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डाउन सिंड्रोम क्या होता है?

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"डाउन सिंड्रोम ये कोई बीमारी नहीं है। यह अतिरिक्त 21 वा गुणसूत्र होता है उसकी उपस्थिति होने के कारण होने वाली आनुवंशिक स्थिति है| यह गुणसूत्र बच्चे के विकास को शारीरिक और बौद्धिक रूप से प्रभावित करता है। डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा अक्सर कई स्वास्थ्य की समस्या से भी परेशान हो सकते है | शरीर के हरेक कोशिका में 46 गुणसूत्र होते हैं, जिनमे से 23 माता से और 23 पिता से विरासत में मिलते हैं। कुछ मामलों में, गुणसूत्र 21 की एक अतिरिक्त कॉपी आगे पारित की जाती है और यही डाउन सिंड्रोम की वजह हो जाती है|

डाउन सिंड्रोम होने की क्या वजह है?

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डॉक्टर दावे के साथ नहीं कह सकते कि, इस घटना का क्या कारण है| हालाँकि जो महिला 35 साल से जादा उम्र के बाद गर्भ धारण करती हैं ,वे महिलाएँ डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे को जन्म देने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, अगर पहले से ही माता-पिता को डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा है, तो संभव है, कि अगला बच्चे में भी यह विकसित हो सकता है| ऐसे भी दावे हैं कि, डाउन सिंड्रोम बच्चे को माता-पिता से 'ट्रांसलोकेटेड जीन' के माध्यम से पारित किया जा सकता है। "

बच्चे डाउन सिंड्रोम के साथ क्यूँ पैदा ही होते हैं?

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डाउन सिंड्रोम गुणसूत्र 21 वी कोशिका के अनियमित विभाजन के कारण होता है, जो डाउन सिंड्रोम में विकास संबंधी समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। क्रोमोसोम 21 में निम्नलिखित आनुवांशिक बदलाव हैंजो आगे चलकर डाउन सिंड्रोम की ओर जाता है:-

  • ट्राइसॉमी 21 : अध्ययनों के अनुसार, लगभग 95 प्रतिशत मामलों में ट्राइसॉमी 21 ही डाउन सिंड्रोम के बढ़ने का कारण है। ट्राइसॉमी 21 तब होती है जब बच्चे में 2 कॉपीयों के बजाय गुणसूत्र 21 की 3 कॉपीयां होती हैं। यह शुक्राणु कोशिका या अंडा कोशिका के विकास के दौरान कोशिकाओं का असाधारण विभाजन का परिणाम हो सकता है।
  • ट्रांसलोकेशन डाउन सिंड्रोम : जब गर्भाधान से पहले या उस दौरान गुणसूत्र 21 का एक हिस्सा दूसरे गुणसूत्र से जुड़ जाता है, तो भी डाउन सिंड्रोम हो सकता है। हालांकि बच्चे में केवल क्रोमोसोम 21 की 2 कॉपियां होती हैं, क्रोमोसोम 21 का यह अतिरिक्त हिस्सा किसी अन्य गुणसूत्र से जुड़ा हुआ होता है तब यह डाउन सिंड्रोम का कारण बनता है।
  • मोज़ेक डाउन सिंड्रोम : इस प्रकार का डाउन सिंड्रोम दुर्लभ होता है और यह तब होता है जब केवल कुछ कोशिकाओं में गुणसूत्र 21 की अतिरिक्त प्रतिलिपि होती है; जबकि बाकी कोशिकाएं सामान्य होती हैं। यह फलिभावन के बाद कोशिका के असाधारण विभाजन के कारण है।

डाउन सिंड्रोम बच्चे के विकास को किस तरह प्रभावित करेगा ?

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आमतौर पर डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से सीखते और तरक्की करते हैं| यह असाधारण स्थिति कोशिका विभाजन के दौरान होती है. जिसके परिणामस्वरूप एक अतिरिक्त गुणसूत्र 21 तैयार होता है, जो डाउन सिंड्रोम की ओर ले जाता है। इन बच्चों के संज्ञानात्मक और व्यवहार संबंधी पहलू भी अन्य बच्चों की तुलना में काफी अलग और धीमे होते हैं। बच्चों के विकास में डाउन सिंड्रोम के कुछ प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • आज्ञा तंत्रिका का कौशल डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में आज्ञा तंत्रिका का विकास धीमा होता है । इससे बच्चों को दुनिया की जानकारी लेने में और समझने में काफी कमी आती है , और यह सीधे उनके संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करता है। खराब मौखिक आज्ञा तंत्रिका के कौशल के कारण भाषा सीखने के कौशल में मुश्किल होती है |
  • वाक् स्पष्टता वे भाषा का उपयोग करना सीखने में देरी दिखाते हैं और बता नहीं सकते कि, वे क्या जानना चाहते हैं। उन्हें व्याकरण के साथ वाक्य बनाने के लिए शब्दों को बटोरने में कठिनाई होती है | उन्हें स्पष्ट बोलने में भी कठिनाई होती है।इसलिए आमतौर पर विचार और भाषण के बीच पाया गया अंतर अक्सर हताशा और आचरण पर परिणाम होता है। इससे बच्चे की संज्ञानात्मक क्षमताओं को कम दिखाया जाता है ।
  • मौखिक स्मृति डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे में कुछ देखकर समझने की क्षमता बेहतर होती है, लेकिन उन्हें मौखिक जानकारी को संसाधित करना मुश्किल होता हैं और केवल देखी हुई चीज की स्मृति थोड़ी ही देर के लिए रख सकते हैं | इससे उनके लिए भाषा सीखना और मुश्किल हो जाता है और स्कुल में सीखने पर असर होता है |
  • संख्या कौशल डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की संख्या सीखने की क्षमता उनके पढ़ने के कौशल से लगभग दो साल पीछे होती है। वे संख्याएँ सीखने के लिए और उसकी स्मृति में बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हैं।

डाउन सिंड्रोमवाले बच्चे का अभिभावकत्व / पालपोस करना- कठिनाइयाँ और चुनोतियाँ

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पेरेंटिंग एक मुश्किल काम है क्योंकि इसमें , बाजीगरी स्कुल , खेल, पाठ्येतर गतिविधियाँ और बहुत कुछ होता है। और , ये सभी तब और अधिक जटिल हो जाते हैं जब आपको डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा होने के कारण डॉक्टर और चिकित्सक के लगातार दौरे करने पड़ते हैं |आपको पहली बार यह मुश्किल लग सकता है लेकिन समय के साथ इसमें आसानी होती है ।

  • जागरूक रहें
    इस मामले में बहुत भ्रामक जानकारी मिलती है और कुछ माता-पिता के लिए यह काफी परेशान करने वाली बात हो सकती है। इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए सही स्रोत खोजें और बाकी को नजरअंदाज करें, और अपने बच्चे पर ध्यान केंद्रित करें। सबसे विश्वसनीय है ,हमारे डॉक्टर या चिकित्सक, किताबें और सरकारी वेबसाइट | अपने बच्चे की स्थिति के बारे में पूरी तरह जानकारी लें और उनके लिए जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका को समझें।
  • आवश्यकता होने पर साझा करें और सहायता लें
    और भी कई माता-पिता और परिवार हैं, जो आप जैसे उसी दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए , इन समुदायों में शामिल होने और अपने अनुभव को साझा करने में शर्म न करें। जरूरत पड़ने पर वे भी मदद का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं; क्योंकि वे आपकी स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकते हैं जहांसे आप गुजर रहे हैं ।
  • डॉक्टर / चिकित्सक के नियमित दौरे
    हर डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे के लिए अलग-अलग मार्गदर्शक सेट हैं, सब समान नहीं होते । इसलिए, सही चिकित्सक / डॉक्टर को ढूंढे और अपनी अपोइन्टमेंट का नियमित रूप से पालन करें | यहां तक ​​कि एक अपोइन्टमेंट भी बच्चे के विकास पर प्रभाव डाल सकती है। हालांकि इस काम में कई डॉक्टरों और चिकित्सकों की आवश्यकता होती है, आप एक ऐसा अस्पताल खोजें जहां आप एक ही छत के नीचे सबकुछ पा सकते हैं ताकि यह काम सरलता से हो|
  • बातचीत को प्राथमिकता दें
    डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों को उनके आज्ञा कौशल के विकास में धीमी वृद्धि के कारण भाषण में कठिनाई होती है। भाषण चिकित्सक इस संबंध में आपकी मदद कर सकते हैं, हमेशा बातचीत को प्राथमिकता दें क्योंकि बच्चे बात करना और संवाद करना पसंद करते हैं| लेकिन जब वह ऐसा नहीं कर सकता है तब यह उसके लिए निराशाजनक होता है / सकती है जो अवसाद और आचरण संबंधी मुद्दें पैदा कर सकता है।

उनकी क्षमता पाने में उन्हें सहायता दें|

माता पिताओं के लिए रोजाना के टिप्स |

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डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे सबमे अधिक रुचि रखने वाले होते हैं और अधिकांश बच्चों की तरह नियमित कार्य करते हैं। वे अनुशासन के बजाय सकारात्मक सहायता को बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं।

  • बच्चे को घर के छोटे छोटे घरेलु काम करने के लिए कहें। एक बड़े काम को कई छोटे छोटे हिस्सों में बाँट दें और जरूरत पड़ने पर उन्हें पूरा करने के लिए और उनकी सहायता करने के लिए शांति से प्रतीक्षा करें।
  • बच्चे को दूसरों के साथ खेलने से मत रोकें उसे उसके जैसे ही डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के साथ या अन्य बच्चों के साथ खेलने दें। बच्चे को उनमें घुल मिल जाने दें और आनंद लेने दें।
  • नई चीजों को सीखने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें और उन्हें उस पर बेहतर बनाने के लिए कई बार कोशिश करने दें ।
  • अपने बच्चे के साथ नियमित रूप से खेलने के लिए एक दिन मुक़र्रर करें और उस रोज मौज मस्ती करें, कथाएं पढ़ें और एक साथ कहीं घुमाने निकलें | इससे बंध पक्के होते हैं |
  • बच्चे को उसके दिन के कामों को खुद करने के लिए प्रोत्साहित करें। यह उन्हें आत्मविश्वास देगा और आत्मनिर्भर बना देगा।

    रोजमर्रा के कार्य

    • बच्चे को ऐसी दिनचर्या बनाके दीजिये जिसे उसने रोज पालना है और उससे चिपके रहना है | ।
    • एक गतिविधि से दूसरी गतिविधि पर बदलते समय एक स्पष्ट संकेत को शामिल करके बच्चे की मदद करें जैसे कि कोई चित्र देखना या गाना गाना ।
    • डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में दृश्य स्मृति मौखिक स्मृति से बेहतर होती है, इसलिए बच्चे के पालन के लिए दैनिक दिनचर्या का चार्ट बनाते वक्त चित्रों का उपयोग करें | ।
    • अपने बच्चे को कपड़े पहनते वक्त कपड़े आदि चीजें चुनना जैसे छोटे छोटे निर्णय लेने दें।
    • बच्चे को छोटी जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहित करें, जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करेगा।

      स्कूल में

      • जब वह एक गलती करता है तब एक नकारात्मक वाक्यांश"यह गलत है" इस का उपयोग करने के बजाय, कुछ और सकारात्मक वाक्यों का उपयोग करें जैसे कि ' चलो, फिर से कोशिश करते हैं'। यह अधिक सहायक लगता है और बच्चा प्रोत्साहित महसूस करता है।
      • स्कूल में बच्चा जो सीखता है, उसके साथ तालमेल बैठाने की कोशिश करें और अपने घर में , स्कुल में सिखाया गया का उपयोग करें ।
      • यदि बच्चे को स्कूल में दोस्त बनाने में परेशानी होती है या समस्या आती है तो इसमें हस्तक्षेप करने और इसे ठीक करने की कोशिश न करें| इसके बजाय बच्चे को खुद को इसे ठीक करने दें, लेकिन उन्हें उस पर्याप्त सहायता दें जिसकी उसे जरुरत हो|

कहां से सहायता लें?

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डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे को पालपोस करना लिए चुनौतीपूर्ण होता है। डॉक्टर किसी विशेषज्ञ का नाम बताकर आपकी मदद कर सकते हैं और आज कई ऐसे अस्पताल हैं, जहां बच्चे को आवश्यक होनेवाले सभी विशेषज्ञों को एक छत के नीचे पा सकते हैं । यह शुरुआत में माता-पिता के लिए भारी हो सकता है, लेकिन इसके लिए एकमात्र समाधान है , साझा करना ,शेअर करना| अपनी कहानी अपने जैसे अन्य माता-पिता के साथ साझा करें, इससे गुजरे हैं। माता-पिता के ऐसे कई समुदाय हैं, जो वास्तव में समझते हैं कि आप क्या महसूस कर रहे हैं। यहाँ कुछ समूह हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं:-

  • डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया
    भारत में कुछ संगठन डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों और उनके मातापिताओं की मदद करने के लिए समर्पित हैं। उनमें से एक डाउन सिंड्रोम फेडरेशन ऑफ इंडिया है| यह डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चे और जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है उनको डेकेयर प्रदान करता है। वे मध्य पूर्व में भी हैं और वे माता-पिता को कौन्सिलिंग , बच्चों को फिजियोथेरेपी और स्पीच थेरेपी जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के प्रति जागरूकता और स्वीकृति और इसके साथ आने वाली बीमारियों की दिशा में काम करना है।
    वेबसाइट: www.downsyndrome.in
    ईमेल: mathrumandir@gmail.com
  • डाउन सिंड्रोम केयर एसोसिएशन
    इस संगठन का मुख्य ध्यान परिवारों को डाउन सिंड्रोम से प्रभावित बच्चों की स्थिति और देखभाल के साथ रहना सीखने में मदद करना है। इसके लिए वे माता-पिता और प्रभावित बच्चों को किसी कार्यक्रम द्वारा कोचिंग देते हैं।
    वेबसाइट: www.ds-int.org ईमेल: drchopade@dscaindia.org
  • डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे के माता-पिता
    नए माता-पिता को अपने बच्चे की स्थिति से निपटने के लिए शुरुआत में बहुत मदद की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह उनके लिए एक पहाड़ सा टूटता है | इस संगठन द्वारा यह सहायता और आधार दिया जाता है| यह संगठन माता-पिता को इस चुनौती को स्वीकार करने और अपने बच्चे की सराहना करने की मानसिकता पैदा करने में मदद करते हैं।
    वेबसाइट: www.podsindia.org
    ईमेल: podsindia@rediffmail.com

डाउन सिंड्रोम के लिए उपचार पद्धति

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हालांकि डाउन सिंड्रोम के लिए अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है, ऐसे कई उपचार हैं जो जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। जितनी जल्दी चिकित्सा बेहतर हो जाती है, क्योंकि बच्चे जीवन के शुरुआती चरणों में बुनियादी मोटर और विकासशील कौशल सीखते हैं। बच्चे के स्कूल जाने से पहले ही विभिन्न उपचार शुरू किए जा सकते हैं। ये उपचार आयु, स्वास्थ्य, सीमाओं और शक्ति जैसे कारकों पर आधारित हैं

  • भाषण थेरेपी सबसे पहले किये जानेवाले उपचारों में से यह एक है ,जो शिशु अवस्था से डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे को भी दिए जा सकते हैं। यह बच्चे को संवाद और भाषा कौशल में सुधार करने में मदद करने के लिए मौखिक मांसपेशियों का संयोजन , अनुभूति और मजबूती पर केंद्रित है।
  • व्यावसायिक चिकित्सा यह चिकित्सा व्यक्ति के आज्ञा चेता तंतुओं के कौशल के पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है और उन्हें एक स्वस्थ जीवन शैली का अनुसरण करने और समाज में चलनवलन करने में मदद करती है। ये चिकित्सक दांतों को ब्रश करने और पहले से तैयार होने जैसे दैनिक कार्यों के माध्यम से कौशल को सुधारने पर काम करते हैं। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, वे लेखन और कंप्यूटर शिक्षा जैसे कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हैं|
  • विशेष शिक्षा डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की कुछ विशेष आवश्यकताएं होती हैं और उन्हें विशेष रूप से शिक्षा की आवश्यकता है। कुछ स्कूल और प्रतिष्ठान इन जरूरतों को पूरा करते हैं और इन बच्चों के लिए एक विशेष शिक्षण पद्धति लागू करते हैं, ताकि वे बेहतर सीखें।
  • फिजियो चिकित्सा डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के मांसपेशियों की ताकत कम और हाथ छोटे होते हैं, जिसकी वजह से वह धीमी गति से आगे बढ़ता है| फिजियो थेरपी चिकित्सा इन मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उन्हें टोन करने पर केंद्रित करती है। इससे समन्वय और संतुलन में सुधार होता है । सही और उचित रोज की फिजियो थेरपी की दिनचर्या के आधारपर भी बच्चे की शारीरिक गठन में सुधर लाया जा सकता है|
  • सहायक तकनीकत ये ऐसे उपकरण हैं जो डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे चाहे वे विकलांग भी हो अपने व्यक्तिगत कार्य बेहतर तरीकेसे कर सकते हैं, जैसे श्रवण यंत्र, पेन ग्रिप्स, वॉकिंग एड्स, बड़े बटन वाले मोबाइल फोन और कीबोर्ड आदि। टच स्क्रीन के उपकरण डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं, क्योंकि उन्हें आज्ञा चेता तंतुओं से मुकाबला करना पड़ता है |

डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों के लिए कुछ गतिविधियाँ

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डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे समाज के लिए योगदान देनेवाले और आत्म निर्भर सदस्य बनने की क्षमता रखते हैं। चूँकि वे बातचीत में और आगे बढ़ने में काफी देरी का अनुभव करते हैं, फिर भी कुछ गतिविधियों के सहारे आप उन्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं और उन्हें समझ भी सकते हैं। आप उनके लिए उन गतिविधियों को चुनें जो उनके कौशल स्तर और रुचियों से मेल खाती हैं। गतिविधियों में एक शौक या खेल भी शामिल कर सकते हैं।

  • पेंटिंग पेंटिंग भावनाओं को व्यक्त करने का एक अच्छा तरीका है और इससे बच्चे को हाथ और आंख के बीच समन्वय बनाने में भी मदद मिलती है। इस तरह उन्हें रचनात्मक और कल्पनाशील होने का अवसर देकर उनकी जागरूकता के विकास में मदद होती है। इस गतिविधि से बच्चे को तसल्ली मिलती है उनका दिल बहलाता है|और जब कलाकृति तैयार होती है तब यह उनमें आत्मविश्वास की भावना लाती है।
  • संगीत संगीत डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों की स्मृति को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। उनमें सकारात्मकता पैदा करने के लिए उनकी दिनचर्या में संगीत का उपयोग करें और उनके लिए संगीतवाले खिलौने [म्युझिकल टॉइज ]हाथ लगे ऐसे रखे| यदि वे किसी विशेष वाद्य में रुचि दिखाते हैं, तो उन्हें एक उचित संगीत प्रशिक्षण मिले ऐसा प्रयास करें। इससे उनका आत्मविश्वास और रचनात्मकता बढ़ेगी।
  • खेल डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे के साथ सामान्य बच्चों जैसा बर्ताव करें ,यद्यपि उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यह उन्हें अन्य बच्चों के साथ सामान्य महसूस करने और मानसिक रूप से मजबूत होने में मदद करता है। खेल सामाजिक कौशल सीखने और उनकी शारीरिक शक्ति में सुधार करने का एक शानदार तरीका हो सकता है। साइकिल पर होपिंग, साइकिल चलाना और दौड़ना इस पहलू में एक शानदार शुरुआत हो सकती है।
  • यात्रा डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे के लिए यात्रा एक नया कुछ सीखने का अनुभव होता है। नए लोगों को देखने और उनसे मिलने से उन्हें दृश्य स्मृति और बातचीत का कौशल विकसित करने में मदद मिलती है । यात्रा से उन्हें दुनिया की जानकारी लेने और समझने की मदद मिलती है | यह डाउन सिंड्रोमवाले बच्चे के लिए एक महान शैक्षिक अनुभव होता है।

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हमें उम्मीद है कि हमने इस लेख के साथ आपकी मदद की होगी। उसे यह महसूस न कराएं कि वह अन्य बच्चों से अलग है क्योंकि यह उसके लिए अच्छा अहसास नहीं होगा। हमेशा उसे यह महसूस कराएं कि वह अन्य बच्चों से आगे है।