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माता पिता द्वारा देखभाल के तरिके ।

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माता पिता द्वारा अधिनायक देखभाल ।

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माता पिता द्वारा अधिनायक देखभाल से तातपर्य है :- जब माता पिता बच्चे से अच्छे ऐसे अच्छे प्रदर्शन की मांग करते है, किन्तु उनकी सराहना करना या उनके प्रदर्शन के प्रति प्रतिक्रिया नहीं देते है। इसके आलावा, इस तरह के माता पिता कुछ इस प्रकार की बातें कहकर यह आशा रखते है कि बच्चे बिना कुछ कहे बस उनकी आज्ञा का पालन करे, जैसे 'जैसा मै कहता हु वैसा ही करो' या 'सवाल मत पूछो' या यह तक कह देते हैं कि 'तुम्हे जवाब देना मै जरूरी नहीं समझता हूँ'।

इस प्रकार की माता पिता द्वारा देखभाल में बहुत कठोर नियम दिया जाते है :- जहा बच्चे को बहुत कम छूट और बच्चे की छोटी छोटी गलतियों पर अनेको सजा दी जाती है। सज़ा के लिए, स्पैंकिंग को अक्सर उपयोग करने वाले इस प्रकार के माता-पिता बच्चो का सही पालन पोषण नहीं कर रहे हैं। इसके आलावा, वे अपने बच्चो की जरूरतों के प्रति कम जिम्मेदार है।

माता पिता द्वारा इस प्रकार की देखरेख की अन्य पहचान यह है :- कि बच्चे माता पिता के समक्ष कम बोलते है और केवल सुनते है। इस प्रकार के माता-पिता का यह मानना ​​है कि बच्चों को नहीं सुना जाना चाहिए केवल देखा जाना चाहिए और बच्चे की भावनाओं को भी नहीं मानना ​​चाहिए। इस प्रकार, बच्चे के पास नियमो के घेरे के बाहर अधिक स्थान नहीं होता है कुछ करने के लिए या किसी समस्या का समाधान नहीं कर पाते है। माता पिता द्वारा आधिकारिक देखभाल यदि बुरा नहीं तो देखभाल के बुरे प्रकारो में से एक है, भले ही इसके कुछ लाभ है लेकिन इससे बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इनमे में से कुछ दुष्प्रभाव नीचे बताये गए है।

माता पिता द्वारा आधिकारिक देखरेख ।

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शायद ये सुनने में अधिनायक देखरेख की तरह ही लगता है :- लेकिन आधिकारिक देखरेख में बहुत से विभिन्न प्रकार के अंतर है। माता पिता द्वारा अधिनायक देखरेख की तरह इसमें भी माता पिता बच्चे से उनकी खामियों के साथ ही एक उम्दा प्रदर्शन की मांग रखते है। इसके आलावा, ये अपने बच्चो को उनके लक्ष्यों के बारे में स्पष्टता से बोध कराते है, और स्पष्ट रूप से किन्तु नियमो में कुछ छूट के साथ।

अन्तरो की और बढ़ते है, इस प्रकार के माता पिता बच्चो का ललन पालन बहुत अच्छे से करते है :- उनके विषय में कोई भी निर्णय लेने के दौरान उनकी भावनाओ का ध्यान रखते है। इसके आलावा, बच्चे अपने भावनाये स्पष्ट रूप से दिखते है और माता पिता भी अपने बच्चो से अच्छे से वार्ता करते है और साथ ही उन्हें नियमो और निर्णयों के पीछे के कारनो को भी समझते है। इस प्रकार के माता-पिता बहुत स्नेही होते हैं और बच्चो में सकारात्मक व्यवहार का वहन और अपने बच्चों के लिए किसी भी व्यवहार की समस्याओं का समाधान करने के लिए बहुत समय और ऊर्जा का निवेश करते हैं।

इन सब मेहनतो के कारन ही, बच्चे बड़े होकर स्वतंत्र, खुश मिजाज, वैभवधारी और अकादमिक रूप में सफल होते है :- साथ ही उनमे उच्च आत्मसम्मान, महान सामाजिक कौशल, महान मानसिक स्वास्थ्य, और कम हिंसकता भी होती हैं। इस प्रकार के बच्चे जिम्मेदार, अपनी बहनो को व्यक्त करने में सफल, सुरक्षित रूप से खतरा उठाने और अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देंने में सक्षम होते है। इन्ही सब कारणों के लिए, आधिकारिक देखरेख को माता पिता द्वारा देखभाल की सबसे अच्छी शैली मणि जाती है और प्रत्येक माता पिता को एक आधिकारिक माता पिता होने का प्रयतंन करना चाहिए।

अनुमित अभिभावक ।

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माता पिता द्वारा इस प्रकार की देखभाल अधिनायक और आधिकारिक देखभाल दोनों से बहुत भिन्न होती है :- इसमें माता पिता नियम तो बनाते है लेकिन बच्चो पर अधिक दबाओ नहीं डालते है, और माता पिता मानते है कि उन्हें अपने बच्चो के जीवन में दखल नहीं देना चाहिए और इसीलिए ये अपने बच्चो के लिवन से ज्यादा जड़ित नहीं होते है। इसके आलावा अनुमित अभिभावक अनुमति दे देने वाले होते है और केवल तभी बच्चो के जीवन में दखल देते है जब बच्चा बहुत बड़ी किसी समस्या में फंस जाता है।

साथ ही ये माफ़ कर देने वाले होते है और परिणामों का अधिक चिंता नहीं करते है :- इनकी नींव भी बहुत कठोर नहीं होते हैं और ये आसानी से भूल जाते हैं। इस प्रकार के माता पिता बच्चो के लिए एक मित्र के जैंसे होते है और बच्चो के बुरे व्यव्हार और चयन को सुधरने के लिए भी अधिक प्रयत्न नहीं करते है। इस प्रकार के माता पिता अपने बच्चो से बहुत कम कि ही अपेक्षा रखते है और बहुत अच्छे से बच्चो का लालन पालन करते है।

माता-पिता की उदारता, कम अपेक्षा और कोई मार्गदर्शन न होने के फलस्वरूप, बच्चा बड़ा होकर शैक्षणिक रूप से कमजोर बनता है :- स्वयं माता पिता के लिए बहुत सी समस्या कड़ी कर देता है। इसके आलावा, इन बच्चो में बहुत कम आत्म-सम्मान, और अक्सर उदासी, अवसाद और निराशा का सामना करते है। क्योकि उन्हें किसी प्रकार के नियमो का पालन नहीं करना पड़ता है, उनमे व्यवहार की समस्या भी हो सकती है और बहुत सी स्वस्थ्य समस्या जैसे मोटापा और दंत समस्याएँ भी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है है क्योकि माता पिता बच्चो द्वारा जंक फ़ूड के सेवन को सिमित नहीं कर पाते है और न ही आदते जैसे दिन में दो बार ब्रश करना, चीनी युक्त खाद्य का सेवन करना आदि का पालन करवा पाते है।

असंबद्ध देखरेख ।

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यह दोबारा माता पिता द्वारा बुरी देखरेख शैली में से एक है :- माता पिता द्वारा देखरेख के इस प्रकार में, माता पिता बच्चे से बहुत कम अपेक्षा रखते है और साथ ही बहुत कम प्रतिक्रिया करते है, जिससे बच्चो पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नजरअंदाज करने वाले माता पिता बच्चो को अशी से नियमो का बोध नहीं कराते है और ये अपने बच्चो की जरूरतों और आवश्कताओ से अज्ञात रहते है। इस प्रकार के माता पिता उदासीन होते है और इनमे मानसिक समस्या भी हो सकती है, जो उनके बचपन के दौरान बाल दुर्व्यवहार या उपेक्षा के कारण हो सकता है।

नजरअंदाज करने वाले माता पिता के बच्चो के पास बहुत आजादी होती है :- और ये अपने बच्चो के जीवन में दखल नहीं देते है। इसके आलावा, इस प्रकार के माता पिता पाने बच्चो को अनुसाशन नहीं सिखाते है और साथ ही स्नेह या ललन पालन सही से नहीं कर रहे हैं। ये बच्चो से अच्छे से वार्ता नहीं करते है और बच्चो के साथ बहुत कम समय बिताते है। कुछ माता पिता जान बुझ कर इस शैली को अपनाते है जबकि कुछ अपनी समस्याओ से इतने घिरे होते है कि अपने बच्चो की तरफ इतना समय ही नहीं दे पाते है।

इस तरह की देख रेख में बड़ा हुआ बच्चा बड़े होने के बाद बहुत ही कम आत्मसम्मान वाला बनते है :- स्कूल में बुरा प्रदर्शन करते है और साथ ही इनका व्यव्हार भी बहुत बुरा होता है। इसके अलावा, इस प्रकार के बच्चे हमेशा उदासी महसूस करते हैं और बेहद आवेगी भी होते हैं। इस प्रकार के बच्चे अपनी भावनाओ अपर नियंत्रण और संवेदन रखने में असक्षम होते है और आम तौर पर नशे की लत की समस्या भी होती है। वे बच्चे जो माता पिता द्वारा एक असंबद्ध देखरेख से गुजरते है उनमे मानसिक और भावनात्मक समस्याएं या आत्मघाती व्यवहार की समस्या हो सकती है।

माता पिता द्वारा अधिनायक देखरेख के प्रभाव ।

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ऐसी परवरिश में बड़ा हुआ बच्चा सदैव सही चीज करने का प्रयत्न करता है और अधिकार बनाये गए नियमो का पालन करता है ।

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अधिनायक परवरिश से बच्चो पर पड़ने वाले बहुत कम लाभों में से एक है :- कि ऐसे बच्चे सदैव सही चीज को सही तरिके से करने का प्रयत्न करेंगे। यथार्थ यह है कि इस तरह की अधिनायक परवरिश में बड़ा होने वाले बालक को सही और गलत चीजों के बारे में स्पष्ट रूप से समझा दिया गया होता है, और यदि वे कुछ गलत करते है तो उन्हें सजा दी जाती है।

इसी के कारन, बालक उनके पुरे जीवनकाल के दौरान सही मार्ग पर ही चलते है :- उनके सभी निर्णय सही मार्ग और गलत मार्ग पर आधार पर होते है। साथ ही, इस तरह वे बहुत कम प्रतिक्रियावादी और आवेगी होते है। वे सही चीजे करने का प्रयत्न ही नहीं बल्कि सही मार्ग अपर चलते हिये कार्य को पूरा करने का प्रयत्न करते है।

इसके आलावा, ये बालक सदैव अपने से बड़े की बात सुनते है :- और वैसा ही करते है जैसा उन्होंने कहा है, फिर चाहे वह कार्य कितना ही मुश्किल क्यों न हो। यह निश्चित चिन्ह उन्हें शांति प्रेमी और शांत बनाता है, और उन्हें सबसे अच्छे व्यवहार वाले बच्चों में से एक साबित करता है।

इन बच्चो का व्यवहार बहुत अच्छा होता है हुए ये सदैव लक्ष्य उन्मुख होते है ।

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दोबारा, एक प्रमुख लाभ के अंतर्गत, यह उन बच्चों में ही होता है :- जो एक अधिनायकवादी ललन-पालन से बड़े और निपुण बनते हैं। क्योकि इन बच्चो से सदैव उच्चतम प्रदर्शन की आशा की गयी होती है, ये स्वयं अपना लक्ष्य निर्धारित करते है और उसे सफल बनाने के लिए जितना लगता है उतना पूरा समय देते है और मेहनत करते है।

ये बालक केवल एक लक्ष्य निर्धारित नहीं करते है और केवल उसी पर कार्य नहीं करते है :- बल्कि ये कई लक्ष्य निर्धारित करते है और यदि एक फेल हो जाता है तो दूसरे पर कार्य करते है। यह उन्हें लगातार और महत्वाकांक्षी बनाये रखने में सहायता करता है। इसके आलावा, ये सदैव अपने माता पिता को गर्वित महसूस करने के लिए कार्य करते है।

वे बालक जिनकी देखभाल अधिनायक माता पिता के अंतर्गत होती है :- वे विश्व भर के सबसे अच्छे व्यवहार वाले बालको में से एक होते है। ऐसा इसलिए क्योकि सुरुवात से ही उन्हें उनके छोटे से छोटे दुर्व्यवहार के लिए सजा दी गयी होती है और उनका यह मन्ना होता है कि यह पुनः हो सकता है यदि वे फिर ऐसा कुछ करते है तो।

बच्चो को वांछित परिणाम पाने और समाज को भिन्न नजर से देखने के लिए नियमों पर भरोसा करने के लिए मजबूर किया जाता है ।

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चलिए अब माता पिता द्वारा अधिनायक देखभाल के दुष्प्रभाव कि और चलते है :- वे बालक जो इस प्रकार के परवरिश में बड़े होते है उनके पास स्वतंत्र होने का विलास नहीं होता है। उन्हें सदैव अधिनायकों की आज्ञा का पालन करना सिखाया जाता है, इसलिए उन्हें स्वयं के लिए निर्णय लेने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।

इसीलिए, जब भी वे किसी बड़ी मुसीबत के सामने आ जाते है :- तो, या तो यह उनके लिए एक असंभव स्थिति बन जाती है या उन्हें इससे बहार निकलने के लिए दुसरो से सहायता मांगनी पड़ती है। इन्ही सब के चलते, यहां तक ​​कि जब उन्हें इस बात का ज्ञान होता हैं कि उन्हें एक विशेष कार्य करना है, तो भी वे संकोच करते हैं या करते ही नहीं हैं। वे ऐसा सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है जहां वे अपने अधिनायक माता-पिता द्वारा बचपन में बनाए गए छोटे से छोटे नियम को तोड़े बिना कर सके।

कई बार, जब जीवन में न ही बुरा और न ही अच्छा चयन शेष रह जाता है :- ये बालक निराशा से घिर जाते है या इससे भी बुरा क्योकि वे उनके लिए निर्धारित कर दिए गए नियमो के कारन सही चयन का पता नहीं लगा पाते है। यह सब समाज के प्रति उनके नजरिये को बदल देता है और वे अढिग दिमाग वाले बन जाते हैं क्योंकि उन्हें कभी भी आत्म निर्भित नहीं होने दिया जाता था।

बच्चे जो इस तरह की परवरिश से गुजरते है, उन्हें भावनात्मक समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है और उनमे मेल्टडाउन की समस्या हो सकती है ।

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आप संभावित यह सोच रहे होंगे है कि बच्चे जो इस तरह की परवरिश से गुजरते है :- वे अच्छे व्यवहार वाले और भावनात्मक और मानसिक रूप से से मजबूत होते है। हलाकि, मामला यह नहीं है और यह बच्चे भावनात्मक और साथ ही मानसिक दोनों रूप से कमजोर होते है। ऐसा इसलिए है क्योकि इन बच्चो की भावनाओं और उमंगो अपर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया। यह उनमे दूसरों के अस्वीकार्य और अविश्वसनीय होने के दृष्टिकोण को उत्पन करता है।

इन्ही करने के चलते, उनकी सभी भावनाये और उमंगें उनके अंदर ही दबी रह जाती है :- और जल्दी ही ये उनके लिए बड़ी समस्याएं उत्पन करती है। ये बालक अपने पुरे जीवन में उदास, दर्द और बहुत दुःख महसूस करते है। उन्हें सदैव कठोर सिधानंतो और नियमों के बारे में सिखाया जाता है जो उन्हें कई बार भ्रमित कर देता है और उनके जीवन में समस्या उत्पन कर देता है और ऐसे बालक एक ही समय में उदास और क्रोधित रहते है।

इसके आलावा, जीवन में निश्चित समय आने पर अपने भीतर संचय किये हुए भावनाओं और उमंगो के चलते ये बालक उधम भी मचा सकते है :- इसलिए, हालांकि ये बालक सामान्य रूप में अच्छी तरह से व्यवहार करने वाले हैं, और कभी-कभी नियंत्रण करने के लिए बहुत कठिन पर्यतन कर सकते हैं, तो साथ ही ये कभी भी विद्रोह कर सकते हैं।

बच्चो को आत्म सम्मान स्तर गिर जाता है और सामान्यो चीजों में भी उन्हें शोषण दिखाई देता है ।

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आत्म-सम्मान सफल होने के लिए आवश्यक सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है :- हलाकि यदि आप परवरिश के लिए अधिनायक शैली का उपयोग कर रहे है, तो आप स्वयं अपने बालक को दबा रहे है, उन्हें उनके बचपन के हर भाग में किसी भी प्रकार से गलत सिद्ध कर रहे है।

धीरे धीरे, बच्चा यह महसूस करने लगेगा कि वह पूरी तरह से असक्षम है और वह कोई भी कार्य अच्छे से नहीं कर सकता है :- इसके बाद, यदि ऐसा नहीं भी होता है तो भी वह अपने आत्म सम्मान के साथ साथ उसकी प्रतिभा को भी खो देगा। उसके बाद, उसके सफल होने के अवसर भी नष्ट हो जायेंगे, और दूसरों की तुलना में वह स्वयं की नज़र में भी असफल बन जायेगा।

क्योकि उसे उसके शुरुवाती जीवन से ही दबाया गया है :- लोगो द्वारा शोषण का यह व्यवहार उसके लिए सामान्य हो जायेगा, वह कभी भी शोषण का विरोध नहीं करेगा क्योकि उसे उनमे भी अपने माता पिता ही नजर आएंगे। इस तरह, शोषित होकर न केवल एक दुष्प्रभाव स्वयं पर पड़ेगा, बल्कि यह शोषण करने वालो को अन्य किसी का और भी बुरी तरह शोषण करने के लिए बढ़ावा देगा।

एक प्रभावशाली आधिकारिक माता पिता बनने के लिए सलाहें ।

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अपने बच्चे के जीवन से जुड़े रहिये, लेकिन उसे उन चीजों का चयन स्वयं करने दीजिये जिन्हे निश्चित करने में वह सक्षम हो ।

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यदि आप अपने बच्चे को बड़े होने के बाद एक उत्तम और परिपूर्ण व्यक्ति बनाना चाहते है :- तो यह एक बहुत महत्वपूर्ण सलाह है। इसीलिए, आपको अपने बच्चे के जीवन से जुड़े रहना चाहिए और उसे जीवन से जुड़े अच्छे और बुरे के ज्ञान देना चाहिए। उन्हें अपने द्वारा कि गयी गलतियों के बारे में बताइये ताकि वह अपने जीवन में उन्हें न दोहराये और उन्हें स्नेह और ललन-पालन पाने का महत्व समझाइये। उसे सक्षम और प्रतिभाशाली बनाइये, और उनके लिए ऐसी स्थति और परिणाम उत्पन कीजिये जहां वह जीवन के छोटे सबक सिख सके।

हालांकि, सजा और मर का उपयोग न करे, इसके बजाय, उनके हर बुरे व्यवहार के लिए उन्हें दिए गए छूट में से एक वापिस ले लें :- इसी तरह से एक अनुशासित और एक अच्छा व्यवहार वाला व्यक्ति बनाया जा सकता हैं। उनकी भावनाओं और उमंगो को ध्यान में रखते हुए एक स्पष्ट किन्तु उदार सीमाएँ निश्चित कर दे। इसके आलावा, उन्हें जिम्मेदारियों के बारे में सिखाइये और उन्हें बताइये कि गलतियां जीवन का ही एक भाग है और कोई भी व्यक्ति परिपूर्ण उत्तम नहीं होता है।

वह जैसा है उसे वैसा ही रहने दे, आपको बच्चो के लिए सभी निर्णय नहीं लेने चाहिए :- इसके बजाये उन्हें स्वतंत्र रहने दीजिये और साथ ही उन्हें छोटे छोटे निर्णय स्वयं लेने दीजिये। आप छोटी चीजों से शुरुवात कर सकते है जैसे रत के भोजन में वे क्या खाना चाहेंगे या अपना रूम वे किस समय साफ करना पसंद करते है और इसके बाद ही जीवन के बड़े निर्णयों कि और बढे।

उन्हें उपहार दे और उनके परिणामों के साथ-साथ अपने बच्चे द्वारा किये गए उत्तम प्रयासों की भी प्रशंसा करें ।

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यह भी एक अति महत्वपूर्ण सलाह है यदि आप एक अच्छे माता पिता बनना चाहते है :- जो एक प्यारे, अनुसाशित बच्चे को बड़ा करते है जो अच्छा प्रदर्शन करता है और जो सक्षम है। छोटे छोटे इनाम देकर, आप अपने बच्चे को एक निश्चित कार्य करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते है। हलाकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप अपने बच्चे को बहुत सरे महंगे महंगे उपहार लेकर दे दे।

उदाहरण के लिए, यदि बच्चा अपना कार्य समय पर पूरा नहीं करता है :- तो उसके लिए एक समय निश्चित कर दीजिये और यदि बच्चा आपके द्वारा निर्धारित किये गए समय से पहले ही अपना होमवर्क पूरा कर लेता हैं, तो आप उसे उसकी पसंद का नाश्ता दे सकते हैं, यदि बच्चा अपने बिस्तर पर नहीं सोता है, तो आप उसे हर रात एक स्टिकर दें सकते है कि यदि वह ऐसा करता है, या यदि वह सुबह बहुत देर से उठता है,

आप उसके लिए एक टाइमर सेट कर दे और यदि वह उससे पहले उठकर तैयार हो जाता है :- तो आप उसे अपने दोस्तों के घर पर सोने की अनुमति दे सकते हैं या उसे एक कही घूमने के लिए ले जा सकते है इत्यादि।साथ ही, जब वह चीजों को सही से करता है या कम कम से प्रयत्न करता है तो उसे डाटने की बजाये उसकी सराहना करे, इसके परिणामस्वरूप उसके आत्म सम्मान के स्तर में बढ़ोतरी होगी।

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अपने बच्चे के जीवन से जुड़े रहिये, लेकिन उसे उन चीजों का निर्णय स्वयं लेने दें,जिनमे वह रूचि रखता हो।

यदि आप अपने बच्चे को बड़े होने के बाद एक उत्तम और परिपूर्ण व्यक्ति बनाना चाहते है, तो यह एक बहुत महत्वपूर्ण सलाह है। इसीलिए, आपको अपने बच्चे के जीवन से जुड़े रहना चाहिए और उसे जीवन से जुड़े अच्छे और बुरे के ज्ञान देना चाहिए। उन्हें अपने द्वारा कि गयी गलतियों के बारे में बताइये ताकि वह अपने जीवन में उन्हें न दोहराये और उन्हें स्नेह और ललन-पालन पाने का महत्व समझाइये। उसे सक्षम और प्रतिभाशाली बनाएं।