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एक सम्पन्न माता पिता बनने के लिए संघर्ष

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माता पिता बनने के बाद, उसी दिन से आपका जीवन बदलता है, और आप अपने छोटे शिशु के उत्तम माता पिता बनने के लिए एक वृत्ति का पालन करते है। आप एक ऐसे माता पिता बनना चाहते है जो अपने बच्चे में अच्छे संस्कार, आदते और व्यव्हार डालना चाहते है। इसका सबसे सहज मार्ग है बच्चे के माता पिता के रूप में उन महत्वपूर्ण क्षणों को पहचानना। यदि आप पितृत्व और मातृत्व के इस सुन्दर यात्रा में कुछ सुझावों का पालन करेंगे, तो आप निसंदेह अपने बच्चो को सिखाते हुए स्वयं को जीवन के सही मार्ग पर रख सकेंगे।

अपने बच्चो के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनिए

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यह एक ग़लतफ़हमी है कि अपने छोटे बच्चे को जीवन के मार्गदर्शन और मूल्यों के बारे में बताना असामयिक है। यह उपयुक्त पालन पोषण शुरू करने का सही समय है ताकि भविष्य में आगे जाकर ये इनकी आदतें बन जाएँगी। इन्हे जीवन के प्रत्येक सकारात्मक पहलुओं में प्रोत्साहित करने के लिए, आपको उनके लिए एक आदर्श प्रेरणा स्त्रो बनने की आवश्यकता है। उनके पांचवे जन्मदिन से पहले, उन्हें कुछ जीवन मूल्य सिखाया जाना चाहिए और उसके बाद उन्हें उनका पालन करना सिखाया जाना चाहिए, जोकि सीखाने से अधिक प्राकृतिक भाग है। सच बोलना और ईमानदार होना, वह पहली चीज है जिसके साथ आपको शुरुवात करनी चाहिए। बच्चो को सच बोलने के लिए प्रोत्साहित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप स्वयं एक सच्चे इंसान बनिये। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे न्याय की वास्तविक भावना को आंतरिक रूप से समझे, तो आपको उन्हें सही तरीके से गलत के खिलाफ कुछ कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। दृढ़ निश्चय के मूल्यों को समझने के लिए आपको अपने बच्चे को चुनोतिया लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उनके किसी भी नई चीजों की शुरुवात के लिए उनकी तारीफ कीजिये। बच्चे अपने स्नेह के साथ स्वाभाविक रूप से प्यारे और उदार होते हैं। यदि आप उन्हें अधिक गले लगाएंगे और चुंबन करेंगे और अक्सर उनसे कहेंगे कि 'मैं तुमसे प्यार करता' जो बदले में 'मैं भी आपसे प्यार करता हूँ', सुनने में सहायता प्राप्त होगी।

संचार महत्वपूर्ण है

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अपने बच्चो के लिए समय निकलना बच्चो के जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। यदि आप सुबह अपने बच्चे के उठने से थोड़ी देर पहले ही उठ जाते है और अपने बच्चे के साथ थोड़ा उत्तम समय बिताते है, विशेषकर छोटे शिशुओं के साथ, तो यह आपके दिन की सबसे अच्छी शुरुवात होगी। हमारा संदेश पहुंचना एक-तरफा संचार है। उत्कृष्ट संचार दूसरे को सुनकर आगे बढ़ता है, जो विश्वास को बढ़ाता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह मजबूत आत्म सम्मान और स्वस्थ रिश्ते की एक जड़ है। उम्र में अंतर के कारण, आप और आपके बच्चो में अलग अलग संचार अपेक्षाये हो सकते है, लेकिन आप एक उत्तम रिश्ता स्थापित करने के लिए प्रभावशाली तरिके से बात करने के लिए थोड़ी मेहनत कर सकते है।

असीमित प्रेम दे

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एक अफवाह है कि यदि एक माता बिना थके सदैव प्रेम न्यौछावर नहीं करती है तो वह एक वास्तविक माता नहीं है! वे दोषी महसूस करते हैं और इस अनुभव का मुकाबला करने के लिए, वे अपने बच्चे को खुश करने के प्रयास में उन्हें नष्ट करना शुरू कर देती है। लेकिन प्रेम बच्चो को खुश करने से कही अधिक है। यह जीवन का एक तरीका है, कुछ ऐसा है जो दिल को छू जाता है और दीर्घकालिक है। यह दीर्घकालिक है और अदूरदर्शी नहीं है। माता-पिता का प्यार मजबूत और सुरक्षात्मक होता है। यहाँ क्रोध, चिड़चिड़ापन, और धैर्य खोने के साथ अनेक भाव जैसे स्नेही, गर्म, और खुशी होते है। अपनी आशाओ को स्पष्ट करे, यदि कोई समस्या हो, तो समस्या का विवरण करे, और समस्याओ का निवारण करने के लिए बच्चे को अपने साथ आमंत्रित करे। और यह दर्शाता है कि आप भी एक मानव हैं और बच्चो की देखभाल के मार्ग में आप भी सीख रहे हैं।

माता पिताओ की सीमितता होती है और होनी भी चाहिए

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एक शिशु का माता पिता होने के कारण, आप स्वयं को कई बार अपूर्ण या सदोष पाएंगे - इसका सामना करे और इसे स्वीकार करे। परिवार के मुखिया के रूप में, आपकी कमजोरी और ताकतें होती है। सभी चीजों को उत्तम बनाने के बजाये, उन चीजों पर ध्यान केंद्रित कीजिये जिनपर ध्यान देने की आवश्यकता है। बच्चो की देखभाल के कार्य से एक अंतराल लीजिये और एक व्यक्ति या युग्ल के रूप में वे चीजे कीजिये जिनसे आपको ख़ुशी मिलती है। स्वयं पर ध्यान देने का अर्थ स्वार्थी होना नहीं है, इसका अर्थ है कि आप अपनी भलाई, स्वास्थ्य और चित्त की देखभाल कर रहे है। अपने लिए सीमाएं तय करना और ऐसी चीजे करना जो आपका दिल करना चाहता है, उन महत्वपूर्ण मूल्यों में से एक है जो आपके बच्चे के प्रेरणा स्त्रोत में होने चाहिए।

नरम रहे

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हर समय सख्ती बरतने के बजाये जितना अधिक आप नरम पेश आएंगे, आप अपने शिशु के साथ उतना ही अधिक अच्छा सम्बन्ध और समझ स्थापित कर पाएंगे। नरमी अथार्थ नयी सम्भावनाओ को खोलना, एक एकल स्तिथि को अनेको पहलुओं से देखना और ऐसी विचारशीलता के साथ आगे बढ़ना जो माता पिता और बच्चो दोनों के लिए बेहतर शुरुवात हो। नरमी लचीलापन बच्चो में धीरज लौटा सकता है और समस्या समाधान और निर्णय लेने के कौशल को बेहतर बनाने में सहायता कर सकता है।

शिशु के पालन पोषण के मार्ग में सहायता करने के लिए नियम

परिवार नियम एक ढांचा बनाने में सहायता करता है जिसका अर्थ है कि आपका स्पष्ट कथन है कि बच्चो से एक निश्चित व्यव्हार करने की आशा रखते है। नियम लाभदायी होते है जब संगति, पूर्वानुमेयता और अनुसरण की आवश्यकता होती है। बच्चो को समझना आवश्यक है कि कैसे कार्य करना सही है और कौनसे कार्य करना सही नहीं है। जैसे जैसे बच्चे बड़े होंगे, बच्चे अनेको ऐसे स्थानों पर जायेंगे जहा नियमो का पालन करना होता है। छोटी उम्र से ही घर पर नियमो का पालन करना, उनके जीवन में उन्हें अलग अलग जगह पर इस व्यव्हार को समझने में सहायता करेगी। बच्चे कई बार नियमो का पालन करना भूल सकते है, लेकिन हमे जिम्मेदार और नियमित रहना होगा, इसी तरह, फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि नियमों को तोड़ने का क्या कारण हैं।

बच्चो की देखभाल करने के लिए उनके नखरो को समझे

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आमतौर पर कई बच्चो के नखरे उनके बाल्यपन में भी क्रोधित होता है। बच्चे तब नखरे करते है जब बच्चे भूखे, थके हुए या असुविधाजनक स्तिथि में होते है। यह बच्चो के विकास का एक सामन्य भाग है और वे समय के साथ साथ अपने चिड़चिड़ेपन से निपटना सिख लेते है। बच्चे अपने जीवन में स्वतंत्रता से उतना अधिक प्यार करते हैं कि जितना वे संभाल नहीं सकते हैं, जिससे शक्ति संघर्ष शुरू हो जाता है। लेकिन आप अपने व्यव्हार में छोटे छोटे बदलाव करके इन नखरो को कम कर सकते है। उन्हें बहुत अधिक सकारात्मक ध्यान देने का प्रयत्न करें और उनके उत्कृष्ट व्यवहार के लिए उनकी प्रशंसा कीजिये। उन्हें कुछ कुछ छोटी चीजों पर नियंत्रण के लिए कुछ छोटे छोटे चयन का मौका दीजिये जो मामूली लगती है लेकिन महत्वपूर्ण होती है। उनके आवेदनों पर ध्यान दीजिये, लेकिन अपने बच्चो कि सीमाएं भी जान लीजिये। सदैव स्वयं को याद दिलाइये कि आपका लक्ष्य बच्चो को शांत रहना सीखाना और अधिक नखरे न करते हुए तथ्य को मान लेना है।

अपने बच्चे के आत्मविश्वाश को बढ़ाने के लिए सभी संभव अवसरों का उपयोग करे

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आत्म विश्वाश एक ऐसा शब्द है जो इंसान के साथ तब तक रहता है जब तक वह जीवित रहता है। आत्म सम्मान का एक सकरात्मक भाव एक ऐसा अनमोल उपहार है जो आप अपने बच्चे को दे सकते है। उच्च आत्म-सम्मान और प्रेम सहित बच्चे एक आश्वस्त और उत्पादक मनुष्य के रूप में विकसित होते है। अपने बच्चो को चयन करने का मौका दीजिये, जैसे कि यदि आप अपने बच्चो को अंडे खिलाना चाहते है तो उनसे पूछिए कि 'क्या आप उबला हुआ अंडा खाना पसंद करेंगे या पॉच खाना पसंद करेंगे?'। इस प्रकार के प्रश्न उन्हें चयन करने के बारे में सिखने में सहायता करेंगे और आपको उन्हें अंडे खिलने में सहायता करेंगे जो आपका लक्ष्य है। छोटे छोटे निर्णय लेना उन्हें जल्द ही बड़े निर्णय ले सकने में सहायता करेगा।

जिम्मेदारियों को एक मजेदार खेल में बदल दे

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बच्चो से खुलकर बात करे, न केवल इस बारे में कि आप कितने सफल है, बल्कि इस बारे में भी कि आपने किन किन समस्याओ का समाना किया है और किस प्रकार आपने उनका सामना किया। अपनी ताकत के मूल्य के बारे में और अपनी कमजोरियों को स्वीकार करने के बारे में बात करना अच्छा है, जिसे आप दूर कर सकते हैं। भविष्य के लिए बच्चो को अद्भुत बनाने के लिए मौके लेना, सही विकल्प का चयन करना और उनकी जिम्मेदारी लेना आवश्यक है। न केवल परिणाम के लिए, बल्कि अपने बच्चे की मेहनत के लिए भी उनकी प्रशंशा करे। प्रशंशा उनके आत्मविश्वाश को बढ़ाएगा और उन्हें सकारात्मकता प्रदान करेगा। वे अपनी इच्छा से आपसे जिम्मेदारी देने का आग्रह करेंगे। जिम्मेदारियों को उनके और स्वयं के लिए भी थका देने वाला काम बनाने के बजाये समस्या समाधान करने के मजेदार खेल में बदलने का प्रयास करे।

अपने वाक्यों में 'अगर' और 'लेकिन' जैसे शब्दों का उपयोग न करे

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बाल्यकाल भाषा विकास के लिए एक महत्वपूर्ण स्तर होता है। इस स्थान पर, आपके बच्चे कुछ कुछ शब्द सीखते है और उन्ही से वाकया बनाने का प्रयत्न करते है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे संचार का सही माध्यम सिख रहे है, आपको इस बात पर ध्यान देना होगा कि वह क्या बोल रही है। यदि आप अपना पूरा ध्यान समर्पित करते हैं, तो वह भी विचलित नहीं होगा। यदि वह एक पुरे वाक्य के स्थान पर केवल एक शब्द बोलती है तो उसे संचार के बारे में समझने के लिए आपको उस वाक्य को पूरा करना चाहिए। हर समय कठिन शब्द जैसे अगर, यदि के साथ लम्बे लम्बे वाक्य बोलना बंद करे। आमतौर पर जब हम बात करते है तो हम सभी यही करते है, लेकिन इससे बच्चो के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि हम आखिर कहना क्या चाहते है। साथ ही, अपने बच्चे द्वारा वाक्य को शेष करने तक धैर्य बनाये रखने और अपने बच्चे की स्तिथि को समझने का प्रयास करे।

ईमानदारी और दृढ़ संकल्प सिखाइये और उनकी प्रेरणा बनिए

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ईमानदारी एक आवश्यक विशेषता है जिसे अगली पीढ़ी के लिए विकसित करना, सीखना और सीखाना आवश्यक है। यह एक निजी विकास और बढ़ोतरी है जो आत्म-स्वीकृति और आत्म-सम्मान के साथ आता है। यदि आप चाहते है कि आपके बच्चे आपसे झूठ न बोले तो आप भी अपने बच्चो से झूठ न बोले और उन्हें कभी भी झूठ सुनने न दे। इस तरह, वे ईमानदारी के पहले कदम के बारे में सीखेंगे। एक बच्चे के लिए हर गतिविधि 'उम्र-उपयुक्त' होती है, लेकिन कभी-कभी हम माता-पिता यह बात भूल जाते हैं कि बच्चे अभी बड़े हो रहे हैं।

इसके आलावा, हम अपने बच्चों की काबिलियत को अक्सर कम भांपते हैं। जब आपका बच्चा कुछ करने का प्रयत्न कर रहा होता है तो आप अपना धैर्य मत खोइए। यह उसके विश्वाश और दृढ निश्चय को मजबूत बनाएगा। उसके आत्म विश्वाश को बढ़ने दीजिये और उसके लक्ष्य को पाने में उसकी सहायता करने दीजिये। जीवन के पहले चरण में उसे अपना काम करने देने के स्वस्थ जोखिमों का चयन करने में उसकी सहायता करे, जो उसकी उम्र के लिए सुरक्षित हो।

उन्हें चयन और नियंत्रण की भावना के बारे में सिखाइये

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चयन का अवसर देना एक जादुई छड़ी है जिसका उपयोग माता पिता बच्चो के साथ अपने जीवन को सरल बनाने के लिए कर सकते है। चयन करना सेब और केले के बीच में से एक का चयन करने के लिए विकल्प जितना आसान हो सकता है। आप उन्हें उन विकल्पों को हटाकर सिमित अवसर प्रदान कर सकते है जिनका आप बच्चो द्वारा चयन नहीं चाहते है। बड़े चयन उन्हें परेशान या भ्रमित कर सकते है, इसीलिए उन दबाओ को नजरअंदाज करे। यदि आप उन्हें एकबार अवसर देते है तो ऐसा दोबारा मत कीजिये, वे स्वाभाविक रूप से चिंतित और निराश हो जाएंगे। वे स्वयं को मूल्यवान महसूस करेंगे और स्वयं को परिवार के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में देखना शुरू करेंगे। हमें बच्चो के लिए अधिक सख्त और अधिकृत नहीं बनना चाहिए और उनके लिए रचनात्मकता का द्वार बंद नहीं करना चाहिए। इसलिए उन्हें दो चीजों में से चयन करने दीजिये जिनमे दोनों चीजे चयन करने योग्य हो ।

भावुक न हों

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बच्चों की मनोवैज्ञानिक भलाई के लिए भावनात्मक सुरक्षा आवश्यक है। माता पिता और बच्चो के बिच भावनात्मक रूप से सुरक्षित सम्बन्ध होना किसी भी अन्य सम्बन्ध के मुकाबले अधिक खुशनुमा होता है। लेकिन आपको छोटे बच्चो से निपटने के दौरान उनके द्वारा भावनात्मक ब्रेकआउट पर भी ध्यान देना आवश्यकता है। अपने बच्चे के लिए अपनी भावनाओं को प्राथमिकता दे, लेकिन अपनी खुद की भावनात्मक जरूरतों को पूरा करना भी ध्यान में रखें। सबसे पहले ध्यानपूर्वक सुने कि आपके बच्चे क्या कह रहे है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया दे। व्यावहारिक, सख्त और कारणवादी बने और अधिक संवेदनशील न बने और सदैव ध्यान रखे कि अपनी आवाज करुणामय और धीमी रखे।

परिणाम लागू करें

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यदि आप अपने बच्चे के नकारात्मक और सकारत्मक कार्य के लिए उन्हें परिणाम देंगे, तो ही घर पर नियमो का पालन किया जायेगा। आपके मूल्यों की अमान्यता आपके बच्चे को यह संकेत देती है कि आप आपके द्वारा कहे गए कथन के प्रति गंभीर नहीं हैं। अविरोध ही कई बुरे बरतावो के उपचार की कुंजी है। इसके आलावा, आपको आपके द्वारा कहे गए कथनो का पालन करना होगा और आपके बच्चो को यह सीखने में सहायता करनी होगी कि कोई भी बुरा बर्ताव करने के बाद वे बच नहीं सकते है। आपने जो कहा हैं उसे करने के लिए प्रतिबद्ध रहें और उसी तरह करीए जैसा आपने अपने कथन में कहा था, तभी बच्चे अपना व्यवहार बदलेंगे और आपकी बात सुनेंगे।

हमेशा सकारात्मक सुदृढीकरण का उपयोग करें

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सकारात्मक सुदृढीकरण निश्चित रूप से आपके बच्चे द्वारा किए जा रहे कार्यों की भलाई पर केंद्रित है। वास्तविक समय में प्रशंशा और पुरष्कृत करना आपके बच्चे के व्यवहार को बेहतर बनाएगा। यदि आप देखते है कि आपका बच्चा स्वयं उठकर बाथरूम ब्रश करने जा रहा है, जो उसने पहले कभी नहीं किया है, तो तुरंत उसकी इस उत्तम शुरुवात के लिए उसकी प्रशंशा करे। परिणामस्वरूप, वे आपसे पुनः प्रशंशा पाने के लिए नियमित रूप से यह कार्य करेंगे। परीक्षण करने के बजाय उनके द्वारा सीखने और ज्ञान प्राप्त करने पर भी ख़ुशी दिखाएं; उन्हें कहे कि 'तुम बुद्धिमान हो' लेकिन इस प्रकार के वाक्य जैसे 'तुम सबसे अच्छे हो' आदि का ध्यान रखे क्योकि बच्चे ऐसा सोच सकते है कि आपसे तरफ पाने के लिए, उन्हें सबसे अच्छा बनना पड़ेगा और इसके आलावा आपके लिए कुछ भी मान्य नहीं है ।

उम्र के अनुसार शिशुओं का पालन-पोषण करने के लिए निर्देशक सुझाव

बच्चो के पालन पोषण का सबसे महत्वपूर्ण भाग है संरक्षण और जोखिम के बिच में संतुलन बनाये रखना। दोनों ही आपके बच्चे के लिए लेने के लिए महत्वपूर्ण और निर्णायक निर्णय है ।

18 माह तक

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अपने बच्चे को उनके जीवन के शुरुवात से ही जीवन के अच्छी चीजों के बारे में सीखाना सदैव लाभदायी होता है। हमे शायद शुरुवाती स्तर पर इसके परिणाम देखने को न मिले, लेकिन यह आपके और आपके बच्चे के लिए एक अच्छी आदत का निर्माण करती है। एक नवजात शिशु शायद आपको कोई प्रतिक्रिया न दे, जब आप एक अच्छी पुस्तक पढ़ रहे हो या एक सुन्दर संगीत चलाया गया हो, लेकिन जब शिशु लगभग छह माह जितना बड़ा हो जाता है , तो आप एक अंतर देख पाएंगे। अपने छोटे बच्चो के लिए पारंपरिक नर्सरी राइम और रंगीन शब्दावली की किताबें आज़मा कर देखिये।

2 से 3 साल की उम्र में

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इस उम्र में बच्चे के संज्ञानात्मक और भाषा कौशल का विकास होता है, और बच्चे ख़ुशी, क्रोध और उदास को समझ और प्रदर्शित कर सकते है। प्रेरणा स्त्रोतों का प्रतीकात्मक नाटक छोटी कहानियों को उन्हें अधिक रोमांचक तरीके से समझा सकते है।

4 से 6 साल की उम्र में

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इस उम्र में, शायद आपके बच्चे बड़े वैश्विक समस्याओ को आपके जैसे समझने में सक्षम न हो। लेकिन आपके बच्चे निश्चित रूप से उन छोटे छोटे नियमों और मूल्यों का पालन कर सकते है जिन्हे आप उन्हें उनके पालन पोषण की शुरुआत से सिखा रहे हैं।

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हम आशा करते हैं कि आपने पूरा लेख पढ़ा होगा और इसे पसंद किया होगा। माता-पिता एक बच्चे के पहले शिक्षक होते हैं और वे जो भी सिखाते हैं, उसे पूरे जीवन भर उसके माध्यम से दिखाया जाता है। अपने बच्चे को बचपन से ही अच्छी किताबें पढाएं जो मूल्यों और अन्य महत्वपूर्ण चीजों को सिखाते हैं।