क्या आप नवरात्रि के लिए उपवास कर रहे हैं? यहां आपके लिए 9 नवरात्रि व्यंजन बनाने की विधि है जो आपके लिए शुद्ध, स्वादिष्ट और स्वस्थ की गारंटी है (2020)

क्या आप नवरात्रि के लिए उपवास कर रहे हैं? यहां आपके लिए 9 नवरात्रि व्यंजन बनाने की विधि है जो आपके लिए शुद्ध, स्वादिष्ट और स्वस्थ की गारंटी है (2020)

माँ दुर्गा नवरात्रि बुराई के विनाश और त्योहारी सीजन की शुरुआत का प्रतीक है। उनका आशीर्वाद लेने के लिए, माता के कई भगत नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान उपवास करते हैं। लेकिन, उपवास करना थोड़ा मुश्किल मामला हो सकता है यदि आप कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों को बनाने की विधि से परिचित नहीं है । हम यहां आपको कुछ आसान और गुणवत्तापूर्ण व्यंजनों की बनाने की विधि ,उनके लिए आवशयक सामग्री से रूबरू कराने में आपकी मदद करते हैं, यहां दिए गए व्यंजनों को नवरात्रि के व्रत के दौरान खाया जा सकता है।

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शरद नवरात्री या दुर्गा पूजा।

नवरात्री या शरद नवरात्री या दुर्गा पूजा अश्विन माह में भारत वर्ष में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है :- ये 9 दिन का पर्व है और विजयदशमी या दशहरा पर ख़त्म होता है| विजयदशमी वो दिन है जब माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके विजय प्राप्त की थी| इसीलिए ये पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है|

देश के कुछ हिस्सों में भगवान् राम की रावण पर विजय के रूप में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है :- नवरात्री के नौ दिनों में माँ दुर्गा के भक्तगण प्रत्येक दिन देवी के एक एक अवतार यानी की कुल नौ अवतारों की पूजा करते हैं| इसके दौरान वो उपवास रखते हैं और रस्म अदा करते हैं|

आखिर 9 दिन ही क्यूँ?

नवरात्री का पर्व पुरे नौ दिन तक पुरे उत्साह से मनाया जाता है :- यहाँ तक की भक्त इन नौ दिनों में नौ अलग अलग रंग के वस्त्र भी पहनते हैं ।

देवी के अवतारों के प्रति अपनी भक्ति के कारण :

  • प्रथमा : नवरात्री का पहला दिन देवी शैलपुत्री के नाम होता है| जो दुर्गा माँ का अवतार हैं और जिनमे भगवन ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की ही शक्तियां विद्यमान हैं| देवी शैलपुत्री शुद्धता और प्रकृति का स्वरूप हैं| इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहने जाते हैं|

  • द्वितीया : दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी का होता है| ये सुख और समृद्धि का प्रतिक मानी जाती हैं और अपने भक्तों को यही आशीर्वाद भी देती हैं| इनकी पूजा मोक्ष प्राप्ति के लिए की जाती है| ये अन्तर्निहित ऊर्जा की देवी हैं इसलिए इनकी पूजा के वक्त गहरे और चमक वाले नीले रंग के वस्त्र पहने जाता हैं|

  • तृतीया : तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा अर्चना का दिन है| सुन्दरता और साहस की प्रारूप इन देवी की पूजा के लिए पीले रंग के वस्त्र होने चाहिए|

  • चतुर्थी : कुष्मांडा देवी जो की ब्रह्माण्ड की रचना के लिए आवश्यक शक्ति का प्रारूप हैं की पूजा चौथे दिन होती है| ऐसा माना जाता है की उन्होंने विश्व की रचना हँसते हुए की थी और उन्होंने ने ही धरती पर प्रकृति, हरियाली और वनस्पतियों को उत्पन्न किया था इसलिए उनकी पूजा के लिए हरे रंग के वस्त्र पहने जाते हैं|

  • पंचमी : देवी स्कंदमाता की पूजा पांचवे दिन की जाती है| देवी स्कंदमाता स्कन्द या कार्तिकेय की माँ हैं| और कार्तिकेय वो हैं जिनको उस सेना का सेना नायक बनाया गया था जो राक्षसों से लड़ने के लिए बनी थी| देवी स्कंदमाता की पूजा ग्रे रंग के कपडे पहनकर की जाती है|

  • षष्ठी : छठा दिन देवी कात्यायनी का होता है| इनका जन्म महान ऋषि कटा के यहाँ हुआ था| देवी कात्यायनी माँ दुर्गा की अवतार हैं और बहुत साहसी हैं| इनकी पूजा में नारंगी रंग के वस्त्र पहनने का रिवाज है|

  • सप्तमी : सातवाँ दिन देवी कालरात्रि के नाम होता है| और ये देवी बाकी सब अवतारों से ज्यादा खतरनाक मानी जाती हैं| इनका स्वयं का रंग काला होता है और इनके भाव बहुत खतरनाक होते है और ये सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनती हैं| इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने जाते हैं जो शांति का प्रतीक भी हैं और देवी के प्रति अपनी भक्ति ज़ाहिर करने का भी तरीका है|

  • अष्टमी : दुर्गा माँ की अवतार देवी महागौरी की पूजा आठवें दिन की जाती है| ये बुद्धिमत्ता, शांति और सुकून का प्रतीक हैं| ऐसा माना जाता है के जब ये हिमालय के पहाड़ों के बीच गयीं तब इनका रंग काला पड़ गया तब भगवान् शिव ने इनको गंगा नदी के जल से साफ़ कर इनका रूप और सौंदर्य फिर से वापस प्रदान किया| इस दिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहने जाते हैं जो की अच्छी उम्मीदों को दर्शाता है|

  • नवमी : नवरात्री का आखरी दिन होता देवी सिद्धिदात्री के नाम जो माँ का ही प्रारूप हैं| ऐसा माना जाता है की इन्होने ही सभी देवी देवताओं और भक्तों को परमानन्द का आशीर्वाद दिया था| फलस्वरूप इस दिन पूजा करने के लिए नीले वस्त्र पहने जाते हैं|

नवरात्री का स्वादिष्ट उपवास

जी हाँ स्वादिष्ट उपवास :- वैसे तो नवरात्री के उपवास के दौरान कुछ चीज़ों के खाए जाने की पाबंदी होती है जैसे मांस, मछली, प्याज़, लहसुन, अदरक और कुछ लोग तो चावल भी नहीं खाते इसके बजाय बाजरा या चावल की एक और किस्म जिसे सामा चावल कहते हैं, खा सकते हैं|

परन्तु इसके बावजूद भी व्रत का खाना स्वादिष्ट और दिलचस्प हो सकता है :- यकीन न हो तो हमारी इस सूचि पर गौर कीजिये जिसमे हमने व्रत के नौ दिनों के लिए नौ प्रकार के ख़ास व्यंजनों और उनको बनाने की विधि को शामिल किया है|

साबूदाना व्रत डोसा ।

अगर आप व्रत के खाने में चावल नहीं लेते तो ये डोसा आपके लिए उपयुक्त है :- लस रहित होने के कारण और खमीर उठाने की ज़रूरत ना होने के कारण ये डोसा काफी जल्दी तैयार किया जा सकता है|

डोसा तैयार करने के लिए सामग्री:


  • घोल बनाने के लिए :
  • साबूदाना – ½ कप
  • बाजरा/ सामा चावल – 1 कप
  • कुट्टू का आटा – 1 ½ कप
  • छाछ – ¼ कप
  • नमक – स्वादानुसार
  • तेल – 2 टेबल स्पून

  • आलू की फिलिंग के लिए :
  • 3 आलू मध्यम आकार के
  • हल्दी – ¼ tsp
  • लाल मिर्च पाउडर – ¼ tsp
  • सरसों के दाने – ¼ tsp
  • करी पत्ता – 1 डंठल
  • तेल – 1 tbsp
  • नमक – स्वादानुसार

विधि :


  • घोल बनाने के लिए :
  • साबूदाना और बाजरा को धो लें और इन्हें भीगा कर रख दें कम से कम 3 से 4 घंटे के लिए| जिसके बाद इन्हें पानी से निकल कर एक बार फिर धो लें|
  • इन्हें ब्लेंडर में डालकर इसकी प्यूरी बना लें|
  • अब इसमें कुट्टू का आटा, नमक छाछ मिला लें|
  • इसे अच्छे से मिलाएं की गुठलियाँ न रह जाएँ|

  • आलू की फिलिंग :
  • आलू को उबल कर छील कर छोटे टुकड़े में काट लें|
  • पैन में तेल गर्म करें, जब तेल गर्म हो जाए तब उसमे सरसों के दाने डाल दें|
  • जब सरसों के दाने चिटकने लग जाएँ तब इसमें हल्दी, लाल मिर्च, नमक और करी पत्ते डाल कर अच्छी तरह मिला लें|
  • इसके बाद इसमें आलू और बाकी मसाले मिलाकर अच्छे से चला लें| इसे ठंडा होने रख दें|

  • डोसा :
  • डोसा पैन को गैस पर रखकर गर्म करें फिर उसपर थोडा सा तेल लगाएँ|
  • फिर इसपर एक चमचा भरकर घोल डाल दें और इसे फैला लें|
  • इस पर कुछ बूँदें तेल की छिड़क दें| फिर इसे ढक कर कुछ देर तक धीमी आंच पर पकने दें|
  • साबूदाना में मौजूद स्टार्च इसे चिपका देता है इसलिए डोसे को रोल करते वक्त थोडा ख्याल रखें|
  • आलू की फिलिंग को डोसे के बीच में रख कर डोसे को रोल कर दें|
  • चटनी के साथ गर्मागर्म परोसें|

राजगीरा पूरी।

राजगीर की पूरी कुछ अलग होती है क्यूंकि इसमें राजगिरे का आटा इस्तेमाल होता है :- जो लस रहित होता है इसलिए इसमें कुछ स्टार्च वाली वस्तु जैसे आलू मिलाया जाता है जिससे की आटे को गुंथा जा सके| ऐसा करने से पूरी मुलायम होने के साथ साथ हलकी दानेदार बनती है|

राजगीर की पूरी :

आवशयक सामग्री :

  • राजगीरा/ अमरनाथ आटा – 2 कप
  • आलू – 1
  • काली मिर्च का पाउडर – ½ tsp
  • नमक – स्वादानुसार
  • तेल – तलने के लिए

बनाने की विधि :

  • आलू को उबालकर मसल लें|
  • फिर एक बाउल में सभी सामग्री डालकर अच्छे से गूँथ लें|
  • इस गुंथे हुए आटे से छोटे छोटे पेडे निकाल लें| फिर एक एक पे डे को लेकर उसपर राजगीरे का सुखा आटा लगाकर बेलन की सहायता से बेल लें|
  • बेलते वक्त ख्याल रहे की पूरी कुछ छोटी और मोटी होनी चाहिए|
  • एक कढाई में तेल गर्म करें| जजब तेल गर्म हो जाये तब उसमे ये पूरी डालकर तल लें|
  • तलते वक्त पूरी को कलछुल की सहायता से थोड़ा दबा दें इससे पूरी फूलने में आसानी होगी|
  • जब पूरी फूल कर ऊपर आ जाये तब इसे पलट दें और सुनहरा होने तक तलें|
  • ऐसे ही बाकी पुरियां भी तल लें|
  • मनपसंद सब्जी या करी के साथ परोसें|

बाजरे की मसालेदार सलाद ।

कौन कहता है की व्रत का खाना स्वास्थ्य वर्धक नहीं होता :- इस बुद्धा बाउल को देखकर ग़लतफ़हमी दूर हो जाएगी| इस सलाद में ढेर सारे पोषक तत्व तो हैं ही साथ ही इसका स्वाद भी बहुत उम्दा होता है| अनाज के स्थान पर इसमें सामा चावल का इस्तेमाल किया गया है, प्रोटीन के लिए पनीर, फैट के लिए अवोकादो और कुछ फल और सब्जी का उपयोग है| साथ में तले हुए साबूदाने के बॉल्स इसे और स्वादिष्ट बनाते हैं|

बाजरे की मसालेदार सलाद :

आवशयक सामग्री :

सामा चावल :

  • सामा चावल/ बाजरा – 1 कप
  • पानी – 1¼ कप
  • नमक – स्वादानुसार
  • साबूदाना बॉल्स :

  • साबूदाना – 1 कप भीगा हुआ
  • अमचुर पाउडर – 1 tsp
  • मूंगफली का पाउडर – 2 tbsp
  • लाल मिर्च पाउडर – ½ tsp
  • हल्दी पाउडर – ½ tsp
  • कुट्टू का आटा – 3 tbsp
  • आलू – 2 मध्यम आकार के उबले और छीले हुए
  • धनिया की पत्ती – ½ tsp बारीक कटी हुई
  • नमक – स्वादानुसार
  • तेल – पकाने के लिए
  • बुद्धा बाउल :

  • अवोकादो – 1 मध्यम आकार का
  • खीरा – 1 छोटा
  • सिका हुआ पनीर – ¾ कप
  • अनार के दाने – 3 tbsp
  • हरी चटनी – 1 कप
  • बनाने की विधि :

    सामा चावल :

  • सामा चावल और पानी को नापकर एक पैन में डालकर उबलने के लिए रख दें|
  • जब पहला उबाल आ जाये तब आंच धीमी कर दें और इसे ढककर 15 मिनट तक पकने दें|
  • पकने के बाद इसे ठंडा होने दें और जब ये ठंडा हो जाए तब एक कांटे की मदद से इसे चला लें|
  • साबूदाना बॉल्स :

  • सामग्री को एक बाउल में डालकर अच्छे से मिला लें| ये मिश्रण थोडा गीला होना चाहिए|
  • अगर आपके पास अप्पे बनाने वाला पैन हो तो उसपर थोडा तेल लगाकर इस मिश्रण के छोटे छोटे बॉल्स बनाकर सेक लें
  • पैन न होने पर आप इन बॉल्स को कढाई में तेल डालकर तल भी सकते हैं|
  • बुद्धा बाउल :

  • पनीर को छोटे टुकड़ों में काटकर सेक लें|
  • एक बाउल में सभी तैयार की हुई चीज़ों को जैसे पनीर, सामा चावल, अवोकादो, खीरा, अनार के दाने और साबूदाना बॉल्स को सजा लें|
  • इसे अपनी पसंद की चटनी के साथ परोसें|

केले और अखरोट की लस्सी ।

लस्सी एक ऐसा पेय है जिसके बिना भारतियों का काम खासकर गर्मियों में नहीं चल सकता :- लेकिन क्या आप जानते हैं की इसे नवरात्री में लिया जा सकता है| इस पारंपरिक पेय को एक अनोखा अंदाज़ हमने दिया है इसमें केले और अखरोट मिलकर|

केले और अखरोट की लस्सी :

आवशयक सामग्री :

  • कम फैट वाला दही – 1 कप
  • केला – ½
  • अखरोट – 3 + 1(सजाने के लिए)
  • शहद – 2 tsp
  • अलसी और तिल के दाने – 1 ts

  • बनाने की विधि :

  • सभी सामग्री को फ़ूड प्रोसेसर में डालकर अच्छे से ब्लेंड कर लें|
  • इसे ग्लास में डालकर बारीक कटे हुए अखरोट के टुकड़ों से सजाएँ|
  • इस लस्सी में अखरोट के बजाय ब्राजील नट, हेज़ल नट या पाइन नट का इस्तेमाल किया जा सकता है|

संवत पुलाव ।

बाजरे का एक बार और इस्तेमाल ये काफी पोषक है :- और किसी भी चावल के बनाये जाने वाले व्यंजन में चावल के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है|

संवत पुलाव :

आवशयक सामग्री :

  • बाजरा – 1 कप
  • जीरा – 1 tsp
  • दालचीनी – ½ इंच का टुकड़ा
  • लौंग – 3
  • हरी इलाइची – 2
  • काली मिर्च – 4
  • हरी मिर्च – 1
  • करी पत्ता – 1 डंठल
  • धनिया पत्ती – 1 tbsp बारीक कटी हुई + 1 tbsp बारीक कटी हुई (सजावट के लिए)
  • मूंगफली – 1 tbsp
  • आलू – 2 मध्यम आकार के (छिले और कटे हुए)
  • काजू – 10
  • बादाम – 10
  • पानी – 3 कप
  • निम्बू का रस – थोड़ी मात्रा में
  • निम्बू के टुकड़े – आवश्यकतानुसार
  • नमक – स्वादानुसार
  • तेल – 2 tbsp

  • बनाने की विधि :

  • बाजरे को धोकर 30 मिनट तक भिगो कर रख दें|
  • मूंगफली के दानो को सुखा भुन लें फिर ग्राइंडर में डालकर दरदरा पीस लें|
  • अदरक और मिर्च को कूट लें|
  • अब कुकर में तेल गर्म करें| इसमें जीरा दालचीनी, इलाइची, लौंग और काली मिर्च डाल दें|
  • जब ये कुछ भुन जाए तब इसमें कुटी हुई अदरक और मिर्च डाल दें और इसे 3 से 4 मिनट तक चला कर पकाएं|
  • अब इसमें करी पत्ता, धनिया पत्ता, और आलू डालकर 3 से 4 मिनट तक चला कर पकाएं|
  • अब इसमें मूंगफली का पाउडर और पानी से निकाल कर बाजरा डाल कर अच्छे से मिलाये|
  • फिर पानी डालकर एक उबालें ढक्कन लगाकर 4 सीटियों तक पकने दें|
  • काजू और बादाम को सुखा भुन कर रख लें|
  • जब पुलाव तैयार हो जाये तब उसे प्लेट में निकाल कर धनिया पत्ती और भुने हुए काजू और बादाम से सजाएँ|
  • ऊपर से कुछ निम्बू का रस डाल कर और कुछ निम्बू के टुकड़े साथ में रख कर परोसें|

पालक आलू कटलेट ।

व्रत हो या न हो भूख तो लगती ही है, हलके नाश्ते के तौर पर कटलेट भारत में काफी पसंद किये जाते हैं :- हालांकि मुख्यतः इनमे मीट का इस्तेमाल होता है लेकिन शाकाहारी विकल्प भी काफी प्रचलन में है| व्रत में खाने लायक ये कटलेट काफी स्वादिष्ट होते हैं और इसमें पालक का इस्तेमाल होने की वजह से ये काफी पोषक भी होते हैं|

पालक आलू कटलेट :

आवशयक सामग्री :

कटलेट के लिए :

  • पालक – 1 गड्डी (बारीक कटी हुई)
  • आलू – 3 उबले और मसले हुए
  • पनीर – ½ कप (घिसा हुआ)
  • तेल – 3 tsp
  • हरी मिर्च – 3
  • अदरक – 1 इंच (कुटी हुई)
  • धनिया पाउडर – 1 tsp
  • जीरा पाउडर – ¼ tsp
  • गरम मसाला पाउडर – ½ tsp
  • अमचुर पाउडर – ½ tsp
  • हरा धनिया – 2 tbsp बारीक कटी हुई
  • नमक – स्वदानुसार
  • तलने के लिए :

  • कुट्टू का आटा – 3 tbsp
  • सामा चावल का आता – 1 कप
  • चिल्ली फलैक्स – ¼ tsp
  • नमक – ¼ tsp
  • पानी – ½ कप
  • तेल – आवश्यकतानुसार
  • कटलेट बनाने की विधि :

  • एक कढाई गर्म करके उसमे 3 tsp तेल डालें| जब तेल गर्म हो जाए तो उसमे हरी मिर्च डाल कर चला कर भुने|
  • इसमें पालक डालकर चलाते हुए भुने जब तक पालक सिकुड़ने न लगे| इसे ठंडा करके बिना पानी मिलाये अच्छे से पीस लें|
  • अब इस पेस्ट में आलू, पनीर, सामा चावल का आटा, धनिया पाउडर, जीरा पाउडर, गरम मसाला, अमचुर धनिया और नमक मिला दें|
  • इस मिश्रण को ठीक तरह से मिलते हुए गूंथ लें| अगर ये कुछ चिपचिपा लगे तो सामा चावल का आटा और मिला लें|
  • पानी में कुट्टू का आटा चिल्ली फलैक्स और नमक मिलाएं और देख लें की इसमें गुठलियाँ न रह जाएँ|
  • कटलेट के मिश्रण में से एक छोटा बॉल लेकर इसे कटलेट का आकार दें|
  • अब इस कटलेट को कुट्टू के आटे के पेस्ट में लपेटें फिर सामा चावल के आटे में लपेटें|
  • ये प्रक्रिया एक बार पुनः दोहराएँ जिससे परत अच्छे से लग जाये|
  • अब इस कटलेट को गर्म तेल में तल लें जब तक की सुनहरे भूरे रंग के ना हो जाएँ|
  • जो लोग ज्यादा तेल पसंद ना करते हों वो इसे 180 डिग्री पर प्री हीटेड ओवन में 15 मिनट तक सेक लें|

भुने मखाने ।

भुने हुए मखाने नाश्ते के रूप में काफी पोषक होते हैं और इन्हें आप रोज़ के नाश्ते के तौर पर भी ले सकते हैं :- इनमे प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, और खनिज पाए जाते हैं| ये भुने हुए कुरकुरे मखाने व्रत के समय खाने के लिए भी एकदम उपयुक्त होते हैं|

भुने मखाने :

आवशयक सामग्री :

  • फूल मखाने - कप
  • नमक – स्वादानुसार
  • काली मिर्च – स्वादानुसार
  • हल्दी पाउडर – 1 चुटकी
  • घी – 1 tsp

  • बनाने की विधि :

  • घी को गर्म करें, इसमें मसाले और नमक मिला दें|
  • एक भरी तले के पैन में मखानों को धीमी आंच पर सूखा भुन लें| भूनने की प्रक्रिया कुछ धीमी होती है और इसमें करीब 10 मिनट लग सकता है|
  • अब इसमें घी, नमक और मसाले का मिश्रण भी डाल कर कुछ देर और भूनने दें| सही तरह से भुन जाने पर मखाने थोड़े कुरकुरे हो जायेंगे|
  • ऐसा होने पर इन्हें अलग रखकर ठंडा होने दें और फिर किसी एयर टाइट जार में बन्द करके रखें|
  • जब भी मन करे तब थोड़े निकाल कर खा लें, इन्हें काफी दिन तक रख सकते हैं|

बर्फी

अपने मीठा खाने के शौक को आप व्रत में भी पूरा कर सकते हैं :- क्यूंकि हम आपको ऐसी मिठाई बताने जा रहे हैं जो अमरनाथ (राजगीरा) के आटे से बनती है और इसे व्रत में खाया जा सकता है|

बर्फी :

आवशयक सामग्री :

  • अमरनाथ (राजगीरा) आटा – ½ कप
  • सिंघाड़े का आटा – ½ कप
  • इलाइची पाउडर – ½ tsp
  • तिल के दाने – 1 tsp
  • घी – 3 tbsp
  • गुड़ – ½ कप या स्वादानुसार

  • बनाने की विधि :

  • अमरनाथ आटे में घी मिलकर उसे मध्यम आंच पर भुनें|
  • सिंघाड़े के आटे को भी सुखा भुनकर इसमें मिला लें|
  • एक पैन में 1 tsp घी गर्म करें फिर उसमे गुड़ डालकर पिघला लें|
  • जब गुड़ अच्छे से पिघल जाये तब उसमे आटे का मिश्रण, तिल के दाने, और इलाइची पाउडर मिला दें|
  • इस तैयार मिश्रण को एक चौड़ी थाली पर निकल कर फैला लें और इसे ठंडा होने दें|
  • जब ये ठंडी होकर जम जाए तब इसे बर्फी की तरह काट लें|
  • स्वादिष्ट व्रत की बर्फी का आनंद लें|

लौकी की खीर।

लौकी का हलवा या लौकी की खीर काफी प्रसिद्द है :- भारत में क्यूंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्री व्रत में खाने योग्य होती है औए ये खाने में स्वादिष्ट भी बहुत लगती है|

लौकी की खीर :

आवशयक सामग्री :

  • घी – 3 tbsp
  • लौकी – 1 मध्यम आकार की
  • पिस्ता – 1 tbsp (महीन कटा हुआ)
  • बादाम – 8 (महीन कटे हुए)
  • काजू – 8 (महीन कटे हुए)
  • चीनी – 1/3 कप
  • खोया/ मावा – 1/3 कप
  • हरी इलाइची – 3

  • बनाने की विधि :

  • लौकी को धोकर छील लें और उसके बीज निकाल दें| इसके बाद घिस लें|
  • इलाइची के दानो को कूट लें।
  • अब एक कढाई गर्म करें और उसमे घी डाल दें|
  • जब घी गर्म हो जाए तब उसमे घिसी हुई लौकी डाल दें और उसे 15 मिनट तक चलते हुए पका लें जब तक लौकी अच्छे से पक ना जाये|
  • इसके बाद कतरे हुए बादाम, काजू और पिस्ता मिला दें और चलाते हुए पकाएं जजब तक इसमें पानी पूरा सूख ना जाये|
  • फिर इसमें खोया मिलकर 1 मिनट तक और पकाएं ।
  • इलाइची पाउडर मिलकर गर्मागर्म परोसें|

नवरात्री के व्रत में क्या करें क्या नहीं

माँ दुर्गा की भक्ति विशेष रूप से करने वाले भक्त तो इस व्रत के नियमों का सख्ती से पालन करते हैं :- इसमें की जाने वाली सभी रस्मे पूरी तरह निभाते हैं| ये रस्मे और नियम अलग अलग प्रान्तों में कुछ भिन्न हो सकते हैं| पर कुछ बातें हम यहाँ बता रहे हैं जिन्हें आपको ज़रूर मानना चाहिए| बेशक आप अपने घर के बड़े बुजुर्गों से भी मशविरा ले सकते हैं|

  • बाल और नाख़ून न कटवाएं :
    माँ दुर्गा के भक्त नव रात्रों में बाल और नाख़ून नहीं कटवाते यहाँ तक की दाढ़ी भी नहीं बनाते| माना जाता है की ऐसा करने से माँ नाराज़ हो जाती हैं|

  • दोपहर के वक्त ना सोयें :
    विष्णु पुराण के अनुसार जो लोग व्रत करते हैं उन्हे दिन में सोना नहीं चाहिये क्यूंकि ऐसा करने से व्रत करने से मिले हुए अच्छे प्रभाव ख़त्म हो जाते हैं|

  • मदिरा सेवन न करें :
    मदिरा का सेवन अपवित्र माना जाता है और सभी हिन्दू पर्वों पर इसकी मनाही होती है इसलिए नवरात्र में भी मदिरा का सेवन ना करें|

  • अखंड ज्योति का ध्यान रखें :
    अगर आपने अखंड ज्योति जलाई हो तो ध्यान रहे की वो पुरे नौ दिन तक प्रज्वलित रहे, बुझने ना पाये| और ये भी ज़रूरी है की घर को खाली ना छोड़े, हर वक्त कोई ना कोई घर में अवश्य होना चाहिये

  • व्रत का मतलब भूखे रहना नहीं :
    जो नवरात्र का व्रत रख रहे हैं उन्हें भी व्रत में खाने योग्य भोजन नियम से खाना चाहिए| व्रत का खाना हल्का होता है और हज़म होने में आसान भी होता है| ये हमारे शरीर को शुद्ध करने में मदद करता है|
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आप बहुत आसान प्रयास से नवरात्रि व्यंजनों तैयार कर सकते हैं।

भारत के कई हिस्सों में नवरात्रि उपवास रखना एक आम बात है ।यह उपवास आध्यात्मिक लाभ होने के साथ -साथ इसके कुछ वैज्ञानिक और जैविक लाभ भी हैं। तो, अगर आप भी इस साल उपवास करने की योजना बना रहे हैं, तो ऊपर दिए गए स्वादिष्ट व्यंजनों को आजमाना न भूलें इन्हे आप घर पर ही बना सकते है ।