प्रोबायोटिक्स के विभिन्न प्रकार शरीर में अलग-अलग कार्य करतें हैं : यहां हमारे शरीर में प्रोबायोटिक्स की प्रमुख भूमिका का वर्णन किया गया है,यह हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है,और साथ में कुछ खाद्य पदार्थ की सूचि है,जिनमे प्रोबायोटिक्स होते है।(2020)

प्रोबायोटिक्स के विभिन्न प्रकार शरीर में अलग-अलग कार्य करतें हैं : यहां हमारे शरीर में प्रोबायोटिक्स की प्रमुख भूमिका का वर्णन किया गया है,यह हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है,और साथ में कुछ खाद्य पदार्थ की सूचि है,जिनमे प्रोबायोटिक्स होते है।(2020)

प्रोबायोटिक्स जीवित बैक्टीरिया हैं,जिनको आपके शरीर के कामकाज और आपके स्वास्थ्य के लिए "अच्छा" या लाभदायक माना जाता है। इस लेख में सबसे लोकप्रिय प्रकार के प्रोबायोटिक्स का विश्लेषण किया गया है,कि वे कैसे काम करते हैं। प्रोबायोटिक्स आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को पुनः स्थापित करने में सहायता करते हैं। इनके असंतुलन से हानिकारक बैक्टीरिया के बढ़ने का खतरा होता है। बहुत से अध्यन में यह सामने आया कि प्रोबायोटिक्स खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में सहायता करता है।

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प्रोबायोटिक्स किस प्रकार हमारे लिए उपयोगी है ।

    आंत स्वास्थ्य में सहायक :

  • शोधो द्वारा यह देखा गया है कि प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते है और ये आपके अच्छे स्वस्थ्य में सहायता करते है। ये आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को पुनः स्थापित करने में सहायता करते हैं। इनके असंतुलन से हानिकारक बैक्टीरिया के बढ़ने का खतरा होता है जिससे आपको बीमारिया हो सकती है। यदि आपका पाचन तंत्र पूरी तरह स्वस्थ होता है, तो ये हानिकारक बैक्टीरिया को दूर करता है। हानिकारक बैक्टीरिया के कारन कई प्रकार की समस्याएं जैसे पाचन समस्या और मोटापा आदि हो सकता है। यह उस दौरान भी संतुलन को पुनः स्थापित करने में सहायता करता है यदि आप किसी बीमारी से गुजर रहे हैं।
  • दस्त को रोकता है :

  • गंभीर दस्त को कम करने में सहायता करता है, जोकि एंटीबायोटिक्स के सेवन का जाना माना दुष्प्रभाव है। एंटीबायोटिक्स के सेवन आपकी आंतो में मौजूद अच्छे बैक्ट्रिया की मात्रा में असंतुलन उत्पन्न कर सकता है। शोधो द्वारा यह सिद्ध हुआ है कि विशेषकर ऐसे मामलो में प्रोबायोटिक्स मददगार होते है। यह बहुत हद तक डायरिया की गंभीरता को भी कम कर सकता है और यात्री की डायरिया की संभावना को भी कम करता है। हलाकि, इसका प्रभाव इसके सेवन की मात्रा पर निर्भर करता है, और अलग अलग व्यक्तियों में इसका प्रभाव भिन्न होता है।
  • स्वस्थ हदय प्राप्त करने में सहायता करता है :

  • यहाँ बहुत से अध्यन है जो ये बताते है कि प्रोबायोटिक्स खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में सहायता करता है। इसके आलावा, यह भी पाया गया है कि लैक्टोबैसिलस जैसे प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर में रक्त चाप के स्तर को कम करता है। यह विटामिन डी के स्तर को भी बढ़ा सकता है जो रक्त चाप को नियंत्रण में रखता है। आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल से बनने वाले पित्त को यह तोड़ सकता है, और यह इसे पुनः आंत में अवशोषित होने से रोकता है।

    मल त्याग में सहायक :

  • प्रोबायोटिक्स पाचन में सहायता करता है और फलस्वरूप यह मल त्याग में भी सहायक होता है। ये अल्सरेटिव कोलाइटिस और शीघ्रकोपी मल त्याग की समस्या के इलाज में भी सहायता करते है। ये प्रसव के पूर्व शिशुओं में नेक्रोटाइजिंग एंटरकोलाइटिस के खतरे को भी कम करते है।
  • एल्लेर्जियो के खतरे को कम करते है :

  • प्रोबायोटिक्स एलर्जी सूजन के प्रभावो को कम करते है। कुछ प्रोबायोटिक्स शिशुओं और बच्चो में इज़ेम के प्रभावो को भी कम कर सकते है। किये गए अध्यनो से यह पता चलता है कि वे शिशु जिन्हे किण्वित दूध पिलाया गया उन शिशुओं में एक्जिमा के लक्षणों में सुधार जल्दी दिखाई दिया। इसके आलावा, वे शिशुए जिनकी माताओ ने प्रोबायोटिक्स ग्रहण किया था, वे भी दो वर्ष की आयु तक इज़ेम से मुक्त हो जाते है। यह डेयरी एलर्जी वाले लोगो के लिए भी सहायक है।
  • यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है :

  • अच्छे बैक्टीरिया आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है और हानिकारक बैक्टीरिया को अनियंत्रित रूप से बढ़ने से रोकते है। यह विटामिनो को सोखने और तोड़ने में सहायता करते है और साथ ही विभिन्न दवाओं को अवशोषित करने में भी सहायता करते है। कुछ प्रोबायोटिक्स शरीर में एंटीबॉडीया बनाने में भी सहायता करती है। इससे टी लिम्फोसाइट्स और आईजीए उत्पादक कोशिकाओं जैसी प्रतिरक्षा कोशिकाओं को बढ़ावा मिलता है। यह श्वास सम्बंधित बीमारियों के होने के खतरे को भी कम करता है और महिलाओ में मूत्र मार्ग में संक्रमण के खतरे को रोकता है।

प्रोबायोटिक्स के प्रकार ।

बिफीडोबैक्टीरिया ।

यह बैक्टीरियाओ का एक समूह होता है जिसका उपयोग कुछ ऐसी स्थितियों में किया जाता है :- जो आपकी आंतों को प्रभावित करती हैं। यह बैक्टीरिया का सेट लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया के बड़े समूह का एक भाग होता है। इस प्रकार के बैक्टीरिया आमतौर पर किण्वित खाद्य सामग्री जैसे पनीर या दही में पाया जाता है। यहाँ कई प्रकार के बैक्टीरिया होते है, और शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने इस प्रकार के लगभग 50 बैक्टीरिया को ढूंढ लिया है।

बिफीडोबैक्टीरिया फाइबर और विभिन्न जटिल कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सहायता कर सकता है :- जिन्हे पचना कठिन होता है। ये लाभदायी बैक्टीरिया शार्ट-चैन फैटी एसिड पैदा करते है जो आंतो की स्वस्थ्य के लिए लाभदायक होते है और साथ ही भूख को नियंत्रण करने में भी सहायता करती है। वे विषाक्त पदार्थों को रक्तप्रवाह में पारित होने से भी रोकते हैं। साथ ही इनका उपयोग अल्सरेटिव कोलाइटिस और पाउचिटिस के इलाज में भी किया जाता है। यह आंत्र रोग का एक ज्ञात उपचार है। यह आंतो में अच्छे बैक्टीरिया के आदर्श स्तर को पुनः स्थापित करने में सहायता करता है यदि आंत में कोई स्वस्थ्य समस्या होती है।

यह चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम को कम करने में सहायता करता है :- साथ ही यह दुष्प्रभाव जैसे चिंता और अवसाद को कम करने में सहायता करता है। यह वायु मार्ग में इन्फेक्शनो को होने से रोकने में सहायता करता है। इनका उपयोग अन्य अच्छे बैक्ट्रिया के साथ दस्त के उपचार में किया जाता है। बैक्टीरिया का यह रूप शिशुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, और जो स्तनपान कर रहे हैं उनमें इस बैक्टीरिया के उच्च स्तर लाभ हैं। यह बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायता करता है और साथ ही बच्चों में आंत की दीवार को बनाए रखने में भी सहायता करता है।

बिफीडोबैक्टीरिया की मात्रा को बढ़ाने के लिए :- आपको उच्च फाइबर युक्त खाद्य और वह खाद्य जिनमे पोलीफेनोल पाए जाते है उनका सेवन करना होगा। ग्रीन टी और रेड वाइन में बहुत अधिक मात्रा में पोलीफेनोल पाया जाता है और यह बिफिडाबैक्टीरिया की मात्रा को बढ़ाने में सहायता करता है। आप साबुत अनाज और किण्वित भोजन का सेवन भी कर सकते हैं।

बी. अनिमालिस ।

Source actino.jp

बी. अनिमालिस (बिफीडोबैक्टीरियम अनिमालिस) मानव की आंतो में पाए जाते है और आंतो का एक महत्वपूर्ण भाग है :- यह संक्रमण से लड़ने में सहायता करता है और यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए उपयुक्त है। इसे शिशुओं में तीव्र दस्त को रोकने के लिए जाना जाता है। अध्यन यह बताते है कि यह बैक्टीरिया इनुलिन के साथ मिलकर बच्चो में गंभीर दस्त को रोकता है। इसका लाभ उन महिलाये पर भी देखा गया है जिन्हे कब्ज की समस्या थी।

बी. अनिमालिस के साथ किण्वित दूध के संयोजन से शौच की स्थिति में अच्छे प्रभाव देखने को मिलते है :- बी. अनिमालिस इनुलिन के साथ, एच. पाइलोरी संक्रमण के इलाज के दुष्प्रभावों को कम करता है। यह कोल्ड या फ्लू के संक्रमण की संभावना को कम करता है। यह बच्चो को प्राकृतिक रूप से बड़े होने में भी सहायता करता है।

बी. ब्रीव ।

बिफीडोबैक्टीरियम ब्रीव (बी. ब्रीव) एक लाभदायी बैक्टीरिया है :- जो स्तन के दूध में और मानव के जठरांत्र संबंधी मार्ग में पाया जाता है। यह बैक्टीरिया एलर्जीया और विभिन्न अन्य आंतों में संक्रमण को रोकता है। बच्चो में यह सूजन को रोकता है। अध्यनो से यह पता चलता है कि यह त्वचा में हाइड्रेशन स्तर को और स्पष्टता को बढ़ाने में सहायता करता है। यह इज़ेम के खतरे को कम करने में सहायता करता है।

विभिन्न अणुओं को पचाने की इसके गुण के कारण यह हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ सकता है :- आंत में इस बैक्टीरिया के अभाव से पाचन संबंधी बीमारियाँ हो सकती है। यह ई. कोली के विकास को भी कम करता है। यह आपके रोग प्रतिरक्षा स्तर को भी बेहतर बनाने में सहायता करता है।

बी. लैक्टिस ।

बिफीडोबैक्टीरियम लैक्टिस (बी. लैक्टिस) एक प्रोबायोटिक बैक्टीरिया है जो आंतो में पाया जाता है :- यह आपके शरीर में पाचन क्षमता को बढ़ाने और ट्यूमर कि बढ़ोतरी को रोकने के लिएर भी जाना जाता है। यह आपके शरीर के आंतो में व्यर्थ उत्पादों को तोड़ने और, खनिज और विटामिनो को सोखने में भी सहायता करता है।

यह आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायता करता है विशेषकर बुजुर्गो में :- यह टी-कोशिकाओं कि गतिविधियों को बढ़ता है और सामान्य सर्दी और फ्लू की संभावना को कम करता है। बी. अनिमालिस भी रक्त शर्करा के नियंत्रण तंत्र को बेहतर बनाता है और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देता है।

बी. लोंगम ।

बिफीडोबैक्टीरियम लोंगम (बी. लोंगम) एक रोड-आकार, ग्राम पॉजिटिव बैक्टीरिया है :- जो हमारे जठरांत्र संबंधी मार्ग में पाया जाता है। यह भी हमारे भोजन ग्रहण की प्रक्रिया में एक भूमिका निभाता है। बी. लोंगम बैक्टीरिया की उपजातियों में से एक को शिशुओं में पोलियो-रोधी प्रतिक्रिया के लिए जाना जाता है। यह भी मध्यम आयु के लोगो की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है और कई प्रकार के रोगजनकों की बढ़ोतरी को रोकता है। इसी बैक्टीरिया की एक उपजाति अनुपचारित सीलिएक रोग के लक्षणों को कम करता है।

यह आपकी आंतो में कठोर से कठोर अवस्था में भी जीवित रह सकता है :- और यह पीएच असंतुलन और पेट में एसिड का सामना भी कर सकता हैं। यह बच्चो और शिशुओं में सामान्य रूप से पाया जाता है। यह बैक्टीरिया शिशुओं में माता से आता है। यह बैक्टीरिया आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता पर शक्तिशाली प्रभाव दिखता है और हानिकारक रोगो से लड़ने के लिए क्षमता प्रदान करता है।

लैक्टोबैसिलस ।

यह बैक्टीरिया की एक ओर ग्राम-पॉजिटिव जाति है जो हमारे लिए सहायक है :- यह लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया समूह का एक भाग भी है। मानव में ये मूत्र प्रणाली, जननांग प्रणाली और पाचन तंत्र में पाए जाते है। ये कठोर परिस्थितियों में भी पनपने के लिए जाने जाते है। मानव शरीर के साथ इनका सहजीवी संबंध होता है, जहां हम इन्हे आवश्यक खनिज और पोषण प्रदान करते है और ये बैक्टीरिया हमे हानिकारक रोगाणुओं से सुरक्षित रखते है। यह एक्जिमा को रोकने और योनि में संक्रमण और दस्त का इलाज करने में हमारी सहायता करते है।

यह आमतौर पर दूसरे प्रोबायोटिक्स के साथ ही प्रशासित किये जाते है :- और यह आंत्र सिंड्रोम वाले लोगों के लिए लाभदायी होते है। यह एच. ​​पाइलोरी के विरुद्ध लड़ने में भी सहायता करते है जो हमारे शरीर में कैंसर का कारण बनते हैं। यह बच्चो में पेट के दर्द को कम करने और एंटीनिओटिक्स के सेवन के कारन हुए दस्त के विरुद्ध लड़ने में भी सहायता करता है। इस बैक्टीरिया की कुछ जातियाँ कुछ विशिष्ट एलर्जी जैसे सामान्य सर्दी आदि को रोक सकती है। यह बच्चो में कोलिक को रोकने और संभावित माताओ में मधुमेय की रोकथाम में सहायता करते है। यह बैक्टीरिया कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में भी सहायक होते है। यह शिशुओं के वायु मार्ग में इन्फेक्शन की रोकथाम में सहायक होता है।

एल. एसिडोफिलस ।

लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस (एल. एसिडोफिलस ) दही और अन्य किण्वित खाद्य सामग्रियों में पाया जाता है :- ये चीनी को लैक्टिक एसिड में बदल देते है और ये लैक्टिक एसिड बनाने वाले बैक्टीरिया समूह का ही एक भाग है। इनका उपयोग कुछ बीमारिया जैसे मधुमेह, दस्त, ई.कोली के सक्रमण, खमीर संक्रमण और एक्जिमा के इलाज में किया जा सकता है।

अध्यनो से भी यह पता चला है कि ये अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को व्यवस्थित करने में सहायता करते है :- एल. एसिडोफिलस विभिन्न प्रकार के जीवाणु असंतुलन के कारण हुए योनि संक्रमण और बैक्टीरियल वेजिनोसिस की रोकथाम में भी सहायक होता है। यह अवसाद की रोकथाम में भी सहायता कर सकता है। यह पाचन और आपके वजन के नियंत्रण में भी सहायता करता है।

एल. रुतेरी ।

लैक्टोबैसिलस रुतेरी (एल. रुतेरी) एक ओर अन्य लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया की प्रजाति है :- जो आंतो में पायी जाती है। इसका उपयोग नेक्रोटाइजिंग कोलिटिस के इलाज में किया जाता है जो संक्रमण का कारण है और यह शिशुओं के लिए खतरनाक होता है। साथ ही इसमें सूजनरोधी गुण भी होते है। यह बच्चो और व्यस्को में पेट के दर्द को कम करने में सहायता करता है।

यह एंटीबायोटिक्स के सेवन से हुए दस्त के विरुद्ध और कब्ज़ के विरुद्ध सफलतापूर्वक लड़ने में सक्षम है :- अन्य कई प्रोबायोटिक बैक्टीरिया के जैसे ही, यह भी एच. पाइलोरी के उपचार में और इसे दूर करने में सहायता करता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और बच्चो में एक्जिमा की रोकथाम का सहायता करता है।

स्ट्रेप्टोकोकस थर्मोफिलस ।

हलाकि यह अधिक प्रसिद्ध नहीं है, किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि यह हमारे लिए लाभदायक नहीं है :- यह मानव के लिए कई प्रकार से लाभदायक है। यह अचल है और ऑक्सीजन युक्त प्रक्रिया के बिना ही छोटी आंत में किण्वन शुरू कर सकता है। साथ ही यह उच्च ताप पर भी जीवित रह सकता है। इसके इसी प्रकार के गुण इसे उपयोगी बनाते है और इसका उपयोग डेयरी उत्पादों के किण्वन में किया जा सकता है। आप इसका नाम भ्रमित कर सकता है, यह म्यूकोसल सतहों पर नहीं टिक सकता है। यह सेवन के लिए एक सुरक्षित प्रोबायोटिक है और इसका उपयोग डेयरी उत्पादन बनाने में किया जाता है।

यह प्रतिरोधी तंत्र के लिए भी लाभदायी है और उन रोगाणुओं से लड़ता है :- जो मूत्रजननांगी प्रणाली और जठरांत्र संबंधी मार्ग में प्रवेश करते है। प्रोबायोटिक आंतो में सूजन से लड़ने में भी सहायता करते है। नवजात शिशुए जिनका उपचार एस. थर्मोफिलस और बी.बिफिडम से किया जाता है, उनमे रोटा वायरस का खतरा बहुत कम होता है। यह लैक्टोज पाचन सहित पाचन में सुधार करने में भी सहायता कर सकता है और तीव्र दस्त को कम कर सकता है।

सैच्रोमाइसेस बुलार्डी ।

सैच्रोमाइसेस बुलार्डी किण्व का ही एक रूप है और इसे आमतौर पर एक बेकर किण्व और शराब बनाने वाला किण्व कहा जाता है :- इसे एक प्रोबायोटिक के रूप में भी लिया जा सकता है और यह आंत में रोगाणुओं से लड़ने में भी सहायक है। यह आम तौर पर मैंगोस्टीन और लीची जैसे पौधों की त्वचा पर पाया जाता है। इसे पारम्परिक रूप से दवाइयों में उपयोग किया जाता है और यह एक आहार पूरक के रूप में भी उपलब्ध है।

यह क्रोहन रोग, चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम, अल्सरेटिव कोलाइटिस और दस्त आदि से लड़ने में आपकी सहायता कर सकता है :- यह बच्चो और शिशुओं में दस्त की सीमा को कम करने में सहायता कर सकता है ये दो घंटे से एक दिन के बिच कुछ भी हो सकता है। यह शिशुओं में रोटा वायरल डायरिया की अवधि को भी कम कर देता है, और कुछ लोग इसका इस्तेमाल मूत्र पथ के संक्रमण और लैक्टोज असहिष्णुता के विरुद्ध भी करते हैं। एस. बुलार्डी हानिकारक कोलेस्ट्रॉल, योनि संक्रमण, नासूर घाव आदि के विरुद्ध भी कार्य करता है।

कुछ खाद्य पदार्थ जिनमे प्रोबायोटिक्स होते है ।

Source medium.com

दही ।

यह प्रोबायोटिक्स का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जोकि अच्छे बैक्टीरिया से किण्वित है। दही हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ाता है और उच्च रक्त चाप वाले लोगो के लिए उपयोगी है। दस्त या अन्य पेट सम्बंधित समस्याओ में भी यह आपकी सहायता कर सकता है। इसमें बहुत अधिक मात्रा में विटामिन बी12 पाया जाता है और दही टाइप -2 मधुमेह के लक्षणों को कम करता है और कोलोरेक्टल कैंसर से हमारी रोकथाम करता है।

किमची ।

यह एक किण्वित मसालेदार साइड व्यंजन है जिसमे मुख्य समाग्री के रूप में बंदगोभी का उपयोग होता है। किमची में कई प्रकार के मसालों के मिश्रण का स्वाद होता है जिसमे अदरक और लहसुन भी सम्मलित है। इसमें लैक्टिक एसिड बनाने वाला लैक्टोबैसिलस किमची नामक बैक्टीरिया होता है जो पाचन में सहायता करता है।

केफिर ।

यह एक किण्वित पेय है जिसमे केफिर दानो को दूध में मिलाया जाता है। चटपटे और मलाईदार केफिर में कुछ प्रोबायोटिक बैक्टीरिया के साथ-साथ कुछ खमीर की प्रजातिया भी पायी जाती हैं। यह एक लैक्टिक एसिड बनाने वाला बैक्टीरिया होता है, और यह हड्डियों को मजबूत बनाने, आपको संक्रमण से बचाने और पाचन में सहायता करती है।

छाछ ।

यह एक किण्वित डेयरी पेय है और आमतौर पर यह घी बनाने के बाद बचा हुआ पेय होता है। इसमें बहुत कम मात्रा में वसा होता है और, फॉस्फोरस और कैल्शियम के साथ बहुत अधिक मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते है। आपके पारंपरिक छाछ का सेवन ही करना चाहिए क्योंकि सांस्कृतिक संस्कृत छाछ में पर्याप्त मात्रा में प्रोबायोटिक्स नहीं होते हैं।

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शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए व्यायाम और व्यवस्थित जीवन शैली महत्वपूर्ण है।

आंत को स्वस्थ बनाए रखना एक प्रोबायोटिक पूरक लेने से अधिक महत्वपूर्ण है। प्रतिदिन का आहार और व्यायाम भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि आपकी जीवन शैली आपके आंत के बैक्टीरिया को प्रभावित करती हैं। हालांकि, प्रोबायोटिक की खुराक आपको बहुत से लाभ देती है। इसलिए यदि आप अपने पेट को स्वस्थ और बेहतर बनाये रखना चाहते हैं, तो प्रोबायोटिक पूरक के साथ-साथ अपनी जीवन शैली पर भी ध्यान दें ।