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क्यों जाये जयपुर ?

हिस्टोरिक आर्किटेक्चर ब्यूटी।

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जयपुर सौंदर्य और सुंदरता से भरपूर है। इसको पिंक सिटी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पुराने जयपुर में ज्यादातर इमारतें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं। इसी प्रकार, यदि आप पुराने शहर का भर्मण करते हैं, तो आपको हर जगह गुलाबी माहौल देखने को मिलेगा ।उसके अलावा, जयपुर में बहुत सारे राजाओं ने अपने महल बनाये हुए है । इस लिहाज से जयपुर को एक्स्प्लोर करने के लिए अनगिनत जगह है। सबसे अच्छी बात यह है कि ये सभी सार्वजनिक स्थान देखने के लिए खुले हैं। राजस्थान सरकार ने भी इन स्त्रुक्टुरेस को महफूज़ रखने में पूरा योगदान दिया है।यदि आप इतिहास और पुरातत्व में रुचि रखते हैं, तो जयपुर आपके लिए परफेक्ट प्लेस है। आपको राजपूत शासकों के बारे में बहुत सी कहानियाँ जानने को मिलेंगी। आप टूरिस्ट गाइड हायर कर सकते हैं या स्थानीय लोगों की मदद ले सकते हैं।

स्थानीय हस्तशिल्प का अन्वेषण करें

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जयपुर कारीगरों की भूमि है। यहां देखने और खरीदने के लिए बहुत सारी खास चीज़े है । कपड़ो की बात करे तो यहां बन्धु, शिबोरी और लहेरिया की तकनीक की विशेषता के साथ-साथ ब्लॉक प्रिंटेड कपड़े भी मिलते हैं। इसके अलावा, आप यहाँ हाथ से बनाई गयी जुतिया खरीद सकते हैं जो राजस्थानी संस्कृति को दर्शाती हैं। उन्हें जरी और छोटे पोम पोम्स से सजाया गया है। जयपुर अपने अलग-अलग शिल्प जैसे नीले मिट्टी के बर्तन ,भव्य रत्न और उनसे बने आभूषण, क्लॉथ फैब्रिक कवर , डायरी और शो पीस के लिए भी मशहूर है । सच कहे तो शॉपिंग एन्जॉय करने वाले लोगो के लिए जयपुर स्वर्ग से कम नहीं है।

तीज का समृद्ध त्योहार |

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जयपुर में हर साल तीज का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा हिंदूओ का त्यौहार है जो आमतौर पर गर्मियों के महीनो में पड़ता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन के लिए समर्पित है। यहाँ आकर आपको तीज के उत्सव को देखने और मारवाड़ी संस्कृति का अनुभव करने का मौका मिलता है।पुरुष आमतौर पर रंगीन पगड़ी पहनकर हाथियों को रंगते हैं। यदि आपको सेल्फी लेना पसंद हैं, तो इस त्यौहार के दौरान आपको फोटो क्लिक करने के अनेको अवसर मिलेंगे । आप कुछ पुरुषों को अपनी मूंछें घुमाते हुए भी देख सकते हैं।महिलाएं भी बड़े जोश और उत्साह के साथ तैयार होती हैं। वे हाथो पर मेंहदी टैटू भी बनवाती हैं। जयपुर एक साहित्य उत्सव का भी आयोजन करता है जिसमें दुनिया भर से लोग शिरकत करते हैं। यह पांच रातों के लिए सर्दियों के मौसम में आयोजित किया जाता है।

जयपुर के स्थानीय भोजन को चखे।

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जयपुर का अपना एक शानदार इतिहास है जिसकी झलक इसके स्थानीय व्यंजनों में भी साफ देखी जा सकती है। जयपुर का पकवान दाल बाटी चूरमा काफी प्रसिद्ध है। बाटी को गेहूं के आटे से बनाया जाता है और दाल करी के साथ परोसा जाता है। वे लोग साथ में घी ,लड्डू और गुड़ भी परोसते हैं। आप इस डिश को दाल बाटी चूरमा रेस्टोरेंट में आजमा सकते हैं , जो बानी पार्क में स्थित है।जो लोग मांसाहारी भोजन पसंद करते हैं, उनके लिए जयपुर अद्भुत लला मास प्रदान करता है। जयपुर के राजपूत कमरे खास राजपूत भोजन के साथ एक शाही माहौल प्रदान करते है। लॉल मास यहाँ के सबसे लजीज व्यंजनों में से एक है।जयपुर अपनी अनेको मिठाइयाँ के लिए भी जाना जाता हैं। वहां का लक्ष्मी मिष्ठान भंडार बेस्ट है। वे कुछ कचौड़ी भी बनाते हैं, जिन्हें नाश्ते या शाम के नाश्ते में खाया जा सकता है। उनके पास कुछ स्थानीय स्वादिष्ट अचार और चटनी भी होती हैं जिन्हें आप खरीद सकते हैं।

जयपुर और उसके आस-पास के 10 घूमने लायक स्थान।

हवा महल।

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हवा महल जयपुर की अद्भुत सुंदरता का प्रतीक है। यह शहर के दिल में बसा हुआ है। इसे हवा महल भी कहा जाता है। सन 1799 में इसे सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में बनाया गया था।महल की बाहरी दीवार पर लगी 953 खिड़कियां पुरे महल के आकर्षण का केंद्र बिंदु है। खिड़कियां हनीकोंब के आकार में हैं जिससे गर्मियों में हवा आराम से आर-पार हो जाती है और घुटन नहीं होती । पुराने समय में, यह शाही परिवार का ग्रीष्मकालीन महल हुआ करता था।यह 5 मंजिला महल भगवान कृष्ण के मुकुट के रूप में बनाया गया है। राजा सराय प्रताप सिंह जो भगवान कृष्ण के भक्त थे उन्होंने यह हवा महल बनवाया था ।

इस जगह पर जाने का सबसे अच्छा समय सुबह का है जब सूरज की सुनहरी रोशनी से महल चमक उठता है।हवा महल सुबह 9:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है। भारतीय नागरिक के लिए प्रवेश शुल्क 10 रुपये है जबकि विदेशियों के लिए प्रवेश शुल्क 50 रुपये है। जयपुर में आने के बाद इस जगह का दौरा करना न भूले । इसके अलावा, हवा महल के विपरीत बालकनियों में बहुत सारे कैफे हैं। बालकनी पर खड़े होकर एक सेल्फी जरूर क्लिक करे।

अजमेर का किला।

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भले ही आप एक दिन के लिए ही क्यों न जयपुर जाये आमेर किला एक ऐसी जगह है जिसे कतई मिस नहीं किया जा सकता। जाये और इस भव्य संरचना को देखें। हालांकि, शहर से आपको यहाँ पहुंचने में करीब 30 मिनट का समय लगता है। यह एक विशाल किला है इसलिए घूमने से पहले , सुनिश्चित करें कि आप आरामदायक जूते पहने । वरना चलते चलते पैर छिलने का खतरा रहता है। किला का निर्माण राजपूत शासक द्वारा शुरू किया गया था पर यह पूर्ण रूप से बनकर तैयार मुगल शासक के काल में हुआ । इस प्रकार, किले की वास्तुकला दोनों का मिश्रण है। इसमें चार आंगन, महल, हॉल और बगीचे हैं।

यह बलुआ पत्थर और संगमरमर का मिश्रण भी है।किले के अंदर बनाया गया खुला हवाई मार्ग इसे जयगढ़ किले से जोड़ने का काम करता है। आप पैदल यात्रा का आनंद ले सकते हैं या फिर एक गोल्फ कार हायर करे । महल के कोनों में आपको कुछ लोग राजस्थानी लोक संगीत बजाते हुए भी नजर आ जायेंगे ।किले के अंदर एक क्षेत्र है जिसे शीश महल कहा जाता है जो पूरी तरह से दर्पण से बना है। महल सुबह 8:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। किले का प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 100 रुपये और विदेशियों के लिए 500 रुपये है।

चंदलाई झील।

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चंदलाई झील जयपुर के मुख्य शहर से लगभग 30 किमी दूर जयपुर-कोटा हाईवे पर स्थित है। अगर आप जयपुर 3-4 दिन के टूर पर जा रहे है तो इस जगह को घूमने का प्लान अवश्य बनाये। यह एक बहुत लम्बी--चौड़ी झील है।यदि आप बर्ड वाचिंग का शौक रखते है तो यहाँ आपको दूसरे देशो से आने वाले कई प्रवासी पक्षी भी दिख जायेंगे । पक्षी की एक दुर्लभ प्रजाति जिसे पाईड एवोसेट के नाम से जाना जाता है, यहां देखा जा सकता है। इस झील की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय दिसंबर में है क्योंकि इस दौरान झील में सबसे ज्यादा प्रवासी पक्षी आते हैं।आप कुछ अन्य पक्षी जैसे कि पलास गूल, रफ, कॉमन टील, ब्राउन कैप्ड नाइट हेरॉन, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, रूडी शेल्डक, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, व्हाइट वैगेट, कॉमन कॉमनशैंक आदि देखने की उम्मीद कर सकते हैं। चंदलाई झील का सबसे खूबसूरत स्थान चार लेन वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 12 है जिसके बाद आप शिवदासपुरा के ओवर ब्रिज के नीचे से दाहिनी ओर मुड़ सकते हैं।

नाहरगढ़ किला।

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नाहरगढ़ का किला अरावली पहाड़ियों पर स्थित है जो जयपुर शहर से 6 किलोमीटर दूर है। किला राजसी और शानदार होने के कारण निश्चित रूप से देखने लायक है। किला से आप एक सुंदर झील को भी देख सकते है।नाहरगढ़ का असली मतलब बाघों का निवास है। इसका नाम वास्तव में राजा राठौर नाहरगढ़ की स्पिरिट से इंस्पायर होकर रखा गया था। यह किला अपने आप में एक अजीब इतिहास समेटे हुए है। कहा जाता है कि जब किले का निर्माण हो रहा था, तो एक विचित्र घटना घटी। एक रोज़ जब मजदूर काम पर आये तो उन्हें अपने पिछले दिन का काम नष्ट किया हुआ मिला। तब पता चला कि इस स्थान पर आत्माओ का साया है । इसलिए, खास आत्माओ के निवास के लिए एक मंदिर बनाया गया ।

किले में दिलचस्प विवरण हैं और इसमें गर्मी और सर्दियों के महल दोनों शामिल हैं। इसके अलावा, यहाँ जयपुर वैक्स म्यूजियम और ग्लास हाउस भी है।किला सुबह 9 से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। भारतीयों का प्रवेश शुल्क 25 रुपये और विदेशियों का शुल्क 200 रुपये है। किले तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका कैब है।

स्टेप वेल।

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जयपुर में आपको बहुत सारे स्टेपवेल देखने को मिलेंगे । इनके पीछे की वजह ये है कि पुराने समय में लोगों को पानी की बहुत किल्लत थी और इसलिए इन कुओं को पानी को प्रेज़रव करने के लिए बनाया गया था। चांद बाउरी जयपुर के ढेर सारे रहस्मय स्टेपवेलस में से एक है। यह बहुत बड़ा व शानदार है और इसके निर्माण में हजारों की संख्या में नक्काशीदार पत्थरो का इस्तेमाल किया गया हैं।यह कुआँ आभानेरी नामक गाँव में स्थित है जो जयपुर के पास है।

यह एक डीप फोर साइडेड स्ट्रक्चर है जिसकी एक साइड पर मंदिर का विवरण किया गया है। इतिहास की माने तो चंद बाउरी 8 वीं शताब्दी जितना पुराना है। हालांकि, ऊपरी पत्थर 18 वीं शताब्दी में मुगलों द्वारा ऐड किये गए थे।इसमें 13 स्टोरी और लगभग 3500 नैरो स्टेप्स हैं। इसकी काफी ऊंचाई होने के कारण आप इस कुँए पर खड़े होकर बाकी शहर को भी देख सकते हैं । चांद बाउरी जाने का सबसे अच्छा और आरामदायक तरीका कैब से है। भारतीयों का प्रवेश शुल्क 15 रुपये जबकि विदेशियों का शुल्क 200 रुपये है।

चौकनी धानी।

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जयपुर में आप चौकी धानी स्थल का जायजा ले सकते है। मूल रूप से देखा जाये तो ये एक लक्जरी रिसॉर्ट है जहां आप आराम फरमा सकते हैं। पर इसके अंदर ही पुरे गांव का सेटअप भी तैयार किया गया है । सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें भाग लेने के लिए, आपको रेसॉर्ट में ठहरने की कोई आवश्यकता नहीं है।उन्होंने काफी बड़े क्षेत्र में छोटी झोपड़िया लगाकर गांव जैसा माहौल क्रिएट करने की सफल कोशिश की है।

वहां आपको जादूगर, कठपुतली कहानीकार, फोक डांसर्स, फार्च्यून टेलर और संगीतकार भी परफॉर्म करते मिलेंगे । आप एक भी पैसा खर्च किये बैगेर इन सब परफॉरमेंस को एन्जॉय कर सकते है।कुछ जगहों पर स्थानीय महिलाएं दूसरी महिलाओं के हाथों पर मेंहदी टैटू लगाती नजर आएंगी । एक ऐसा क्षेत्र भी है जहां स्थानीय कारीगर अपने उत्पादों को न्यूनतम कीमतों पर बेच रहे होंगे । उनसे कोई न कोई आइटम खरीदना न भूले । इसके अलावा, वहाँ एक ऐसा स्टोर है जहां आप अपनी पसंद का कोई भी दुपट्टा चुनकर उसपर अपनी मर्जी की ब्लॉक प्रिंटिंग खुद कर सकते है।

चोखी धानी सभी मनोरंजन के बाद आपको स्वादिष्ट रात्रि भोज भी परोसता है जिसमे दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्जी, रोटलो और जलेबी जैसे स्थानीय व्यंजन शामिल हैं। भोजन बहुत स्वादिष्ट होता है। वे लोग रेस्तरां में अपने मेहमानों का स्वागत पगड़ी पहनकर करते हैं। इस गज़ब के अनुभव को प्राप्त करने की कीमत वयस्कों के लिए 750 रुपये और बच्चों के लिए 450 रुपये है।

जंतर मंतर।

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जंतर मंतर विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए परफेक्ट जगह है। जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1724 और 1730 के बीच पांच खगोलीय वेधशालाओं का निर्माण किया था । ये यूनिक फॉर्म वाली कई इमारतें हैं।उनमें से प्रत्येक का उपयोग एक अलग खगोलीय अवलोकन को मापने के लिए किया जाता है। संरचना में बड़े पैमाने पर जोमेट्रिकल फॉर्म के कॉम्बिनेशन है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से बहुत सारे विभिन्न आर्किटेक्ट, कलाकार और इतिहासकार जंतर-मंतर घूमने आते हैं।आपके लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि पुराने दिनों में लोगों ने टेक्नोलॉजी की इतनी उन्नति के बिना इन संरचनाओं का निर्माण कैसे होगा ?। यह सभी दिनों में सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क 50 रुपये जबकि विदेशियों के लिए प्रवेश शुल्क 200 रुपये है।

बिरला मंदिर।

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बिरला मंदिर जयपुर का एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। हिन्दू समाज की इस सुंदर मंदिर से बहुत आस्था जूडी हुई है। पूरी तरह से संगमरमर से बना होने के कारण यह गज़ब का लगता है। मंदिर में हर रोज हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते है। यह चारो तरफ से हरी-भरी घास से घिरा हुआ है।मंदिर की सुंदरता न केवल संगमरमर की वजह से है, बल्कि बागों में उगने वाले फूलों के कारण भी है। इसमें तीन गुंबद ,अलग-अलग चित्र और नक्काशी शामिल हैं। मंदिर मोती डूंगरी पहाड़ी के पास ऊंचे मैदान के आधार पर भी स्थित है।यह विशेष मंदिर अन्य सभी मंदिरों से अलग है क्योंकि यह सभी धर्मों की समानता में विश्वास करता है। गुंबद मूल रूप से दर्शाता है कि मंदिरों की दीवारें बुद्धिमान पूर्वजों के पौराणिक उपदेशों से घिरी हुई हैं। यह मंदिर सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 8:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे और शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है।

सिटी पैलेस।

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जयपुर मध्यकालीन भारत का पहला नियोजित शहर था। पूरा शहर को 9 अलग-अलग ब्लॉकों में विभाजित किया गया था। सिटी पैलेस ठीक केंद्र में स्थित है। 1700 में राजस्थान की राजधानी को आमेर से बदलकर जयपुर कर दी गयी थी भी । इस महल का निर्माण महाराजा सवाई सिंह द्वितीय द्वारा किया गया था।यह शहर क्षेत्र के सातवें हिस्से को कवर करता है। महल में क्रमश मंदिर, संग्रहालय , उद्यान, इमारते और आंगन भी है। यह इसे एक भव्य दृश्य प्रदान करने के साथ इसके ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाते है।बाहरी सीमा को राजा जय सिंह ने बनवाना चालू किया था जिसे बाद में उनके उत्तराधिकारियों ने पूरा किया।

इस महल में राजपूत और मुगल वास्तुकला का मिश्रण देखा जा सकता है। शहर के बीच में होने के वजह से परिवहन के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हैं। इसलिए आपको आने जाने में कोई परेशानी नहीं होगी। महल सुबह 9:00 बजे खुलता है और शाम को 5:00 बजे बंद हो जाता है। भारतीयों के लिए प्रवेश शुल्क 100 रुपये और विदेशियों के लिए 500 रुपये है। महल की बगल में एक छोटी स्मारिका की दुकान भी है जहाँ आप अपने दोस्तों के लिए पोस्टकार्ड और अन्य चीजें खरीद सकते हैं।

अल्बर्ट हॉल म्यूजियम।

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जयपुर अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से समृद्ध है। म्यूजियम के माध्यम से वहां की संस्कृति को परखा जा सकता है । अल्बर्ट हॉल संग्रहालय जयपुर का सबसे पुराना संग्रहालय है जिसमें कलाकृतियों, कला रूपों और वस्तुओं का विशेष संग्रह है,संग्रहालय की इमारत मूल रूप से 1876 में एक कॉन्सर्ट हॉल के रूप में बनाई गई थी। इमारत को अल्बर्ट कहने का कारण इसकी विक्टोरिया और लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय की संरचना से मेल खाना है । यह मूल रूप से एक टाउन हॉल था, लेकिन बाद में इसे एक इंडस्ट्रियल म्यूजियम में बदल दिया गया। अल्बर्ट हॉल म्यूजियम में स्थानीय कारीगरों की कलाकृतियों का बेहतरीन प्रदर्शन किया गया है ।म्यूजियम में 16 अलग-अलग तरह की गैलरी है जो मेटल ,कला ,मूर्तियों ,क्ले वर्क को बखूबी दर्शाती है। यह सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 20 रुपये और विदेशियों के लिए 150 रुपये है।

लोकल शॉपिंग मॉल घूमना न भूले।

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जयपुर में देखने और करने के लिए कई अलग-अलग चीजें हैं। आपको यहाँ जूतियों से लेकर प्रिंटेड कपड़े, पारंपरिक आभूषण, नीले मिट्टी के बर्तनों से लेकर अद्भुत रजाई तक सब कुछ मिलता है। इस प्रकार, स्थानीय बाज़ारों में जाना और वहाँ से खरीदारी करना एक समझदारी भरा निर्णय है।जोहरी बाजार घूमने के लिए एक बेहतरीन जगह है। यह आभूषण और कपड़े के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ दुकान पर आपको सीमित वारंटी के कीमती रत्न, कीमती पत्थरों, अर्ध कीमती पत्थरों वाले आभूषण मिल जाते हैं। यह सुबह 10 से रात 11 बजे तक खुला रहता है।

दूसरा बाजार जो देखने लायक है वो है नेहरू मार्किट । इस सुंदर जगह में आपको एक से एक सुंदर कपड़े मिल जाते हैं। हालाँकि, यह सुनिश्चित करें कि आप दुकानदारों के साथ ठीक से मोलभाव करें क्योंकि वे पहली बार आपको अनजान देखकर अधिक कीमत लगा सकते हैं। यह सुबह 10:30 से शाम 7:30 बजे तक खुला रहता है।हमारी आखिरी और सबसे अच्छी सिफारिश है बापू बाजार।

यदि आपके पास सभी बाज़ारों का दौरा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है, तो इस विकल्प को चुनें। यह जयपुर में उपलब्ध सभी वस्तुओं के लिए वन स्टॉप डेस्टिनेशन है। बापू बाजार पुराने शहर के क्षेत्र में होने के वजह से पूरी तरह से गुलाबी है। यह सुबह 11 बजे खुल जाता है।

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From our editorial team

समाप्त

हम आशा करते हैं कि हमारे द्वारा बताई गई जयपुर की बेस्ट जगह आपको जरूर पसंद आई होगी और आपने वहां जाने का अपना प्लान बना लिया होगा। हम यह यकीन से कहते हैं कि आपकी यात्रा काफी आनंदमय बीतेगी। अनुच्छेद पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी यात्रा मंगलमय हो।