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लेह-लद्दाख : यात्रियों का स्वर्ग

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विशाल हिमालय और काराकोरम के पर्बतों की शृंखला में बसा हुआ सहस और शांति का प्रतीक नि:संदेह एक अनोखा मिलाप , नीला आकाश, समोहित करने वाली स्थानीय सभ्यता स्फूर्तिदायी मोनास्ट्रीज(बौद्ध विहार),विशाल तालाब नेत्रसुख देने वाले नजारें केसरिया रंग के लिबास में भिख्खु बकरियां ले जाने वाले गडरिये यह सब समृद्ध फिर भी अछूता लगता है| दिन उगता है सबेरे की किरणे फैलाकर और साँझ होती है आत्माको मधुर शांति देकर| यह इतना सरल सादा है की लगता है कि यह इस दुनियासे नहीं है|

लदाख दुनियाकी सबसे ऊंचाई पर बसनेवाला प्रदेश है | इसकी आबादी भारत के राज्यों में सबसे कम हैं| इसकी सभ्यतापर जादातर तिब्बत की सभ्यता का असर है| ये चारो तरफ से मनोहारी लैंडस्केप से भरा हुआ है जैसे ,दक्षिण में लाहौल और स्पीती,उत्तर में नुब्रा घाटी | पूरा लैंडस्केप सुन्दरतासे भरा हुआ है जैसे हरीभरी वसुंधरा , ऊपर नीला नीला गगन, बर्फ की टोपी पहने मुनियों जैसे परबत नील पानी से भरे साफ़ जलाशय, चहकते सुन्दर पंछी और क्या नहीं| आप बस कल्पना ही करते रहो| ये प्रदेश परबत और घाटियों से भरा है|

आपका दिल बहलाने के लिए हाजिर है जैसे:

  • मरखा घाटी
  • झंस्कार घाटी
  • इंडस घाटी
  • ढा हानू घाटी
  • लेह भी उतनाही दिलचस्प और आकर्षक है उन लोगों के लिए जो आत्मा की या साहस की खोज में निकल पड़े हो| शहर की सडकों पर भिख्खु का घुमाना यह आम बात है| शहर में अति प्राचीन विलक्षण विहार और गोम्पा याने शिक्षा और ध्यान साधना की गुफाएं हैं |यहाँ का वातावरण अध्यात्मिक है और अगर आप मन की शांति और सुकून के लिए जगह ढूंड रहे हो तो इससे बेहतर और कोई जगह हो नहीं सकती| हम कुछ लोकप्रिय बुद्ध विहारों के नाम देते हैं|

  • स्पुतिक विहार
  • स्तकना विहार
  • माथो विहार
  • ठिक्से विहार
  • अल्ची विहार
  • स्टोक विहार
  • लामायुरु विहार

  • जिन्हें रोमांचकारी साहस करना पसंद है उनके लिए बस्स यही एक जगह है| एक के बाद एक बाइक का काफिला जाता हुआ ये भी एक आम दृश्य है| सीधे कोंक्रिट के रस्तों से जादा यहांकी झरनों से भरी ढलान वाली सड़कें और कमाल की गहरी घाटियों में बाइक चलाना बहुत ही थ्रिलिंग लगता है| लदाख देखने की एक और दिलचस्प वजह है, वहांका खाना , वहां की सभ्यताऔर वहां के त्यौहार |यहाँ का खाना देखकर मुहँ में पानी आता है और वह है भी ऊँचे स्वाद का | (यहाँ के मोमोज, थुपका,सकू और पावा खाना न भूले|) यहाँ की संस्कृति ऊँचे दर्जे की है| यहाँ इस्लामिक और बौद्ध संस्कृति घुलमिल गयी है और उनका संगीत भी एक तरह से गूढ़ और अनोखा है| यहाँ के भित्तिचित्र,हस्तशिल्प,अजनबी विधियाँ /अनुष्ठान ,ये सब आप को प्राचीन काल में ले जाते हैं| लदाख और उसकी सुन्दरता के बारेमें जितना लिखो उतना कम है | इसमें शब्द कम पड़ते है और जो एहसास हम करते है वह शब्दों में लिख नहीं पाते ,सिर्फ हमारी अमर यादगार बनती है|

लेह में देखने लायक अनूठी दुनिया की लगाने वाली जगहें

पॅंगॉंग त्सो तालाब

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इसकी सुन्दरता का वर्णन करना असंभव है | ये देखतेकर ही एहसास होता है|मगर जो देखते है वे प्रशंसा किये बिना नहीं रहते| ऐसा लगता है कि प्रकृति ने एक कैनवास फैलाया है और उसपर पानी के गहरे रंग उतारे हैं| उसमें इर्द गिर्द विशाल परबत बैठे हैं| असमान के सफ़ेद बादलों की परछाईयां उसमें हिल रही हैं| वा! क्या नजारा हैं! पंगोंग लेक लदाख के सबसे ऊंचाई के तालाब में से एक है| इस तालाब की लम्बाई करीब करीब 135 कि.मी. है| और यह पूर्वी लदाख से तिब्बत तक फैला हुआ है| जून और सितम्बर महीनों में पंगोंग की यात्रा करना उचित होता है क्योंकि मौसम सुहावना होता है और सड़कें खुली होती हैं|

मगर आप कुछ रोमांचकारी अनुभव लेना चाहते हो तो दिसंबर -फरवरी में जा सकते हो या सही समय हैं जब लेक बर्फीला हो जाता है| जैसे ही "3 इडियट" में इस तालाब को फिल्माया गया ये तालाब बहुत मशहूर हुआ और तालाब के इर्द गिर्द यात्रियों के लिए होटल्स और घरेलु सारे खुल गए| आप को अगर इसके बजाय कैम्पिंग करना हो तो तम्बू में बैठकर इस तालाब की सुन्दरता निहारो या खुद उसका एक भाग बनकर टहलो|

झंस्कार घाटी

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लेह में अकार भी अगर आप इस घाटी को नहीं देखोगे तो आप बहुत कुछ खो सकते है| एक बार इस घाटी को भेट दोगे तो इसकी महत्ता की आभा ,इसके सैर के खुले मैदान, इसकी तनहाई इन सभ चीजों के आप दीवाने हो जाओगे| हालाँकि इसे देखने का उचित समय जड़ों का मौसम है जब पूरी घाटी हरियाली से सजी हो, फिर भी तूफानी बर्फ की वृष्टि से कारगिल से झंस्कार घाटी केलिए जो पदम् पास है वह बंद हो जाता है |यह रास्ता मई के पहले ही खोलते है| इसलिए उसी वक्त जाने की इजाजत मिलती है| चूँकि घाटी में बहुत ही एकांत है इसलिए आपको यहाँ कुछ भी कमर्शियल चहल पहल नहीं दिखाई देगी और आप आराम से कैंप डालकर सृष्टि की सुन्दरता देख सकते हैं और शांति का आनंद लुटा सकते हैं|

खारदुंग ला पास

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ऐसा दावा किया जाता है कि, यह दुनिया की सबसे उंचाई पर बनी सड़क या मार्ग है| लेकिन हमें इन झंझट में नहीं पड़ना है|सबसे ऊँची हो न हो मगर आपको तो यहाँ आसमानसे बाते करने का एहसास होगा| ये पास या मार्ग बहुत दूर की नुब्रा और श्योक घाटी के लिए प्रवेशद्वार है| बहुत सारे बाइकवाले यहाँ इस कठिन उबड़खुबड सड़क पर बाइक चलाकर अपने हुनर की परीक्षा लेना चाहते हैं| इस पास का विशेष महत्व यह है कि यह सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी फौजों को रसद पहुंचानेवाला यही रास्ता है| पूरी यात्रा अजीबोगरीब और जिंदादिल दृश्यों से भारी हुई होती है|

चादर ट्रेक

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ऐसी पदयात्रा /ट्रेक हमने कभी पूरी जिंदगी में नहीं की होगी|हिमालयीन शृंखला में ये सबसे जादा मशहूर है| बर्फीले सर्द हवामें 8 दिनों की 90 कि.मी. की सफ़र आपको तय करनी पड़ेगी|पता है इसे चादर क्यूँ कहते हैं? जड़ों के मौसम में झंस्कार झरने का पानी इस इलाकेमें अकार बर्फ बनकार पूरी जमीन पर फ़ैल जाता है , बिलकुल एक चादर की तरह| इसलिए यहाँ से भ्रमण करने को चादर ट्रेक खाते हैं| बर्फ के गालिचे पर से जाना यह साहसी और उत्कंठापूर्वक लगता है| और जिन्हें सहस प्रिय है उनके लिए यह स्वर्ग है| लगे हाथ यहाँ के मनमोहक दृश्य भी देख सकते हैं|

हेमिस मोनास्ट्री

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लेह का सबसे आकर्षण पॉइंट है यह हेमिस मोनास्ट्री या विहार| शहर से 45 कि.मी दूर है इसलिए या तो आप को कार से जाना पड़ेगा या टैक्सी भादेपर लेनी पड़ेगी| सिंधु नदी के सामने यह विहार एक परबत पर बसा हुआ है| इसकी वास्तुकला ही इसका प्रमुख आकर्षण का केंद्र है| बुद्धिज्म की लाल सेकत से बनी है और बुद्धिस्ट ध्यान के प्रकारों की पेंटिंग्ज जिन्हें थंगवास कहते हैं ,वह आप देख सकते हैं| यहाँ प्राचीन महत्वपूर्ण पेंटिंग्ज,शिल्पकला के नमूने इनका म्युझियम है|

तुर्तुक

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तुर्तुक 2010 में पर्यटकों के लिए खुला किया है| अबतक उसे इतनी लोकप्रियता नहीं है ,फिर भी पर्यटक धीरे धीरे इसे आजमाने लगे हैं| सीमापार 300 भारतीय परिवार रहते हैं| आम तौरपर तिब्बत की सभ्यता के बजाय यहाँ बाल्टी मुस्लिम सभ्यता का प्रभाव रह चूका है| इस देहात में बाकि लदाख के मुकाबले बहुत ही हरियाली है ,क्योंकी इतनी उंचाई पर पेडपौधे होना मुश्किल है| इवैसे लदाख को कोल्ड डेजर्ट कहते है| मगर यहाँ फल के बागन भी देखने को मिलते हैं,जैसे एप्रीकॉट ,अंगूर, सेब, तथा चेरिज |लेकिन जाड़े में यह देहात बर्फ वृष्टि की वजह से बिलकुल अकेला पड़ जाता है |इसलिए इन लोगों को इसके पूर्व ही धान का संग्रह करना पड़ता है|

शांति स्तूप

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सफेत घूमट वाला यह स्व्तुप 1991 में जापान के बुद्धिस्ट भिख्खु ने इसका निर्माण किया है| जापान और लदाख के लोगों में ग्योमो नाकामुरा यह शांति का प्रतीक कहते है| लदाख यात्रा करने वालों केलिए यह स्तूप इसके तेजोमय रूपसे, अध्यात्मिकता शांति का अनुभव देने के गुण से सबसे अग्र स्थान पर है| वास्तुकला के तौर पर भी स्तूप सफेद रंग ऊपर सुन्दर मयूरपंखी नील ,पीले, और हरे रंग के रत्नों से बहुत ही खुबसूरत दिखते है| यह एकदम सही जगह है जो आप देखना चाहे और इसकी तस्बीरे आप की तनहाई में याददाश्त जगाये|

ड्रास घाटी

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कुदरत का शानदार वैभवशाली रूप देखना हो तो इस घाटी को देखो| हमेशा इसे"लदाख का प्रवेशद्वार"कहतेहैं यह दुनिया की दूसरी बर्फीली ठण्ड वातावरण में रहनेवाली मानव बस्ती है| यहाँ तापमान जेड के मौसम में -40 डिग्री से भी कम होता है|और मौसम की सबसे उत्कृष्ट बर्फ्वृष्टि देखने मिलाती है| पर्बतों की चोटियों पर पतझड़ के मौसम तक बर्फ छाया हुआ होता है| लदाख आने पर हर जगह आप को स्वर्गीय लगेगी और द्रास घाटी में आप खुद स्वर्ग में हो, ऐसा महसूस करेंगे| हायकर और ट्रेकर ( पदभ्रमण करने वाले) इनके लिए तो ये घाटियाँ उनके शौक की पूरी तृप्ति देने वाली हैं, क्योंकि यहाँ के गाँव तक जाने के लिए छोटे छोटे ट्रेक आयर हायकिंग कर सकते हैं| छोटे अजीब देहातों और यहाँ के अतिथ्यशील लोग आपका रहना एकदम आरामदायी करके आप का पैसा वसूल करा देंगे|ड्रास घाटी में आप निगुर मस्जिद देख सकते हैं या ब्रिगेड वारमेमोरियल को भेंट दे सकते हैं| ये रोमांचकारी अहै| और अगर साहस करना चाहते हो तो मनमान शिखर पर पदभ्रमण के लिए जा सकते है|

लमायुरार मोनास्टरी

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लदाख के नीचले हिस्से में यह पचिन मनोहर बुध्ह विहार है| इसके नियंत्रण में 50 से ज्यदा बुध्ह विहार हैं| और इसके अन्दर 300 से ज्यादा भिख्खु रहते हैं| लदाख के प्राचीन विहार में से एक होने केसे वहां भित्ति चित्र और लेखों के संग्रहों की प्रदर्शनी है| ऐसा कहते हैं कि यहाँ की मिटटी चन्द्रमा के मिटटी से मेल खाती है ,इसलिए इसे चंद्रभूमि भी कहते हैं|

त्सो कार तालाब

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लदाख के तीन महत्वपूर्ण तालाबों में से एक यह सबसे छोटा है| और इसे सफ़ेद तालाब भी कहते हैं| लेह के मुख्य शहरसे 250 कि.मी. दुरीपर ये पंछी निरिक्षण करने वालों में बहुत लोकप्रिय है| तालाब के इर्द गिर्द समृद्ध वन्य पंछियों से भरा प्रदेश है जहाँ ब्राह्मणी ब्थ्थक, बार हेडेड हंस, ग्रेट क्रस्तेद ग्रेन है लेकिन इससे भी जादा मुख्य आकर्षण होता है ब्लैक नेक्ड बगुले का| ये बगुले दूर से आते हैं, अंडे डालते हैं और पंची बाहर अनेके बाद चले जाते हैं| और रह जाती है पीछे पर्बतों का लुभावना चित्र|

आपका सफ़र एक बेमिसाल यादगार बनाओ| श्नातिपुर्वक सफ़र के लिए कुछ उपयुक्त सूचनाएं

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हालाँकि लदाख की भूमि को उपर्वलेने बेतहाशा खूबसूरती बक्शी है ,लेकिन यहाँ का माहौल आप के शक्ति की परीक्षा ले सकता है| सफ़र कुछ आसान नहीं होता ,बाइकरके लिए भी और बस से जाने वालों के लिए भी सड़कें उबड़ खुबड होती हैं|किसी भी तरहस से आपनेसफर पार किया हो , फर भी आप अपने साथ कुछ जरूरती चीजें लेना न भूलें| बहुत नहीं मगर कुछ गिनी चुनी चीजे जो आसानी से बोरियों में रहा सके ले लीजिये|

  • पानी: इतनी ऊँचाई पर कंठशोष की मुख्य समस्या होती है| और वैसे भी लदाख में पानी की कमी है| स्वस्थ्य के लिए आप 1-2 लीटर पानी की बोतले ले जाइये और प्यास नहीं लगी तो भी घूंट घूंट पानी पिते रहिये|

  • दवाइयां: फर्स्ट एड बक्स सबसे पहले लेना| यह सुनिश्चित करो की आप खांसी की दावा, फ्लू की दावा और सरदर्द,पेटदर्द पर बम, और श्वास के लिए इनहेलर और बैंड एड ये सब लिया है| अगर आप को धुल की एलर्जी अहै तो एंटी अलर्जिक दावा भी लेलो|

  • सनस्क्रीन लोशन और गोगल्स: यहाँ अल्ट्रा व्हायोलेट किरानोंकी भरमार है| आप सनस्क्रीन लोशन जो आप को सूट होता हो वह लेलिजिये और गोगल्स लेना कतई न भूले|

  • लिपबाम और तेल: सूखी हवा में होट फट जाते हैं | इसलिए ऑयल बेस्ड लिप बाम या व्ह्सलिन जरुर लेना|कभी कभी लोशन का कोई असर नहीं होता ,तो तेल से काम बनता है|

  • ग्लूकोज: तुरंत शक्ति पाने के लिए 1-2 ग्लूकोज की सॅचेट पास रखो| ये बाकि पेयों जैसा मूत्रवर्धक नहीं है|

  • चोकलेट,बिस्कुट और ड्राय फ्रूट्स: आप के पसंदीदा चोकलेट्स ,बिस्कुट और मेवे में किशमिश,बादाम,पिस्ता, और काजू का मिक्स लेलो | ये बैग में जादा जगह नहीं लेते और खाते खाते बैग भी खली हो जाती है| बहुत कड़ी भूख लगी हो और वहां कुछ होटल न हो या स्थानीय खाना आपको नहीं हजम होता हो तो ये भूख मिटाते हैं|

  • टॉयलेट का सामान: ये कहने की जरुरत नहीं फिर भी ब्रश,पेस्ट साबुन शेविंग किट के साथ टॉयलेट पेपर,और सनितरी नैपकिन ले जाना न भूलें|

  • कपडे: सबसे ज्यादा जगह बैग में कपडे ही लेते हैं| ठंडी से बच हने के लिए स्वेटर, मफलर, हैण्ड ग्लोव्हज, कैप,ऊनि टोपी, और जूते लेना न भूले क्योंकि ये बैग में नहीं आपके परिधान में ही रहते हैं|

  • चार्जर: इन्हें जरुर लेना नहीं तो आपका संपर्क टूट जायेगा |

  • दस्त एवज और पहचान पत्र: लदाख का नक्षा, होटल रिजर्वेशन स्लिप, फ्लाईट के टिकट की कापियां, इटर्नरी, आपका गवर्नमेंट पहचान पटर और उसकी कापियां ले ले|

  • नकद रकम: श्रीनगर से मनाली के बाद एटीएम सिर्फ लेह और कारगिल में ही हैं और वहां हमेशा लम्बी कतारें होती हैं| इसलिए बेहतर है अपने पास नकद रकम हो|

  • मेडिकल चेक अप: लदाख की हवा इतनी सरल नहीं है| वहां ऑक्सीजन की कमी है (जैसे हर ऊँचाई पर होती है) उससे माउन्टन सिकनेस होता है| वहां धुल बहुत है और रत में ठण्ड बढ़ती है| बेहतर है जाने से पहले आप अपना मेडिकल चेक अप कर ले|

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एक अंतिम बात

हम आशा करते हैं कि आपने पूरा पढ़ा होगा और इन जगहों के बारे में अच्छे से जान गए होंगे । तो देर मत कीजिए जल्द से जल्द वहां जाने का प्लेन कीजिए ताकि आप उन जगहों का आनंद ले सकें । हम आशा करते हैं कि हमारा यह अनुच्छेद आपको बेहद पसंद आया होगा । पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद ।