रियों को शामिल करें

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विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन ए, विटामिन डी, फोलिक एसिड, आयरन, सेलेनियम, जिंक आदि सब उन पोषक तत्वों के नाम हैं जिनकी मदद से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है| अपनी अलग अलग क्रियाओं से ये तत्व शरीर की कोशिकाओं को पोषण प्रदान करते हैं, अतः आपके लिए ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है की जो भी दैनिक आहार आप ले रहे हैं उसमे ये तत्व शामिल हैं या नहीं| मिसाल के तौर पे हरी सब्जियां और फल विटामिन और मिनरल का भण्डार होते हैं, दूध में मिनरल, विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो ये सब आपके आहार में शामिल होने ही चाहिए| यहाँ एक बात बताना ज़रूरी है की पोषक तत्व और उनके स्त्रोत की जानकारी अपने आप में पूरा एक विज्ञान है, लेकिन ज़रूरी नहीं की आपको इस पुरे विज्ञान में महारत हासिल करनी है|

आप सिर्फ अपने शरीर की आवश्यकता पर गौर करें और ये जानने का प्रयास करें की आपको अपने आहार में कौन कौन सी वस्तुएं शामिल रखना ज़रूरी है| बस उन वस्तुओं/ पदार्थों का सेवन नियमित रूप से करें तो काफी है| हाँ, समय समय पर इस आवश्यकता का पुनः अवलोकन करते रहें और अगर किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता आपको महसूस होती हो तो उसे भी अपनाएं|

धूम्र पान आदि नशे से बचें

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ये एक ऐसी समस्या है की जिसका इलाज सिर्फ और सिर्फ आपके ही पास है, कोई और इसमें किसी प्रकार की मदद नहीं कर सकता| सबसे ख़ास बात ये है की जैसे कहा जाता है की सेवन करने वाले किसी भी पदार्थ के फायदे और नुक्सान दोनों हो सकते हैं लेकिन धूम्र पान तो एक ऐसी क्रिया है की जिसका सिर्फ नुक्सान ही है, बावजूद इसके नशे की लत लोगों को ऐसी लग जाती है की छूटती ही नहीं| ये नशा ना सिर्फ शरीर को नुक्सान पहुंचाता है बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी ग्रसित करता है, जिसकी वजह से आपके अन्दर अन्य रोगों से लड़ने की शक्ति भी क्षीर्ण पड़ जाती है| इस लत से अपने आप को बचाये रखना/ दूर रखना ही एकमात्र उपाय है, क्यूंकि कोई भी ज्यादा से ज्यादा आपको समझा सकता है और कुछ नहीं कर सकता, ये निश्चय आपको ही करना है|

व्यायाम से शरीर की गतिमयता सुचारू रखें

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व्यायाम करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हो, इसके हालांकि कोई प्रमाण नहीं है लेकिन वैज्ञानिक शोधों को आधार मानते हुए इस बात को नकारा नहीं जा सकता| कारण काफी हद तक प्रत्यक्ष भी है की व्यायाम करने से अगर कोई दो क्रियाएँ प्रभावित होती हैं तो वो हैं रक्त संचार और श्वसन क्रिया (सांस लेने की क्रिया)| अब ये तो किसी भी समझदार व्यक्ति के लिए समझना आसान है की रक्त संचार और श्वसन क्रिया अगर सुचारू रूप से कार्य करती हों तो शरीर को अनगिनत फायदे हो सकते हैं| व्यायाम करने से व्हाइट ब्लड सेल बनने में मदद मिलती है और व्हाइट ब्लड सेल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने का काम करते हैं| श्वसन क्रिया के द्वारा शरीर को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है जो रक्त को शुद्ध करने का काम करता है| ये दोनों मिलकर शरीर को स्वस्थ बनाने का काम करते हैं और ये बात तो हम पहले ही बता चुके हैं की स्वस्थ शरीर और प्रतिरोधक क्षमता एक दुसरे की संपूरक होती हैं|

इस विषय में आपके लिए ध्यान देने की बात ये है की अगर आपकी दिनचर्या वैसे भी गतिशीलता वाली है यानी की आपको अपने दैनिक कार्यों के लिए काफी दौड़ धुप करनी पड़ती है तो आपको अलग से व्यायाम करने की आवश्यकता नहीं, लेकिन अगर आप करना चाहें तो कुछ हल्के स्तर के व्यायाम कर लें उतना ही काफी होगा| अगर आप दिन भर में काम आदि की वजह से ज्यादा गतिशील नहीं रह पाते और ज्यादा समय बैठ कर बिताना पड़ता है तो आपके लिए अति आवश्यक है की आप नियमित व्यायाम ज़रूर करें| व्यायाम के लिए एक और बात ध्यान रखने की है की शरीर की क्षमता के अनुसार ही व्यायाम किया जाना चाहिए, ऐसा नहीं सोचना चाहिए की अधिक से अधिक व्यायाम करने से ज्यादा लाभ मिलेगा, बल्कि इससे नुक्सान हो सकता है| याद रहे लाभ अधिकता में नहीं नियमितता में है|

साफ़ - सफाई का ख्याल रखें

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साफ़ सफाई का कोई भी सीधा सम्बन्ध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने से नहीं है| बल्कि ये एक अतिरिक्त प्रयास है शरीर को रोग मुक्त रखने का| जैसे शरीर के भीतर की कोशिकाएं आपको रोग से लड़ने की क्षमता प्रदान करती हैं और आपको सुरक्षित रखती हैं उसी प्रकार साफ़ सफाई का ख्याल रखते हुए आप बाहरी प्रयास करते हैं अपने आपको सुरक्षित रखने का| शरीर की सफाई के साथ साथ आपको अपने घर और आस पास की सफाई का भी ख्याल रखना चाहिए| शरीर की सफाई तो नित्य कर्म और स्नानादि से पूरी हो जाती है जो आप नियमित करते ही होंगे, लेकिन अपने घर और उसके इर्द गिर्द फैली गन्दगी को साफ़ करना उतना ही ज़रूरी है क्यूंकि गन्दगी में ही पैदा होते हैं हानिकारक कीटाणु जिन्हें बाद में रोकने का प्रयास करने से बेहतर है की उन्हें पैदा ही ना होने दिया जाये|

पुरानी बीमारी आदि को नियंत्रण में रखने का प्रयास करें

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अस्थमा, डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम आदि कुछ ऐसी बीमारियाँ होती हैं जिनका इलाज व्यक्ति को निरंतर करते रहना पड़ता है और इन्हें नियंत्रित रखना पड़ता है| अक्सर ये देखा जाता है की जिन व्यक्तियों में ऐसी बीमारियाँ होती हैं उनके अन्दर रोगों से लड़ पाने की क्षमता कम हो जाती है, जिसका कारण है की शरीर की कोशिकाएं तो इस मौजूद बीमारी से लड़ने में व्यस्त हैं इसलिए किसी भी प्रकार के अतिरिक्त इन्फेक्शन से लड़ने के लिए शरीर में उतनी शक्ति नहीं रहती| इसलिए ज़रूरी है की ऐसे व्यक्ति अपनी इन बिमारियों को दवाओं और खान पान के ज़रिये नियंत्रण में रखें जिससे उन्हें अन्य किसी रोग से लड़ पाने में मुश्किल का सामना ना करना पड़े|

आवश्यकता हो तो दुष्प्रभाव रहित हर्बल पूरक तत्वों का इस्तेमाल करें

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अगर आपको लगता है की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले तत्व आप नियमित रूप से अपने आहार में शामिल नहीं कर पा रहे हैं तो बेशक इन तत्वों की पूर्ति के लिए कुछ अतिरिक्त पूरक तत्व का सेवन कर सकते हैं| ऊपर बताये गए तत्व यानी विटामिन और मिनरल आदि बाज़ार में दवाइयों के रूप में भी उपलब्ध होते हैं जिनका सेवन करना आसान होता है| लेकिन दो बातें आपको ध्यान में रखनी चाहिए: पहली ये की किसी ख़ास वजह से जैसे की व्यस्तता के कारण या अकेले रहने के कारण अगर आप संतुलित आहार नहीं ले पा रहे हैं तो ही ऐसा करें वर्ना संतुलित आहार से बेहतर कोई विकल्प नहीं होता| दूसरा ये की इस तरह के पूरक तत्व दो प्रकार के मिलते हैं एक तो रासायनिक पदार्थों से बने और दूसरे हर्बल पदार्थों से बने, तो आपको हर्बल पदार्थों से बने हुए पूरक तत्वों का ही सेवन करना चाहिए क्यूंकि इन पूरक तत्वों के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते|

योगा करने से भी फायदे बहुत हैं

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योगा करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, ये शायद आपको नहीं मालुम था तो चलिए हमने बता दिया| ऐसा हम सिर्फ इसलिए नहीं कह रहे की ये हमारी अपनी पारंपरिक व्यायाम शैली है बल्कि इसके फायदों की वजह से इसके अंदरूनी विज्ञान की चर्चा दूर दूर तक होने लगी है और विदेशों तक भी ज्यादा से ज्यादा लोग इसे अपनाने लगे हैं| योगिक क्रियाओं में किये जाने वाले आसन शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त संचार को सुचारू बनाते हैं जिससे उनमे कार्य करने की क्षमता बेहतर बनी रहती है| अलग अलग आसनों के अलग अलग फायदे हैं और आपको बस अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार उचित आसनों का चयन करना है और उन्हें नियमित करते रहना है| आज कल तो योग सीखने के लिए आप बड़ी आसानी से इन्टरनेट और यूट्यूब की मदद ले सकते हैं|

मेडिटेशन से तनाव को कम रखने का प्रयास करें

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तनाव यानी की स्ट्रेस से लड़ने के लिए जिन हॉरमोंस का संचार शरीर में होता है उनका एक साइड इफ़ेक्ट ये है की वो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर उल्टा असर डालते हैं और ये शक्ति थोड़ी कमज़ोर पड़ने लगती है| फलस्वरूप ऐसे वक्त में आपके शरीर में रोग उत्पन्न होने की सम्भावना बढ़ जाती है| अतः प्रयास ये होना चाहिए की किसी भी प्रकार का तनाव हो उसे अपने मन पर ज्यादा हावी नहीं होने दें| इस स्थिति में आपको मेडिटेशन करने से लाभ मिल सकता है| मेडिटेशन यानि की ध्यान को केन्द्रित करने की क्रिया जिससे आप अपने मन को शांत कर सकते हैं| इस काम के लिए योगा में भी कुछ एक आसन होते हैं जिन्हें सही तरह से करके अपने ध्यान को केन्द्रित करते हुए मस्तिष्क में रक्त संचार को संतुलित किया जा सकता है और तनाव को कम या ख़त्म किया जा सकता है|

नींद पूरी होनी चाहिये

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शरीर का स्वास्थ्य और रोगों से लड़ने की क्षमता इस बात पर भी निर्भर करती है की आपके शरीर को पर्याप्त आराम मिल रहा है या नहीं| वैज्ञानिकों के मतानुसार 24 घंटे में 8 घंटे की नींद शरीर के लिए आवश्यक होती है, लेकिन अगर किसी कारण इतना मुमकिन ना हो सके तो भी 6 घंटे की नींद तो कम से कम हर व्यक्ति को लेनी ही चाहिए| इस आवश्यकता के पीछे कई कारण हैं जिनमे से एक है आपके मस्तिष्क, शरीर की मांसपेशियों और ह्रदय को आराम मिलना| इनमे से ह्रदय और मस्तिष्क की क्रिया तो नींद के दौरान भी रूकती नहीं लेकिन जागी हुई अवस्था से काफी हद तक इन्हें कम परिश्रम करना पड़ता है| दूसरा ये की नींद के दौरान शरीर में एक विशेष प्रकार के प्रोटीन का संचार होता है जिसे साइटोकीन्स कहते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के रूप में काम करता है| इसके कारण ही सोते समय काफी अच्छी मात्रा में शरीर के अन्दर डीटॉक्सीफिकेशन की प्रक्रिया होती है जिसे साधारण शब्दों में शरीर की अंदरूनी सफाई कहा जा सकता है|

इस प्रक्रिया को पूरा होने के लिए पर्याप्त नींद आवश्यक है क्यूंकि जागी हुई अवस्था में तो ये होगी ही नहीं| अब ये बात आ सकती है की आपके पास नींद पूरी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है तो इसके लिए कुछ उपाय तो आप कर सकते हैं, जैसे अगर रात में पूरा समय नहीं मिल पाता तो दिन में 1 घंटे की नींद लेकर भी आप काम चला सकते हैं| वैज्ञानिकों ने शोधों के ज़रिये ये निष्कर्ष निकाला है की वैसे तो रात की नींद ही सबसे महत्वपूर्ण होती है लेकिन मजबूरी के चलते रात में आपको 3 या 4 घंटे की ही नींद मिल सकती है तो दिन में या तो एक बार 1 घंटे आराम कर लें और ये भी नहीं तो दो बार अलग अलग समय पर 20 मिनट का आराम ज़रूर कर लें| अगर इतना आप कर सकें तो नतीजे लगभग वैसे ही मिल पाएंगे और आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक रह पायेगी| अब अगर इनमे से भी कोई उपाय आपके काम नहीं आ सकता तो आपके शरीर को कुछ नुक्सान तो झेलना पड़ ही सकता है|

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए कुछ अन्य आवश्यक जानकारी

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    ऊपर बताई गई बातों का पालन अगर नियमित रूप से किया जाये तो आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काफी हद तक सुद्रढ़ रह सकती है| इसके अलावा कुछ और तथ्य हैं जिनके बारे में आपको जान लेना आवश्यक है

    उम्र के अनुसार आवश्यकताओं का आंकलन करें
  • उम्र का विशेष प्रभाव शरीर की क्षमताओं पर पड़ता है और अलग अलग उम्र वाले व्यक्तियों की आवश्यकता एक समान नहीं हो सकती, मसलन किसी जवान व्यक्ति में रोगों से लड़ने की क्षमता आम तौर पर एक वृद्ध व्यक्ति से अधिक हो सकती है| इसलिए ज़रूरी है की आप भी अपनी उम्र के अनुसार शरीर की आवश्यकता का आंकलन करें और उन्हें पूरा करने की कोशिश करें| इसका मतलब ये नहीं की अब तक बताई गई बातें एक वृद्ध व्यक्ति के काम की नहीं हैं| ऊपर बताई गई बातें हर किसी के लिए एक जैसी और आवश्यक हैं अगर फर्क है तो बस इनकी मात्रा का यानि की आहार कितना लें, व्यायाम कितना करें, आराम कितना करें आदि|
  • शरीर की जल आपूर्ति का भी विशेष ख्याल रखें
  • शरीर की पाचन क्रिया, शरीर के तापमान को संतुलित रखने की क्रिया, शरीर की कोशिकाओं में पोषक तत्वों को पहुँचाने की क्रिया, शरीर की गन्दगी को साफ़ करने की क्रिया ये सब बिना जल के संभव नहीं हो सकती इसलिए आपके शरीर को जल की आवश्यकता भोजन से भी ज्यादा है| इसका प्रमाण आप प्राकृतिक रूप से भी देख सकते हैं की आपको दिन में कितनी बार भूख लगती है और कितनी बार प्यास लगती है| तो अपने शरीर में जल आपूर्ति का भी विशेष ख्याल रखें|
  • तनाव लेने की ज़रूरत नहीं सिर्फ कुछ नियमितता से ही काम चल जायेगा
  • ऊपर बताई गई सारी बातें वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं| इनका अनुपालन करने से आप अपने भीतर रोग प्रतिरोधक प्रणाली को सुद्रढ़ कर सकते हैं| जानकारी के विस्तार से आप विचलित ना हों, ये सब आम तौर पर अपनाई जाने वाली क्रिया ही है जिन्हें आप रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में आसानी से अपना सकते हैं| बस ख्याल रखना है तो नियमितता का और आप भी आजीवन स्वस्थ रह सकते हैं|

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मास्क जरूर लगाएं

हम आशा करते हैं कि हमारा यह अनुछेद आपके लिए मददगार साबित हुआ होगा । यहां हम आपको एक और टिप देंगे कि आप जब भी प्रदूषण वाली जगहों पर जाएं या कहीं भीड़भाड़ वाली जगह पर जाए तो मास्क जरूर लगा ले और हो सके तो एक छोटा सैनिटाइजर भी अपनी जेब में रख ले ।