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प्रसाद देने का महत्व क्या होता है।
नवरात्री भारत के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जिसमें माँ दुर्गा की पूजा होती है :- नवरात्री उत्सव नौ दिनों तक चलता है और इन नौ दिनों के दौरान लोग ज्यादातर व्रत करते हैं। कुछ लोग सभी 9 दिन के उपवास करते हैं जबकि कुछ लोग केवल सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन का ही व्रत करते हैं। व्रत खोलने के देवी को भोग प्रसाद अर्पित किया जाता है। इसके बाद भक्तों द्वारा प्रसाद का सेवन किया जाता है।
प्रसाद का अर्थ है एक ऐसा पकवान जो की भक्तों के द्वार किसी भी देवता को पूरी श्रद्धा के साथ अर्पित किया जाता है :- भक्तों द्वारा ग्रहण किए गए प्रसाद को भगवान का आशीर्वाद माना जाता है। प्रसाद तैयार करते वक़्त कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाता है। लोगों का मानना है प्रसाद आध्यात्मिकता देने के साथ और आत्मा को भी पवित्र करके तृप्त करता है। कुछ भक्त देवता को प्रसाद अर्पित करने के बाद ही कुछ खाते हैं।
भोग या नैवेद्य अर्पित करते समय इन 3 बातों का खास ध्यान रखें।
- सात्विक समग्री का ही इस्तेमाल करें
प्रसाद बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि यह पूरी तरह से शाकाहारी हो और इसमें किसी प्रकार का लहसुन, मशरूम या प्याज का इस्तेमाल ना किया गया हो। साथ इसमें बहुत ही कम मात्रा में तेल, मिर्ची और नमक का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके पीछे का कारण है कि इन सभी समग्री को रज और तम प्रधान माना जाता है। सात्विक भोजन से भगवान खुश होके भक्त को सतविक्ता प्रदान करते हैं। - भोजन को चखें नहीं
भगवान के लिए जो भी भोग बनाया जाता है उसे कभी भी जूठा नहीं किया जाता क्योंकि यह भोजन अपनी आध्यात्मिक तृप्ति और भगवान को अर्पित करने के लिहाज से बनाया जाता है। इसलिए इसको सबसे पहले भगवान को अर्पित करके फिर ही खुद चखें। खाना बना ते समय वातावरण एक दम शांत होना चाहिए। और खाना पकाने वाला भी एकदम स्वच्छ और शांत मन का हो। - भोग को ढक के रखें
भोजन को हमेशा ढक करके है रखना चाहिए। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है वातारण का रज और तम प्रधान होना। यदि सात्विक तरीके से बने हुए भोजन में रज और तम प्रधान तरंगे चली जाएंगी तो भोजन दूषित हो सकता है। और इसकी पवित्रता नष्ट हो सकती है।
पूरी, काले चने और हलवे के महत्वपूर्ण के कारण।
अष्टमी के प्रसाद में हलवा, पूरी और चने का बहुत ही खास महत्व है :- सबसे पहले अगर स्वाद की बात करें तो यह तीनों मिलकर बहुत ही स्वादिष्ट भोजन बन जाते हैं। सुबह उठकर कंजक पूजन के दिन इसको बनाना भी बहुत आसान है।
कंजक पूजन के दिन दुर्गा माता को कंजक के रूप में पूजन करके इसी हलवा, पूरी और चने का भोग लगाया जाता है :- ऐसी मान्यता है कि दुर्गा माता को यह पकवान बहुत ही पसंद है।
अष्टमी पूजन के लिए 3 मुख्य व्यंजन।
हलवा बनाने की विधि।
सूजी का हलवा एक आसान रेसिपी है :- देवताओं के लिए नैवेद्यम या भोग के रूप में इस्तेमाल की जाती है। यदि आप इस हलवे को अधिक मात्रा में तैयार करना चाहते हैं ।
सूजी, चीनी, घी और पानी तो 1: 2/3: 2/3: 1.25 कप के अनुपात में इस्तेमाल करें :
- सूजी - 1 कप
- चीनी - ¾ कप (यदि आप कम मिठास पसंद करते हैं तो 2/3 कप पर्याप्त है)
- घी ½ कप और पानी - 2 कप
- सूखे मेवे (काजू, किशमिश, बादाम)
- चिरौंजी
- 1 छोटा चम्मच - इलायची पाउडर
- 1. एक पैन में घी गरम करें। जब घी गर्म हो जाए तो इसमें काजू के साथ सूजी भी मिला दें। धीमी आंच पर मिश्रण को थोड़ा सुनहरा होने के लिए 7-8 मिनट भुने।
- 2. एक बार सूजी को भूनने के बाद किशमिश और चिरौंजी (आप अपनी पसंद के सूखे मेवे) में मिला सकते हैं। अब इलायची पाउडर डालें।
- 3. जब भूनने की प्रक्रिया चालू हो, तो आप चीनी की चाशनी बनाना भी शुरू कर दे। भारी सॉस पैन लें और उसमें चीनी डालें। पानी डाल कर और मध्यम आंच पर इस मिश्रण को कभी-कभी हिलाते हुए पकाएं। इस घोल को उबाल लें।
- 4. इस गर्म सिरप को पहले से तैयार किए गए सूजी के मिश्रण में मिलाएं और गांठ से बचने के लिए इसे लगातार हिलाएं। मिश्रण के गाढ़ा होने तक और चीनी की चाशनी के सोखने तक हिलाते रहें। पूरी तरह पकने के बाद मिश्रण सॉस पैन के किनारों को छोड़ देगा। आंच बंद करें और भोग अष्टमी पूजा के लिए तैयार है।
- 1. इस रेसिपी के लिए बढ़िया किस्म की सूजी का इस्तेमाल करना चाहिए।
- 2. सुनिश्चित करें कि भूनी हुए सूजी और चीनी का घोल गर्म है।
- 3. सूजी को भूनें और समय बचाने के लिए चीनी के घोल को किनारे कर दें।
- 4. हलवे को भरपूर स्वाद और स्वाद देने के लिए पानी की जगह गुड़ और दूध के साथ चीनी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीका :
सुझाव :
पूरी बनाने की विधि।
- 2 कप - गेहूं का आटा
- 1/2 चम्मच - नमक
- 1. एक कटोरे में गेहूं का आटा और नमक मिलाएं। अगर आप चाहें तो इसमें एक टीस्पून तेल भी मिला सकते हैं। आटा सख्त गूंधें और इसे लगभग 20 मिनट के लिए एक तरफ रख दें।
- 2. एक पैन में पूरियां तलने के लिए तेल गर्म करें। गूंथे हुए आटे को नींबू के आकार के बॉल्स बना लें। हर बॉल बेलन की मदद से 3 से 5 इंच के घेरे में रोल करें। पूरियों को बहुत पतला ना बेलें। इसे गरम तेल में सुनहरा भूरा होने तक तलें।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीक़ा :
काले चने बनाने की विधि ।
- 1 कप चना
- 1 से 2 टेबलस्पून - धनिया पत्ती
- 2 या 3 हरी मिर्च
- 1 चम्मच - जीरा
- 1 इंच - अदरक जूलिएन
- 1 से 2 टेबलस्पून - तेल
- 1 टीस्पून - गरम मसाला
- 1 टीस्पून - लाल मिर्च पाउडर
- 1 चम्मच - मैंगो पाउडर
- 1 टीस्पून - धनिया पाउडर
- 1 टीस्पून - हल्दी पाउडर
- 1. काले चने को लगभग 7 घंटे तक भिगोएँ और फिर भीगे हुए चने को नरम होने तक पकाएं।
- 2. एक पैन में तेल गर्म करें। धीमी आंच पर जीरा और सेव डालें। हरी मिर्च और सभी मसाले डालें। कच्ची महक गायब होने तक भूनें। पर ध्यान रखें कि मसाले जलें नहीं।
- 3. चना से पानी निकालें और इसे नमक के साथ बनाए गए मिश्रण में मिलाएं। अच्छी तरह से मिलाएं ताकि मसाला समान रूप से चने के सभी दानों के साथ मिल जाए और लगभग 2 - 3 मिनट के लिए भूनें। धनिया पत्ती से गार्निश करें।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीक़ा :
दक्षिण भारत के 6 प्रमुख व्यंजन।
नारियल के चावल ।
यह खाने में हल्का और स्वादिष्ट दक्षिण भारतीय व्यंजन है :- जिसे अक्सर नैवेद्यम के रूप में इसतेमाल किया जाता है। इस व्यंजन में मुख्य रूप से कसा हुआ नारियल इस्तेमाल किया जाता है।
- पके हुए सफेद चावल के 4 कप और इसमें बासमती चावल का उपयोग कर सकते हैं।
- 1.5 टेस्पून तेल
- 1.5 कप ताजे कद्दूकस किया हुआ नारियल
- 2 कटी हुई हरी मिर्च
- 10 - 12 कटी हुई काजू
- 10 कढ़ी पत्ता
- बड़ा चम्मच बंगाल चना
- बड़ा चम्मच ब्लैक ग्राम
- 1 टीस्पून सरसों
- 2 सूखी लाल मिर्च
- नमक
- 1. एक बर्तन में तेल गरम करें और उसमें राई डालें। जब राई भून जाए तो काले चने और चने की दाल डाल दे। फिर इस को ½ मिनट के लिए भूने और फिर इस मिश्रण में काजू डालें। दाल और काजू को सुनहरा भूरा होने तक भूनते रहें।
- 2. इसके बाद इसमें करी पत्ता, हरी मिर्च और लाल मिर्च डालें। एक बार मिर्च का रंग बदलने के बाद कटा नारियल डालें और इस मिश्रण को 2 से 3 मिनट तक भूने जब तक कि यह हल्का भूरा और खुशबूदार न हो जाए।
- 3. अब इसमें पका हुआ चावल डालें। सभी सामग्री को अच्छी तरह मिश्रित करें। आप नारियल केचावल में एक चम्मच घी में डालकर ऊपर से धनिया पत्ती से गार्निश कर सकते हैं।
आवशयक सामग्री :
तड़के के लिए :
बनाने का तरीका :
नारियल की बर्फी ।
नारियल की बर्फी नवरात्रि त्यौहार के दौरान पसंद की जाने वाली स्वादिष्ट और आसान रेसिपी में से एक है :- इस स्वादिष्ट व्यंजन को कसा हुआ नारियल और चीनी की चाशनी का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। इसको खासकर व्रत के दिनों में अधिक खाया जाता है।
- 700 ग्राम चीनी
- 500 ग्राम नारियल
- 2 बड़ा चम्मच दूध
- 20 काजू
- 1/2 कप पानी
- 1. सबसे पहले नारियल के टुकड़ों को पीसकर अलग रख लें।
- 2. एक मोटे तले वाले पैन में पानी गर्म करें और उसमें चीनी डाल कर चाशनी तैयार करें। चाशनी बनाने के समय पानी को लगभग 2 से 3 मिनट तक उबालें। जब यह उबलना शुरू हो तभी इसमें दूध मिलाएं। दूध चाशनी को पारदर्शी और स्पष्ट बनाता है। उबलते समय चाशनी के उपर बनने वाली झागदार परत को हटा दें।
- 3. ध्यान रहे कि चीनी की चाशनी गाढ़ी और चिपचिपी होनी चाहिए। अपने तर्जनी उंगली और अंगूठे के बीच चाशनी की एक बूंद रखके इसकी स्थिरता की जाँच करें। अब चाशनी में कद्दूकस किया हुआ नारियल डालें और अच्छी तरह मिलाएँ।
- 4. एक फ्लैट प्लेट लें और इस पर घी लगाए। उस पर समान रूप से नारियल का मिश्रण फैलाएं। इस पर मेवे छिड़कें। इसे डायमंड शेप में काटें और सेट होने दें।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीका :
पुलियो गेर।
- कच्चे चावल - 1/3 कप
- मूंगफली - एक मुट्ठी
- काजू - 4 से 5 टुकड़े
- लाल मिर्च - 2
- सरसों के बीज - 1/2 चम्मच
- बंगाल चने की दाल - 2 - 3 बड़े चम्मच
- करी पत्ता
- इमली का पेस्ट - 1 बड़ा चम्मच
- पीसा हुआ गुड़ - 1 चम्मच
- नमक स्वादानुसार
- तेल - 3 चम्मच
- 1. प्रेशर कुक में चावल पकाएं और इसे ठंडा होने के लिए रख दें।
- 2.अब एक पैन में तेल गर्म करें इसमें सरसों के दाने, मूंगफली और बंगाल चना दाल डालें। इसे तब तक भूने जब तक दाल भूरी ना हो जाए। अब इसमें करी पत्ता और काजू डालें। एक और मिनट के लिए भूनें।
- 3. इमली का पेस्ट, नमक और गुड़ पाउडर मिलाएं। फिर इसे 4 मिनट तक पकाएं।
- 4. इस मिश्रण में चावल डालें और अच्छी तरह से मिलाएँ।
- 5. पुलियोगेर तैयार हैं।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीका :
पायसम।
अष्टमी के दौरान भक्त सिर्फ कुछ खास प्रकार के व्यंजन ही खा सकते है और उन्हीं व्यंजनों में पायसम एक प्रमुख मिठाई है :- इसको खास कर नवरात्रि में भगवान को अर्पित किया जाता है। दक्षिण भारत में खीर के लिए पायसम शब्द का उपयोग किया जाता है। कई प्रकार के पायसम व्यंजन हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान। इस मिठाई को बनाने के अनाज का उपयोग नहीं किया जाता है।
- ½ कप साबू दाना (सागो)
- 3 कप दूध
- 1 कप गुड़
- 10 काजू
- 10 किशमिश
- ¼ टी स्पून इलायची पाउडर
- 1/2 कप पानी
- 1 बड़ा चम्मच घी
- 1. साबूदाना धोएं और इसे कम से कम एक घंटे के लिए भिगो दें। 2 कप पानी डाले और इसे पारदर्शी होने तक पकाएं।
- 2. दूध डालें और तब तक उबालें जब तक मिश्रण थोड़ा गाढ़ा न हो जाए। आंच से उतारें और पीसा हुआ गुड़ और इलायची पाउडर डालें। अच्छे से ब्लेंड होने तक मिलाएं।
- 3. अगर आप चाहें तो गुड़ की चाशनी तैयार करें और इसे ठंडा करें। इस मिश्रण को तैयार साबूदाने के मिश्रण में मिलाएं। गर्म सिरप जोड़ने से मिश्रण को कड़ा किया जा सकता है, इसलिए दोनों में से किसी एक ठंडा करलें।
- 4. एक छोटा पैन लें। घी गरम करें और किशमिश और काजू डालें। सुनहरा भूरा होने तक भूनें। इनको भी पायसम में डाल दें।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीका :
सुंडल ।
नवरात्रि के दौरान पसंद किए जाने वाले व्यंजनों में सूंदल सबसे आसानी से बनने वाला पकवान है :- पारंपरिक तरीके से तैयार होने वाले सूंदल में ग्रीन ग्राम दाल, फील्ड बीन्स, काउपेस्ट, बंगाल ग्राम और छोले शामिल हैं।
- 1 कप भिगो कर रखे हुए छोले
- ½ कप कसा हुआ नारियल
- ½ चम्मच उड़द की दाल
- ¼ छोटा चम्मच सरसों
- 2 टूटी हुई लाल मिर्च
- 10 करी पत्ते
- 1 चम्मच हरी मिर्च
- 1 बड़ा चम्मच तेल
- एक चुटकी हींग
- और स्वादानुसार नमक
- 1.पहले से भिगो कर रखे हुए छोलो को नरम होने तक प्रेशर कुक करें। अतिरिक्त पानी को बाहर निकाल दें।
- 2. एक पैन लें और तेल डालें। एक बार तेल गर्म होने पर सरसों और उड़द दाल डालें। इसको तब तक भूनें जब तक दाल भूरी ना हो जाए। अब इसमें हरी मिर्च, लाल मिर्च, करी पत्ता, हींग डालें।
- 3. अब इसमें कसा हुआ नारियल और नमक मिलाएं। साथ ही इस तड़के में पके हुए छोले डालें। अच्छी तरह मिलाएं और सूंदल तैयार है जिसे नैवेद्यम के रूप में परोसा जाता है।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीका :
मेदू वडे ।
उड़द दाल के फुले और हल्के वड़े बाहर से कुरकुरी और अंदर से नरम होते हैं :- यह अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को अर्पित करने के लिए स्वादिष्ट और उत्तम व्यंजन हैं।
- उड़द की दाल - 1 कप
- जीरा बीज - 1 छोटा चम्मच (हल्का कुचला हुआ)
- काली मिर्च के दाने - 10 (हल्के से कुचले हुए)
- नमक स्वादानुसार
- तलने के लिए तेल
- 1. उड़द की दाल को कम से कम 2 घंटे के लिए भिगो कर रखें। इसका टाईट और चिकनी पेस्ट बनाने के लिए इस दाल को पीस लें। दाल पीसते समय बहुत अधिक पानी ना डालें क्योंकि पेस्ट के वडो की बनाने के लिए गाढ़ा करना पड़ता है।
- 2. अब पेस्ट में नमक, जीरा और काली मिर्च डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
- 3. एक पैन में तेल गरम करें और फिर मध्यम आंच पर तेल को गर्म होने दें। अपने हाथों को गीला करें। बैटर का एक छोटा हिस्सा लें और इसे केले के पत्ते या घी लगी शीट पर रखें। थोड़ा चपटा करें और इसके बीच में एक छेद करें।
- 4. अब बनाए गए वड़ों को तेल में डालें और मध्यम आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा भूरा होने तक भूनें।
- 5. आप अपने पैन के आकार के आधार पर एक बार में 4 से 5 वड़े तल सकते हैं।
आवशयक सामग्री :
बनाने का तरीका :
कुछ जरूरी सुझाव: नवरात्रि के लिए रंग ।
भारत में नवरात्रि को बहुत ही उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है :- इन दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने, उपवास करने, डांडिया खेलने और विशेष नवरात्रि भोजन तैयार करने के इलावा ।
लोग त्योहार के 9 दिनों में विशिष्ट रंग पहनते हैं :
- दिन 1 - नारंगी -
इस दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है यह रंग खुशी और ऊर्जा प्रदान करता है। - दिन 2 - सफेद -
इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। सफेद रंग शुद्धता और शांति का प्रतीक है। - दिन 3 - लाल -
इस दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। लाल निर्भयता और सुंदरता का प्रतीक है। - दिन 4 - रॉयल ब्लू -
इस दिन देवी कूष्मांडा की पूजा होती है। रॉयल ब्लू धन और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है। - दिन 5 - पीला -
इस दिन देवी स्कंदमाता को पूजा जाता है। पीला चमक और खुशी का प्रतिनिधित्व करता है। - दिन 6 - हरा -
इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। हरा रंग नई शुरुआत का प्रतिनिधित्व करता है। - 7 दिन - ग्रे -
देवी कालरात्रि की पूजा इस दिन की जाती है। ग्रे रंग परिवर्तन और शक्ति के लिए माना जाता है। - दिन 8 - बैंगनी -
8 वें दिन को अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है और इस दिन कंजक पूजा की जाती है। इस दिन महागौरी की पूजा की जाती है। बैंगनी रंग शांति और बुद्धि का प्रतीक है। - दिन 9 - मोर हरा-
इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। हरा रंग इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है।
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प्रसाद न सिर्फ पोषण आहार है,बल्कि यह एक आध्यात्मिक और पवित्र प्रसाद बन जाता है।
नवरात्रि भारत में सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में से एक है, जो माँ दुर्गा को समर्पित है। यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है और इस अवधि के दौरान, लोग देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए उपवास करते हैं। सभी नौ दिनों के लिए उपवास करते हैं जबकि अन्य केवल सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन। प्रसाद तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में पवित्रता पर ध्यान दिया जाता है। ईश्वर में पूरी श्रद्धा और भक्ति राखी जाती है, इसलिए यह केवल भौतिक पोषण नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और पवित्र प्रसाद बन जाता है।