बैंगलोर – भारत की सिलिकॉन वैली से कुछ ज़्यादा।
क्या अपने कभी सोचा है की किसी ऐसे शहर को देखने का अनुभव कैसा होगा :- जो वैसे तो गगन चुम्बी इमारतों से भरा हुआ है पर कहीं कहीं कुछ इलाकों से यहाँ का गौरवशाली इतिहास भी झांकता हो| अगर ऐसा नहीं भी सोचा हो तो भी बैंगलोर शहर को देखने पर आपको ऐसा अनुभव मिल सकता है| ये शहर अपने अधिक ट्रैफिक की वजह से कुछ बदनाम ज़रूर है पर यहाँ के सुनियोजित रास्ते, राजमार्ग इत्यादि न केवल आपके वाहन को तेज़ गति दे सकते हैं बल्कि आपके मन को भी परमोत्कर्ष तक पहुंचा सकते हैं| यहाँ की सांस्कृतिक भिन्नताएं आपको अपनी तरफ ज़रूर आकर्षित कर लेंगी| भारत के IT कैपिटल इस शहर की क्षमता और उन्नति कैलिफ़ोर्निया, USA में स्थित सिलिकॉन वैली को पीछे छोड़ सकती है| पहली नज़र में भले ही ये शहर कंक्रीट का जंगल लगे पर अन्दर से ये काफी हरा भरा और सुन्दर शहर है|
ऐसी एक हरी भरी विरासत का श्रेय सुल्तान हैदर अली को जाता है :- जिन्होंने यहाँ के बेहद मनमोहक मौसम से प्रभावित होकर यहाँ पर अपनी बहिन के लिए एक बाग़ बनवाया जो आज की तारीख में यहाँ का वनस्पति उद्यान है और अपनी खूबसूरती के कारण देश भर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोगों को आकर्षित करता है| फिर यहाँ पर एक कब्बोन पार्क है जिसे लंग्स ऑफ़ बैंगलोर कहा जाता है| यहाँ की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में इतिहास भी कहीं चुपचाप साथ साथ चलता रहता है| हैदर अली ने भले ही बाग़ बनवाया हो पर शहर का इतिहास तो 16वीं सदी का पुराना है| नाद प्रभु हिरिया केम्प गौड़ा जो की एक जमींदार थे और विजयनगर साम्राज्य में एक मुखिया की हैसियत रखते थे ने सन 1537 में इस जगह को खोजा था| कालांतर बाद अंग्रेजों के शासन के दौरान इस जगह को दक्षिण भारत की राजधानी के तौर पर माना जाने लगा| तबसे लेकर आज तक बैंगलोर का विकास हमेशा तीव्र गति से हुआ| रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे इत्यादि सभी यहाँ विकसित हुए|
इस शहर की सांस्कृतिक भिन्नताओं को यहाँ के विकास को और इन सबके बीच यहाँ की हरियाली के साथ साथ यहाँ के इतहास को भी जानने के लिए आपको यहाँ जाना चाहिए :- आप यहाँ रोड ट्रिप पर निकल सकते हैं, साइकिल पर शहर घूम सकते हैं और अगर आप अधिक उत्साही हों तो यहाँ आस पास के पहाड़ी इलाकों के भी चक्कर लगा सकते हैं|
बैंगलोर के नज़दीक 3 महत्वपूर्ण स्थान जो आपको ज़रूर देखने चाहिए ।
बन्नेर्घत्ता बायोलॉजिकल पार्क: प्रकृति की छाँव ।
बैंगलोर का बन्नेर्घत्ता बायोलॉजिकल पार्क इस शहर की भाग दौड़ और उहापोह भरी ज़िन्दगी के बीच एक ताज़ी हवा के झोके जैसा लगता है जो की शहर से 22 किलोमीटर दूर है :- इस विहार के बनाने का कारण रहा यहाँ के बच्चों को प्रकृति के प्रति उचित मार्गदर्शन दिया जा सके और यहाँ के लोगों के लिए सुकून के पल बिताने के लिए उपयुक्त हो| ये पार्क चम्पक्धामा के जंगल को घेरे हुए बनाया गया है| और अब तो ये बड़ा ही लोकप्रिय पार्क हो चूका जहाँ दूर दूर से लोग आते हैं सिर्फ यहाँ की खूबसूरती से आकर्षित होकर ही नहीं बल्कि कुछ ऐसे विद्वान् जो यहाँ पर मिलने वाले जीव जंतुओं और वनस्पतियों के बारे में और ज्यादा जानना चाहते हैं| यहाँ के जीव अन्तुओं में रॉयल बंगाल टाइगर, बबर शेर, हाथी, भालू, विभिन्न पक्षी और रेंगने वाले जंतु शामिल हैं|
इस पार्क की एक खूबी ये भी है की यहाँ कई ऐसे जंतुओं को भी जगह और सुरक्षा दी गयी है जिनकी प्रजाति काफी खतरे में है :- बैंगलोर का बन्नेर्घत्ता बायोलॉजिकल पार्क घुमने के लिए आपको पुरे एक दिन का समय लेकर जाना पड़ेगा| आप सुबह जल्दी उठ कर करीब 7 बजे निकल सकें तो बेहतर होगा क्यूंकि सुबह के वक्त ट्रैफिक कम रहता है और नाश्ते के लिए आपको रास्ते में कई अच्छे स्पॉट्स मिल जायेंगे इसलिए इसकी फिकर करने की ज़रूरत नहीं|
बैंगलोर पैलेस – जहाँ पत्थर की दीवारें बोलती हैं।
अगर आप घुमने के साथ बैंगलोर के इतिहास से भी रूबरू होना चाहते हैं :- तो बैंगलोर पैलेस बिलकुल उपयुक्त जगह है| इसकी बनावट की उत्कृष्टता ही नहीं बल्कि इसके चारों तरफ 454 एकड़ में फैले हुए बाग़ का नज़ारा भी आपको बेहद रोमांचित कर सकता है| इस पैलेस की बनावट लन्दन के विंडसर कासल से प्रेरित है और इस भव्य निर्माण की योजना से लेकर बनाने तक जॉन कैमरून ने इसपर काम किया|
केवल पत्थर के इस्तेमाल से बने इस भव्य पैलेस का निर्माण सन 1874 में शुरू हुआ और ये 1878 में पूरा हो सका :- पूरा हो जाने के बावजूद इसमें आने वाले लोग इसकी भव्यता को और बढाने का प्रयास करते रहे और कुछ न कुछ नए निर्माण करवाते रहे जिनमे से एक है यहाँ का दरबार हॉल जिसे महाराजा जयचामराजा ने बनवाया था और आज इस महल के मुख्या आकर्षणों में से एक है| इसकी बनावट गोथिक शैली की है|
बैंगलोर पैलेस कई बहुमूल्य चित्रकारी और कला के नमूनों को सजोये हुए है :- यहाँ पर आपको वाडियार साम्राज्य के ऊपर बनायीं गयी चित्रयवनिका भी देख सकते हैं| कुछ समय पहले तक ये महल व्यवसायिक आयोजनों के लिए भी मिल जाया करता था पर हाल ही में सरकार और राजपरिवार के लोगों के बीच कुछ मनमुटाव की वजह से अब ये मुमकिन नहीं रह गया| लेकिन फिर भी यहाँ की खूबसूरती को निहारने के लिए आप यहाँ जा सकते हैं|
याना में स्थित अद्भुत पत्थर की शिलाएं ।
कुछ रोमांचक पर कम थकाने वाला अनुभव लेना हो तो याना गाँव आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा :- ये गाँव कर्णाटक के जंगल में स्थित है और ये दुनिया के सबसे ज्यादा नमी वाले इलाकों में से एक है| पश्चिमी घाट की गोद में उपस्थित ये गाँव बेहद ही खुबसूरत है और एक यादगार अनुभव बन सकता है|
यहाँ पर दो प्रमुख शिलाएं हैं जिनका नाम भैरबेश्वर और मोहिनी शिला है : - यहाँ के बारे में एक किंवदंती प्रसिद्द है की एक बार भगवान शिव ने एक असुर को ये वरदान दे दिया की वो किसी के ऊपर अपना हाथ रखकर उसे भस्म कर सकता है| वरदान पाकर वो असुर भगवान् शिव के ही पीछे पड़ गया उनको भस्म करने के लिए| उस वक्त भगवान् विष्णु उनकी मदद के लिए आये और अपने विवेक से उन्होंने उस असुर को ही भस्म करवा दिया| ऐसा कहा जाता है की उसके भस्म होने पर राख उन शिलाओं पर बिखर गई इसीलिए शिलाओं का रंग इतना काला पड़ गया| अविश्वसनीय लगता है ना| इन पत्थरों के बीच एक गुफा में एक शिवलिंग भी है जो इस जगह को महत्वपूर्ण और पवित्र बनता है|
यहाँ पहुँचने के लिए याना गाँव से और 2 किलोमीटर का सफ़र करना पड़ेगा :- याना गाँव बैंगलोर से 500 किलोमीटर के अन्दर ही स्थित है और यहाँ आने के लिए जनवरी, सितम्बर और अक्टूबर महीने अच्छे होते हैं|
विशेष सलाह :- अपना कैमरा ज़रूर साथ रखें और अच्छे किस्म के जूते पहने जिससे आप इन पहाड़ियों पर आसानी से घूम सकें |
बैंगलोर के नज़दीक स्थित इन 3 पहाड़ी इलाकों को घुमने का भी आनंद लें।
ऊटी आपकी राह देख रहा है ।
सन 1817 में एक अँगरेज़ अफसर जॉन सुल्लिवन ने इस जगह को खोजा था :- इसका अधिकारिक नाम उटकमंड है जिसे सुविधा के लिए ऊटी बुलाया जाता है जिसका अर्थ है एक ही पत्थर का गाँव| आज की तारीख में ये जगह एक पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण वाली जगह है| यहाँ का सुहावना मौसम और हरा भरा वातावरण इस काफी मनमोहक बनाते हैं और ये बैंगलोर से ज्यादा दूर भी नहीं है|
येराकुड खुबसूरत दिखता है।
क्यूंकि आप बैंगलोर के आस पास की खुबसूरत जगहों को घुमने के बारे में जानकारी ले रहे हैं :- तो येराकुड भी आपकी नज़र में आना चाहिए| प्रकृति प्रेमियों के लिए ये जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं और ये बैंगलोर से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर है| यहाँ पहुँचने का सर्वोत्तन तरीका है कार से जाना| आप टैक्सी ले सकते हैं या फिर अपनी कार से जा सकते हैं जिससे आप लगभग 4 घंटे में यहाँ पहुँच सकते हैं|
ये जगह जितनी खुबसूरत है उतना ही यहाँ पहुँचने का रास्ता भी खुबसूरत है :- रास्ते में कार की खिड़कियाँ खुली रखें और खुली हवा को महसूस ज़रूर करें| अगर आप बस या ट्रेन से जाने की सोचें तो दुर्भाग्यवश बैंगलोर से कोई सीधा संपर्क नहीं है| येराकुड अपने प्राकृतिक सौंदर्य, झीलों और झरनों के लिए प्रसिद्द तो है ही पर यहाँ का मौसम काफी अप्रत्याशित रहता है|
यहाँ के जंगलों में घुमने के लिए आपको अच्छे किस्म के जूते पहनने चाहिए :- यहाँ की झील में नौका विहार करना बिलकुल न भूलें वर्ना आप को बाद में ज़रूर अफ़सोस होगा| और यहाँ पर लेडी सीट नामक जगह से सूर्यास्त का खुबसूरत नज़ारा तो कल्पना से परे है जिसे देखने के लिए आप यहाँ ज़रूर जाएँ और उसके बाद सामेंन शहर का खुबसूरत नज़ारे का भी लुत्फ़ उठायें|
बैंगलोर शहर से 240 किलोमीटर दूर और 3,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित चिकमगलूर :- ऐसे पर्यटकों के लिए है जो की ट्रैकिंग या अन्य कुछ साहसिक क्रियाओं का शौक रखते हैं|
बोनस: बैंगलोर में रहते वक्त कुछ देखने लायक जगहें ।
पर्यटन की पुस्तकों के पन्नों में देखकर जगहों पर जाने से थक चुके हैं और सोचते हैं :- की बैंगलोर के आसपास सब कुछ आपने देख लिया तो एक बार फिर सोचिये| यहाँ अब आपको 3 ऐसी जगहों के बारे में पता चलने वाला है जहाँ पर आप पुरे हफ्ते की थकन के बाद वीकेंड मनाने के लिए जा सकते हैं|
मदिकेरी का अब्ब्य्धामा होमस्टे ।
मदिकेरी एक पहाड़ी इलाका है जो मदिकेरी फोर्ट, राजस सीट्स और ऐबी फाल्स के लिए प्रसिद्द है :- घुमने के लिए बहुत खुबसूरत जगह है| बैंगलोर से 268 किलोमीटर दूर मदिकेरी पहुँचने में 5 घंटे लगते हैं और सबसे छोटा रास्ता NH 48 से मिलता है| अगर आप सोच रहे हैं की यहाँ ठहरेंगे कहाँ तो ये जानकारी भी आपको यहीं मिलेगी| ऐबी फाल्स के रस्ते में अब्ब्य्धामा होमस्टे नाम की एक बहुत ही खुबसूरत जगह है जहाँ आप रुक सकते हैं| इसके चारों तरफ कॉफ़ी के बागान हैं जो बहुत अच्छे लगते हैं|
यहाँ पर रूककर सुबह सुबह उठाना और आसपास के इलाको की सैर करना बहुत ही सुकून भरा अनुभव होता है :- इस होमस्टे एक पारंपरिक विला है और पूरा एस्टेट एक बंगला है और दोनों ही बहुत अच्छी सुविधाओं से परिपूर्ण हैं| इसमें एक स्विमिंग पूल है जो सबके इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है और बच्चों के लिए खेलने की जगह भी बहुत आकर्षक है| अधिकतर कमरे कॉफ़ी के बाग़ों की तरफ हैं जहाँ से नज़ारा काफी मनमोहक होता है| अकेले रहकर कोई किताब लिखना हो या फिर कुछ लोगों के साथ रेखार एक पार्टी करनी हो सबके लिए इस जगह पर सुविधा उपलब्ध हो जाती है|
खाने में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार मिलते हैं और ख़ास ख्याल भी रखा जाता है :- इसके अलावा अगर आप की इच्छा हो तो यहाँ पर आपके कहने पर शाम 7.30 से 9.30 तक एक बड़ा अलाव भी जलाया जा सकता है और आप और आपके साथ के लोग इस आग के चारों ओर बैठकर शाम का लुत्फ़ उठा सकते हैं| तो आप भी यहाँ जाकर बैंगलोर को कुछ देर के लिए भूल सकते हैं|
टाटा प्लांटेशन ट्रेल रिसॉर्ट्स, कूर्ग।
पोलिबेत्ता में स्थित इस जगह को, यहाँ की पहाड़ियों को और कॉफ़ी के बागानों को देखकर आपका मन झूम उठेगा :- कॉफ़ी की भीनी भीनी खुशबु आपके अन्दर के तनाव को बिलकुल ख़त्म कर देगी| पोल्लिबेत्ता के इस कॉफ़ी के बागानों में आपको एक अलग ही तरह के प्राकृतिक नजारों का अनुभव कराने की खासियत है| इस जगह पर आप साल में कभी भी आ सकते हैं| इस रिसोर्ट में अलग अलग बंगले हैं जो अलग अलग ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर बने हैं|
इनमे मिलने वाली सुविधाएँ काफी बेहतर और चुनिन्दा हैं :- यहाँ पर आपको अपनी छुट्टी बिताने के लिए पर्याप्त शांति, सुकून और जगह मिलती है| बैंगलोर से 227 क पर स्थित इस रिसोर्ट पर पहुँचने के लिए कोई भी कार से जा सकता है| यहाँ पर ट्रैकिंग और साईटसींग की सुविधा भी उपलब्ध है और आप अगर पक्षी प्रेमी हैं तो आप विभिन्न प्रकार के पक्षियों का अवलोकन भी कर सकते हैं| आप यहाँ पर आस पास के जंगलों की सैर कर सकते हैं या फिर सिर्फ एक कप गर्म कॉफ़ी का लेकर अपने जीवन में असीम शांति का अनुभव कर सकते हैं|
रिसोर्ट में 4 प्रकार के कमरे उपलब्ध हैं :-
हेरिटेज रूम– 5500 रूपए से 6000 रूपए तक ।
लक्ज़री रूम – 6000 रूपए से 6500 रूपए तक ।
हेरिटेज सूट्स – 4800 रूपए से 5200 रूपए तक ।
सुपीरियर रूम – 4000 रूपए से 6300 रूपए तक।
ढोल्स डेन एक अलग किस्म का होमस्टे है :- जो प्रकृति की अनुकूलता को ध्यान में रखकर संचालित किया जाता है| बांदीपुर नेशनल पार्क में स्थित ये होमस्टे उतना आकर्षक न होने के बावजूद अपने आप में अनोखा ज़रूर है| यहाँ पर खपत होने वाली बिजली की आपूर्ति केवल सौर उर्जा और पवन चक्की जनित ऊर्जा से पूरी की जाती है| एक जनरेटर है पर वो ध्वनी प्रदुषण नहीं फैलता जिससे यहाँ के जंतुओं को शोर से परेशान नहीं होना पड़ता| इस होमस्टे में कहीं भी एयर कंडीशनर, फ्रिज, टीवी इत्यादि नहीं हैं और शोर मचाने वाली गाड़ियों की भी मनाही है|रसोई से निकले हुए कचरे का इस्तेमाल यहाँ खाद के रूप में किया जाता है ब्जियां वगैरा यहाँ के बाग़ों में ही उगाई जाती हैं जो आपको खाना दिए जाने में इस्तेमाल की जाती हैं|
यहाँ पर कोई स्विमिंग पूल भले न हो लेकिन पक्षियों के अवलोकन या प्राकृतिक वातावरण के बीच सैर वगैरा से आप अपने आप को प्रकृति के काफी नज़दीक महसूस कर सकते हैं :- यहाँ की सफाई को ध्यान में रखते हुए एक बार में ज्याद से ज्यादा 15 लोगों को ही रुकने की इजाज़त है| अब अगर आप ये सोच रहे हैं की इस जगह का नाम ढोल्स डेन कैसे पड़ा तो हम बता दें की ढोल्स यहाँ पर एशियाटिक जंगली कुत्तों को कहा जाता है और यहाँ के मालिक को कुत्तों से काफी लगाव है इसलिए ये ना रखा गया|
यहाँ 3 प्रकार के कमरे हैं :–
- हैबिटैट, गार्डन मेन्शन, और माउंटेन पैराडाइस|
- हैबिटैट में 2 कमरे होते हैं और इसका किराया 14,000 रुपए होता है ।
- गार्डन मेन्शन में भी 2 कमरे होते हैं और इसका किराया 18,000 रुपए होता है ।
- माउंटेन पैराडाइस में एक ही कमरा होता है और इसका किराया रूपए 18,000 रुपए होता है।
- तो अगर आपकी इच्छा कुछ नया करने की हो तो इस पर्यावरण अनुकूल जगह ज़रूर जा सकते हैं।
छोटी ट्रिप का भी ज्यादा मज़ा कैसे उठाएं ।
हमारी ज़िन्दगी में अब इतनी व्यस्तता हो गयी है :- की कभी कभी तो एक ठंडी आह भरने के लिए भी वक्त शायद न मिले| इसीलिए ऐसे छोटे छोटे ट्रिप हमारे लिए काफी उपयोगी होते हैं जो हमें रोज़मर्रा की उहापोह से कुछ आराम दिला सकें| इस नए साल 2020 में आने वाली छुट्टियों के दिन में आप अपनी चारों ओर की दीवारों से कुछ तो बाहर निकालें और अपने आस पास की माहौल का मज़ा लें|
1. सामान कम रखें घुमे ज्यादा ।
अपने कम समय में ज्यादा मज़ा करने के लिए जितना हो सके कम सामान अपने साथ रखें :- एक बैकपैक ले आयें और उसमे सिर्फ ऐसी ज़रूरी चीज़ों को रखें जिनके बिना आप नहीं रह सकते| जैसे की अगर आप ट्रैकिंग पर जा रहे हैं या फिर किसी दूर स्थान पर रुकने का प्रोग्राम हो तो अपने साथ कुछ सूखे नाश्ते की चीज़ें रखें, कुछ ज़रूरी दवाएं रखें| अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो कैमरा भी रखें| बस इतना ध्यान रहे की फ़िज़ूल की चीज़ें रख कर अपना बोझ न बढाएं जिससे मज़ा ख़राब हो|
2. वाहन की बुकिंग या इंतज़ाम पहले से कर लें ।
सब कुछ जल्दबाजी में करने से बेहतर कम् से कम् वाहन का इंतज़ाम तो पहले से करने की कोशिश करें :- ये तो सच है की हर बार ऐसा नहीं हो सकता क्यूंकि कई बार कोई ट्रिप अचानक ही प्लान कर ली जाती है और चल दिया जाता है पर जहाँ तक हो सके ऐसा कर लेना सुविधाजनक तो रहता ही है|
अगर ट्रेन या बस से सफ़र कर रहे हों तो रूट का आईडिया रखें पूरा याद रखने की ज़रूरत नहीं पर कुछ तो मालूम रहे :- गूगल मैप्स का भरपूर उपयोग करें और अंत में अपने रिजर्वेशन वगैरा की जानकारी ज़रूर रखें, हो सकता है कोई ट्रेन कैंसिल हो जाये तो ऐसे समय के लिए कुछ नकद रूपए अपने पास ज़रूर रखें|
3. स्मृति चिन्ह का महत्व ।
ऊपर दिए गए आयाम तो तैयारी के रहे पर जो सबसे जरूरी है वो है घूमना और इस घुमने को यादगार बनाना :- क्यूंकि अंत में तो वही महत्वपूर्ण होता है| इसलिए अपनी ट्रिप को चाहे वो छोटी हो या बड़ी उसे यादगार बनाने की कोशिश करें| जैसे की आप किसी पुराने कॉफ़ी शॉप में गए तो हो सके तो वहां का एक मेनू कार्ड अपने पास रखने के लिए मांगने का प्रयास करें|
अगर आप ट्रैकिंग पर गए हों तो वहां रास्ते में दिखने वाले फूल और पौधों को स्पर्श करें और उन्हें महसूस करें:- किसी दूरस्थ स्थान पर जाये तो वहां की किसी हस्तशिल्प वाली छोटी दुकान से कुछ खरीदें जिससे उसे बनाने वाला भी थोडा खुश हो जायेगा| ये सब अगर आप ध्यान रखते हैं तो इससे आपको और भी बेहतर इंसान बनने में ज़रूर मदद मिलेगी|